
विश्व निमोनिया दिवस : बच्चों को निमोनिया से बचाने 12 नवम्बर से चलेगा ‘सांस’ अभियान





विश्व निमोनिया दिवस : बच्चों को निमोनिया से बचाने 12 नवम्बर से चलेगा ‘सांस अभियान
बीकानेर। विश्व निमोनिया दिवस के अवसर पर 12 नवम्बर से स्वास्थ्य विभाग द्वारा सांस अभियान शुरू किया जाएगा। 5 वर्ष तक के बच्चों को निमोनिया से बचाने ना केवल जनजागरण किया जाएगा बल्कि प्रोटोकॉल अनुसार उपचार देने के लिए चिकित्सकों व स्टाफ के लिए सघन प्रशिक्षण भी आयोजित किए जाएँगे। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ पुखराज साध ने बताया कि 28 फरवरी 2026 तक चलने वाले इस अभियान की इस साल की थीम ‘निमोनिया नहीं, तो बचपन सही’ रखी गई है। सांस अभियान के अंतर्गत 0 से 5 साल तक की आयु के सभी बच्चों की निमोनिया हेतु स्क्रीनिंग, चिकित्सा अधिकारियों व नर्सिंग अधिकारियों को निमोनिया स्किल प्रशिक्षण, चिकित्सा संस्थानों पर प्रचार सामग्री प्रदर्शन, आवश्यक दवाओं की उपलब्धता, निमोनिया के लक्षणों की पहचान व प्रबंधन हेतु आमुखीकरण किया जाएगा।
जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी तथा अभियान के नोडल अधिकारी डॉ राजेश गुप्ता ने बताया कि अभियान के मुख्य घटक पीपीटी यानी प्रिवेंट, प्रोटेक्ट व ट्रीट रणनीति को अपनाते हुए पेंटावेलेंट व पीसीवी वैक्सीन के तीनों डोज लगाना सुनिश्चित किया जाएगा। आशा सहयोगिनी के माध्यम से एंटीबायोटिक अमोक्सिसिल्लिन का तथा चिकित्सक, एएनएम व सीएचओ द्वारा इंजेक्शन जेंटामाइसिन के विधिवत अनुप्रयोग हेतु प्रबंधन पर जोर दिया जाएगा। साथ ही पीएचसी, सीएचसी व जिला अस्पतालों में निमोनिया से ग्रसित बच्चों के लिए बेड रिजर्व रखे जाएंगे।
क्या है निमोनिया ?
आरसीएचओ डॉ राजेश कुमार गुप्ता ने बताया कि निमोनिया फेफड़ों में होने वाला सूजन या संक्रमण है जिसमें फेफड़ों की कोशिकाएं मवाद या पस से भर जाती है एवं ठोस हो जाती है। निमोनिया को प्रायः एआरएआई भी कहा जाता है। निमोनिया सामान्यतया बैक्टीरिया, वायरस, फंगस अथवा परजीवी संक्रमण के कारण होता है। भारत में प्रमुख रूप से स्ट्रैप्टॉकोक्कस निमोनियाई व हिमोफिलस इनफ्लुएंजाई नामक जीवाणु बच्चों में होने वाले निमोनिया का प्रमुख कारक है। बच्चों में निमोनिया के कारण सांस लेने में परेशानी होती है।




