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वाह: पीबीएम जिले के मालिक को ही दे डाली नसीहत, पीबीएम कर्मी बोला कलक्टर हुआ तो क्या हुआ पहले पर्ची लाओ फिर दिखाओं

बीकानेर । संभाग के सबसे बड़े पीबीएम अस्पताल में इलाज के लिए जाने वाले मरीज या उसके परिजन को क्या कुछ झेलना पड़ता है, इसका प्रत्यक्ष अनुभव जिले के सबसे बड़े अधिकारी अर्थात जिला कलक्टर ने स्वयं किया हुआ यू कि शुक्रवार देर रात को जिला कलक्टर भगवतीप्रसाद कलाल बेटी के कान दर्द का इलाज कराने एक अन्य अफसर के साथ पीबीएम अस्पताल पहुंचे। वहां पर काउंटर पर बैठे कार्मिक ने जब इमरजेंसी जैसी स्थिति में भी बिना पर्ची के मरीज को हाथ लगाने से इनकार कर दिया तो कलक्टर के साथ आए अधिकारी ने उनका परिचय भी दिया। हैरत की बात यह है कि इसके बाद भी पीबीएम कार्मिक मामले को हल्के में लेते रहे, बल्कि यहां तक जवाब दे दिया कि कलक्टर है, तो क्या हुआ पहले पर्ची लाओ फिर दिखाओ। मामला यहीं पर नहीं थमा। सीएमएचओ को बताने के बावजूद कलक्टर को संबंधित चिकित्सक का भी लंबे समय तक इंतजार करना पड़ा, जिसको लेकर कलक्टर नाराज भी हुए। शनिवार को पूरा प्रकरण मेडिकल कॉलेज और जिला प्रशासन के बीच चर्चा में रहा। साथ ही मामले को संभालने के लिए चिंतन-मनन भी चलता रहा।
रात करीब पौने दो बजे कलक्टर एक अन्य अधिकारी के साथ पीबीएम अस्पताल के ट्रोमा सेंटर पहुंचे। यहां जब वे काउंटर पर गए तो वहां किसी ने भी उन्हें नहीं पहचाना जब कार्मिक को पहले साथ आए अधिकारी और फिर खुद कलक्टर ने बताया कि वे जिला कलक्टर हैं, तो जवाब मिला..कलक्टर हैं तो क्या हुआ। पहले पर्ची लेकर आओ. फिर दिखाओ। कार्मिकों के ऐसे व्यवहार से कलक्टर असहज भी हुए और नाराज भी
कलक्टर ने व्यवस्थाएं नहीं होने पर सीएमएचओ को ट्रोमा सेंटर बुला लिया। ईएनटी चिकित्सक नहीं होने पर ये मौजूदा स्टाफ पर भडक़ने लगे। तय उन्हें बताया गया कि ईएनटी चिकित्सक को ऑन कॉल बुलाया गया है। काफी देर बाद जब महिला चिकित्सक आई, तो उन पर भी नाराज हुए। हालांकि बाद में बच्ची का इलाज करा कर कलक्टर वहां से चले गए।
शुक्रवार रात को ट्रोमा सेंटर में हुए घटनाक्रम के बार में महिला कार्मिकों व अन्य कार्मिकों ने एसपी मेडिकल कॉलेज प्राचार्य को जानकारी दी प्रशासनिक अधिकारियों में भी पूरे मामले पर चिंतन हुआ।

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