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युवा चिकित्सक डॉ स्वामी ने कहा,हार्ट अटैक उपचार में यह विधि रहती है ज्यादा कारगर

खुलासा न्यूज,बीकानेर। प्राइमरी एंजियोप्लास्टी 90 प्रतिशत तक हार्टअटैक के उपचार में कामयाब रहती है। अगर इस उपचार को हार्ट अटैक के मरीजों के लिए समय के रहते किया जाए। जैसे-जैसे समय बढ़ता है मौत की एवं हार्ट की मांसपेशियां डैमेज की संभावना रहती है जिससे मौतें एवं हार्ट अटैक के कुप्रभाव की मात्रा भी बढ़ती है। यह बात आयुष्मान हार्ट केयर सेंटर एवं आई. एम. ए. के संयुक्त तत्वाधान में करणी नगर स्थित नरेंद्र भवन में आयोजित डॉक्टरों की मेडिकल एजुकेशन संगोष्ठी में कही। इस मौके पर आयुष्मान हार्ट केयर सेंटर के कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. बी. एल. स्वामी ने हार्ट अटैक की नई परिभाषा एवं नए अधिक कारगर इंटरवेंशनल उपचार के बारे में बताया। डॉ. स्वामी ने बताया कि इस सदी की सबसे ज्यादा मौतें हार्ट अटैक से हो रही हैं। जिसमें 50 प्रतिशत लोगों की अस्पताल में पहुंचने से पहले ही मृत्यु हो जाती है। डॉ. स्वामी ने बताया कि नया इंटरवेंशनल उपचार (प्राइमरी एंजियोप्लास्टी) हार्ट अटैक का सबसे कारगर उपचार है।डॉ स्वामी ने बताया कि आयुष्मान हार्ट केयर सेंटर की टीम ने इस उपचार विधि से कई मरीजों की बीकानेर संभाग में जान बचाई है। यह उपचार 90 प्रतिशत तक कामयाब है। इस उपचार का सबसे ज्यादा फायदा मरीज को हार्ट अटैक होने के 120 मिनट के समय में करने पर मिलता है पर लोगों की जागरूकता के अभाव के कारण यह सिर्फ 8 प्रतिशत मरीजों में ही हो पाता है।
इन चिकित्सकों की रही मौजूदगी
व्याख्यानमाला में आई. एम. ए. अध्यक्ष डॉ. अबरार पंवार, सेक्रेटरी डॉ. नवल गुप्ता, डॉ एस. एन. हर्ष राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, एवं डॉ. महेश शर्मा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ऑफ आई. एम. ए. ,डॉ. राहुल हर्ष, डॉ. सुनील हर्ष, डॉ. दाऊदी, डॉ. सी. एस. मोदी एवं सी.एम.एच.ओ. सुकुमार कश्यप, डॉ. देवेंद्र चौधरी जे. डी., डॉ. रांका, डॉ. श्रवण सिंह, डॉ. पुनिया, डॉ. काजला, डॉ. संतोष आर्य, डॉ. कृष्ण वीर चौधरी, डॉ. विकास पारीक, डॉ. बजरंग टाक डॉ. नितिन गुप्ता डॉ. सोखल सहित कई वरिष्ठ चिकित्सक, आयुष्मान हार्ट केयर सेंटर के संरक्षक डॉ. जी. डी. स्वामी नोखा एवं निदेशक डॉ. पवन चौधरी, डॉ. दुर्गा स्वामी, एवं मैनेजर भीमाराम सैनी मौजूद रहे।
क्या है प्राइमरी एंजियोप्लास्टी?
इसमें हार्ट की 100 प्रतिशत ब्लॉक नस को तार से क्रॉस कर थ्रोबोसक्शन द्वारा थक्के को हटाया जाता है। फिर स्टंट लगाकर ह्रदय का रक्त प्रवाह बढ़ा दिया जाता है। जिससे हॉट डैमेज नहीं होता है जिससे मौत कम होती है। इसकी 90प्रतिशत सफलता की दर हैं।
इससे पहले क्या उपचार था?
हम बोला इससे पहले उपचार थ्रोम्बोलाइसिस (खून पतला करने की दवा) था। जिसकी सफलता दर 50 से 60 प्रतिशत है। जिससे मौतें अधिक होती हैं एवं हार्ट डैमेज भी अधिक होता है।

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