रिटायर होने से एक साल पहले मिली नौकरी - Khulasa Online रिटायर होने से एक साल पहले मिली नौकरी - Khulasa Online

रिटायर होने से एक साल पहले मिली नौकरी

खुलासा न्यूज,बीकानेर। आपने कभी सुना है कि सेवानिवृत्ति के एक साल पहले नौकरी मिले। पर यह सही है,शहर के विजय शंकर व्यास को आज से करीब 31 साल पहले बीकानेर के सार्दुल पब्लिक स्कूल (अब स्पोर्ट्स स्कूल) में 14 रुपए रोज में नौकरी पर रखा गया, लेकिन बाद में हटा दिया गया। संघर्ष की इस लंबी लड़ाई के दौरान पक्ष में निर्णय के बावजूद शिक्षा विभाग उन्हें नियुक्ति देने के लिए तैयार नहीं हुआ। अब जब उनकी उम्र 59 साल हो गई है तो राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर की डबल बैंच ने तीसरी बार नियुक्ति के आदेश दिए हैं। एक साल में रिटायरमेंट की उम्र हो जाएगी। दरअसल, मामला बीकानेर के सार्दुल स्पोर्ट्स स्कूल में वर्ष 1989 में नौकरी लगने वाले विजय शंकर व्यास का है। तत्कालीन हेड मास्टर ने उन्हें 14 रुपए रोज में नौकरी पर रख लिया। इस दौरान उन्हें बाकायदा वेतन दिया गया। हर रोज 14 रुपए के हिसाब से मिली नौकरी के कागजात भी व्यास ने अदालत में पेश किए। सबसे पहले 1997 में लेबर कोर्ट में अपील की गई। तब शिक्षा विभाग ने वहां कोई जवाब नहीं दिया। जहां व्यास के पक्ष में निर्णय हुआ। तब शिक्षा विभाग ने उस निर्णय पर कोई कार्रवाई नहीं की। परेशान होकर वर्ष 2008 में व्यास ने हाईकोर्ट में रिट लगाकर न्याय मांगा। जहां से सिंगल बैंच ने निर्णय कर दिया कि श्रम न्यायालय का निर्णय सही है। 2020 में इस निर्णय के खिलाफ शिक्षा विभाग ने डबल बैंच में अपील की।
इस पर उनके पक्ष में निर्णय हुआ। अदालत ने उन्हें फिर से नियुक्ति देने के आदेश दिए। शिक्षा विभाग ने तब भी इस आदेश को नहीं माना। डबल बैंच में अपील कर दी। अब डबल बैंच ने भी यही निर्णय दिया है कि लेबर कोर्ट और सिंगल बैंच ने जो निर्णय दिया है, वो सही है। डबल बैंच ने उन निर्णयों को सही मानते हुए शिक्षा विभाग की अपील को खारिज कर दिया। व्यास की तरफ से एडवोकेट परमिंदर बोहरा ने पैरवी की।
मस्टररोल नहीं दे सका विभाग
लेबर कोर्ट ने शिक्षा विभाग से व्यास को प्रति दिन के हिसाब से नौकरी पर रखने के दस्तावेज मांगे थे। मस्टररोल पर रखा है तो उसकी प्रति पेश करने के लिए कहा गया। जो शिक्षा विभाग नहीं कर सका। शिक्षा विभाग ने ये दलील भी दी कि तब चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का पद नहीं था। इसे अदालत ने स्वीकार नहीं किया। अदालत ने कहा कि वो वहां काम करता था, उसका रोजगार वहां से था, इसलिए उसे वापस नियुक्ति दी जाए।
अब एक साल में रिटायर
अभी शिक्षा विभाग के पास सुप्रीम कोर्ट में जाने का अवसर है, लेकिन वो व्यास को नियुक्त देते हैं तो महज एक साल की नौकरी ही रहेगी। उनकी उम्र अब 59 साल हो चुकी है। ऐसे में उन्हें काम करने का अधिक अवसर नहीं मिलेगा। अदालत के आदेश में पिछले वर्षों के भुगतान के आदेश होंगे तो व्यास को तीस साल का वेतन मिल सकता है।

प्राइवेट काम कर रहे हैं

वर्ष 1990 में ही इस स्कूल से नौकरी जाने के बाद से व्यास प्राइवेट काम करके अपना काम काज चला रहे हैं। स्थायी वेतन और काम नहीं होने के कारण इतने साल तक वो इधर से उधर काम बदलते रहे। अपने घर की जिम्मेदारियों को निभाते रहे। शिक्षा विभाग ने उनकी समस्या को समझने का प्रयास ही नहीं किया।

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