रेतीले धोरों में एडवेंचर टूरिज्म की श्रृंखला शुरू होगी,नाइट टूरिज्म पर रहेगा विशेष जोर - Khulasa Online रेतीले धोरों में एडवेंचर टूरिज्म की श्रृंखला शुरू होगी,नाइट टूरिज्म पर रहेगा विशेष जोर - Khulasa Online

रेतीले धोरों में एडवेंचर टूरिज्म की श्रृंखला शुरू होगी,नाइट टूरिज्म पर रहेगा विशेष जोर

जयपुर। राजस्थान के रेतीले धारों में एडवेंचर टूरिज्म की विशेष श्रृखंला शुरू की जाएगी। रेगिस्तान देखने के लिए प्रदेश में आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिहाज से सरकार ईको टूरिज्म, फिल्म टूरिज्म, मैरिज, आदिवासी, शिल्प व व्यंजन टूरिज्म को बढ़ावा दिया जाएगा।धार्मिक टूरिज्म के प्रति पर्यटकों को आकषित किया जाएगा। रेगिस्तान में मिट्टी जल्द गर्म होने के कारण सरकार नाइट टूरिज्म की संभावनाओं को भी तलाशेगी। राज्य सरकार की नई पर्यटन नीति में देश-विदेश में प्रदेश के पर्यटन व धार्मिक स्थलों के साथ ही रेत के समंदर से देशी-विदेशी पर्यटकों को रूबरू कराने का प्रावधान किया गया है। नीति में माना गया है कि प्रदेश का मरूस्थल, शांत वातावरण और दिल्ली, उत्तरप्रदेश, गुजरात, हरियाणा व पंजाब जैसे राज्यों से कनेक्टिविटी होने के कारण पर्यटन उधोग संभावनाओं से भरपूर है। प्रदेश में भूमि के साथ कुशल व सस्ते मानव श्रम की उपलब्धता भी भरपूर है।
राज्य के पर्यटन सचिव आलोक गुप्ता का मानना है कि दो दिन पहले जारी की गई प्रदेश की नई पर्यटन नीति देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिहाज से मिल का पत्थर साबित होगी। सर्किट आधारित पर्यटन का मास्टर प्लान आगामी दिनों में बनाया जाएगा। सरकार को नए निवेश के साथ लाखों की संख्या में नए रोजगार अवसर पर निगाहें हैं। नई पर्यटन नीति में प्रत्येक जिले में एक गांव व गांव के समूह की पहचान का लक्ष्य रखा गया है, जिन्हे विशेष विरासत गांव या शिल्प गांव के रूप में विकसित किया जाएगा।पूर्व पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह का कहना है कि प्रदेश में रेतीले धोरे, पहाड़ी इलाके, नदियां, जंगल, ऐतिहासिक धरोहर और मौसम में विविधता पर्यटकों को सालभर बांधने की क्षमता रखती है। नई नीति में इसी के आधार पर निवेश, उद्यमिता और राजस्व संभावनाओं को टटोला गया है।
निवेश पर भी नजर
सरकार ने तय किया है कि प्रदेश के प्रमुख स्मारकों को आईकॉनिक मॉन्यूमेंटृस के रूप में विकसित किया जाएगा। प्रदेश में होटल व रिसोट्रर्स स्थापित करने वालों को जमीन आवंटन, रजिस्ट्रेशन सहित कई तरह की छूट भी दी जाएगी। इससे प्रदेश में निवेश बढऩे के साथ ही रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
उल्लेखनीय है कि कोरोना महामारी के कारण प्रदेश के पर्यटन उधोग पर मार्च माह से ताले लगे हैं। पर्यटन विभाग का मानना है इस उधोग को करीब 10 हजार करोड़ का नुकसान होने के साथ ही 5 लाख लोग बेरोजगार हो गए। अनलॉक-3 के बाद से ही सरकार ने पर्यटन व्यवसाय को पटरी पर लाने का प्रयास शुरू किया, लेकिन अब तक सफलता मिलती दिखाई नहीं दे रही है।
जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, बीकानेर, जैसलमेर जैसे शहरों में पर्यटकों की आवक नहीं हो रही है। इस बीच जारी की गई नई पर्यटन नीति संजीवनी के तौर पर देखी जा रही है। पर्यटन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार साल, 2001 में पर्यटकों के आने की तादाद 8.4 मिलीयन थी जो साल, 2018 में बढ़कर 52 मिलीयन आंकी गई और साल 2019 में 52.2 मिलीयन यह आंकड़ा रहा।

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