महिलाओं का काम सिर्फ बच्चे पैदा करना, वे मंत्री नहीं बन सकतीं - Khulasa Online महिलाओं का काम सिर्फ बच्चे पैदा करना, वे मंत्री नहीं बन सकतीं - Khulasa Online

महिलाओं का काम सिर्फ बच्चे पैदा करना, वे मंत्री नहीं बन सकतीं

नई दिल्ली। अफगानिस्तान में अपने अधिकारों और नई सरकार में अपनी भागीदारी के लिए तालिबान से लड़ रहीं महिलाओं का प्रदर्शन तेज हो गया है। महिलाओं का प्रदर्शन काबुल से बढक़र उत्तर-पूर्वी प्रांत बदख्शां पहुंच गया है। वहां भी कई महिलाएं सडक़ों पर उतर आई हैं। इस बीच तालिबान ने महिलाओं को लेकर बेतुका बयान दिया है। तालिबानी प्रवक्ता सैयद जकीरूल्लाह हाशमी ने कहा- ‘एक महिला मंत्री नहीं बन सकती है। महिलाओं के लिए कैबिनेट में होना जरूरी नहीं है। उन्हें बच्चे पैदा करना चाहिए। उनका यही काम है। महिला प्रदर्शनकारी अफगानिस्तान की सभी महिलाओं का प्रतिनिधित्व नहीं कर रही हैं।
तालिबान ने अफगानी हीरो के मकबरे में तोडफ़ोड़ की
तालिबान ने गुरुवार को पंजशीर की राजधानी बाजारख में उत्पात मचाते हुए अफगानिस्तान के हीरो अहमद शाह मसूद के मकबरे में तोडफ़ोड़ कर दी। बता दें गुरुवार को ही मसूद की 20वीं बरसी थी। अमेरिका में 9/11 हमले के ठीक दो दिन पहले यानी 9 सितंबर 2001 को अलकायदा ने मसूद की हत्या की थी।
महिलाओं का प्रदर्शन कवर रहे पत्रकारों को कोड़ों से मार रहे तालिबानी
अफगानिस्तान में तालिबान सरकार की क्रूरता सामने आने लगी है। राजधानी काबुल के एक पुलिस स्टेशन में तालिबानियों ने दो पत्रकारों को चार घंटे तक बंधक बनाए रखा और कपड़े उतरवाकर कर बेंत, चाबुक और बिजली के तारों से उनकी बेदम पिटाई की। दोनों के शरीर पर घाव के निशान तालिबानी क्रूरता को बयां कर रहे हैं। इन पत्रकारों का कसूर सिर्फ इतना था कि इन्होंने काबुल में अपने अधिकारों और पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन कर रही महिलाओं की न्यूज को कवर किया था।
फोटोग्राफर नेमातुल्लाह नकदी ने एएफपी को बताया, ‘तालिबानियों में से एक ने मेरे सिर पर पैर रखा और कंक्रीट से मेरा चेहरा कुचल दिया। उसने मेरे सिर में लात मारी… मुझे लगा कि वे मुझे मारने जा रहे हैं।’ नेमातुल्लाह नकदी ने बताया कि रिपोर्टर तकी दरयाबी और उन्हें काबुल में एक पुलिस थाने के सामने महिलाओं द्वारा काम और शिक्षा के अधिकार की मांग करने वाले एक छोटे से विरोध को कवर करने का काम सौंपा गया था।
नकदी ने कहा कि जैसे ही उसने तस्वीरें लेना शुरू किया, तालिबान ने उन पर हमला कर दिया। उन्होंने कहा, आप फोटो नहीं ले सकते। फिर तालिबानियों ने हमसे फोन छीन लिए और हमें गिरफ्तार कर लिया। नकदी ने कहा कि तालिबान ने उनका कैमरा छीनने की कोशिश की, लेकिन वे भीड़ में किसी को सौंपने में कामयाब रहे। हालांकि, तीन तालिबानियों ने उन्हें पकड़ लिया और थाने ले जाकर पिटाई शुरू कर दी।
भारत ने कहा- तालिबान ने जो वादे किए, उन्हें निभाए
अफगानिस्तान के हालात पर भारत ने चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा है कि अफगानिस्तान में हालात अब भी नाजुक बने हुए हैं। साथ ही तालिबान को संदेश देते हुए कहा कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी दूसरे देश पर हमला करने या आतंकियों को शरण देने के लिए नहीं होना चाहिए। अभी अफगानिस्तान के बच्चों के सपनों को सच करने और अल्पसंख्यकों के हकों की रक्षा करने का वक्त है। भारत, अफगानिस्तान में एक ऐसी व्यवस्था की अपील करता है, जिसमें सभी वर्ग शामिल हों। तिरुमूर्ति ने काबुल एयरपोर्ट पर पिछले महीने हुए आतंकी हमले को लेकर कहा कि ये हमला दिखाता है कि आतंकवाद अफगानिस्तान के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है, इसलिए ये जरूरी है कि तालिबान ने आतंक के खिलाफ जो वादे किए गए हैं, उनका पालन किया जाए।
अमेरिका के 200 और नागरिकों को अफगान छोडऩे की अनुमति देने पर राजी हुआ तालिबान
तालिबान सरकार ने भारी दबाव के बाद अमेरिका के 200 और नागरिकों को अफगानिस्तान छोडऩे की मंजदूरी दे दी है। ये लोग अमेरिका की तरफ से काबुल एयरपोर्ट से चलाए गए इवैक्यूएशन ऑपरेशन के बाद भी फंसे हुए थे। गुरुवार को ही उन्हें चार्टर विमान से अमेरिका लाया गया। रॉयटर्स के हवाले से अमेरिकी अधिकारी ने इस बात की जानकारी दी है। हालांकि, अधिकारी ने यह नहीं बताया कि क्या ये वही लोग हैं, जो मजार-ए-शरीफ में फंसे हुए थे।

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