बीकानेर में पुलिस टाइगर है या पेपर टाइगर - Khulasa Online बीकानेर में पुलिस टाइगर है या पेपर टाइगर - Khulasa Online

बीकानेर में पुलिस टाइगर है या पेपर टाइगर

पंचनामा : उषा जोशी

जय जंगलधर बादशाह के इलाके में बीकानेर में वर्तमान में राज कर रहे खाकी के लॉयन व टाइगर पेपर टाइगर ही साबित हो रहे हैं। छोटी काशी के रूप में अपनी पहचान रखने वाला यह शहर वेब सीरिज की षा में कहे तो मिर्जापुर बन चुका है।आये दिन गोलियों की ठांय-ठाय, हत्या, धमकी, शराब व हथियारों की स्मगलिंग व चैन स्रैचिंग जैसी बढ़ती घटनाओं ने लोगों का चैन छीन लिया है। शान से पाटों पर बैठने वाले व धाप कर कचौड़ी पकौड़ी खा कर तय समय पर मरने वाले यहां के लोगों को गुंडों बदमाशों ने असमय ही मौत के दरवाजे पर पहुंचाना शुरू कर दिया है।
कोरोना महामारी के कारण मरने वालों का गम लोग भूला ही नहीं पाये की गुडों की गोली का शिकार हो रहे किशोर व युवाओं की मौत के गम ने लोगों को आक्रोषित कर दिया है। यही कारण रहा कि पिछले दिन शहर सड़क पर था और एकजुट होकर खाकी की कमजोरी पर रोष जता रहा था।आग्रह है साहब टाइगर बन जाइये, पेपर टाइगर नहीं। कुछ करिये। या चलते बनिये।
केवल इधर-उधर करने से नहीं चलेगा काम
जांगळ देश बीकानेर में बढ़ती फायरिंग की घटनाओं के बाद सड़क पर उतरी स्थानीय जनता ने एलान कर दिया है कि ऐसे वारदातों के बाद केवल कुछ थानेदारों को इधर-उधर करने या पुलिस लाइन भेजने से काम चलने वाला नहीं है।
अब कुछ ठोस करना होगा। शहर में पिछले लगभग एक साल से अपराधों में बढ़ी घटनाओं को लेकर अब लोग सोशल मीडिया पर काफी मुखरित होने लगे हैं। ऐसे लोगों ने ऐलान कर दिया है कि अब भी यदि खाकीधारी लोग नेताओं, धन्ना सेठों व बाहुबलियों के ही आगे पीछे नाचकर अपना काम पूरा समझ लेंगे तो उन्हें इस गलतफहमी में नहीं रहना चाहिये।
सोशल मीडिया पर इससे पहले कभी भी स्थानीय खाकीधारियों की इतनी जमकर खारितदारी पहले कभी नहीं हुई जितनी इस बार हो रही है। समझ रहे हैं ना सर।
संभल जाओ नेताजी
शहर में बढ़ती आपराधिक घटनाओं से आक्रोषित लोगों ने अब नेताओं को भी अपने कोपभाजन का शिकार बनाना शुरू कर दिया है। किस वारदात पर कौनसा नेता क्या बोला इस पर नजर रखी जा रही है। किस नेता ने किस वारदात में किस अपराधी का साथ दिया इसकी ना केवल खबर ली जा रही है बल्कि सोशल मीडिया पर उसको सार्वजनिक भी किया जा रहा है।
लोग आईजी, कलक्टर, एसपी यहां तक की थानेदारों का भी छोटी-छोटी बातों पर स्वागत-सत्कार, सम्मान करने वाले वालों को भी नहीं बक्श रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि पिछले कुछ सालों से कल क्टर एसपी तो बदल रहे हैं मगर उनका स्वागत सत्कार करने वाले, सम्मान करने वाले, सरकारी कार्यों का थोथा प्रचार करने वाले सेम टू सेम रहते हैं।
सोशल मीडिया पर सवाल भी उठाया जा रहा है कि ये ऐसा क्यों हो रहा है।
बदल रहा है मेरा शहर
एक ताने की वजह से जन्मा मेरा शहर अब बदल रहा है। लोग जागरूक हो रहे हैं। सवाल पूछ रहे हैं। उनके सब्र का बांध टूट गया है। महामारी ने जहां शहर को तोड़ कर रख दिया तो खाकी की उदासीनता ने शहर में आक्रोष भर दिया है। हर आदमी सवाल पूछ रहा है।क्यों हो रहा है ऐसा। यदि यह जागरूकता लगातार कायम रही तो शहर जो बदलना शुरू हुआ है एक दिन नहीं मंजिल प्राप्त करेगा। जिसमें सबका सहयोग होगा। सब को न्याय मिलेगा। सबको इलाज मिलेगा। सब को सवाल करने की हिम्मत आएगी।

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