बगैर बधाई के पैसे नहीं होगी बच्चों की केयर, पीबीएम में आज भी बधाई के नाम पर चल रहा है गंदा खेल,प्रशासन मुकदर्शक, देखे वीडियों - Khulasa Online बगैर बधाई के पैसे नहीं होगी बच्चों की केयर, पीबीएम में आज भी बधाई के नाम पर चल रहा है गंदा खेल,प्रशासन मुकदर्शक, देखे वीडियों - Khulasa Online

बगैर बधाई के पैसे नहीं होगी बच्चों की केयर, पीबीएम में आज भी बधाई के नाम पर चल रहा है गंदा खेल,प्रशासन मुकदर्शक, देखे वीडियों

बीकानेर। संभाग की सबसे बडी अस्पताल को लेकर कई बार शिकायतें सामने आती है जिसमें एक बडी शिकायत है कि जब किसी महिला के डिलेवरी होती तो उसके बाद मौके पर बधाई लेने वालों की लाइन लग जाती जिससे महिला के साथ आने वाले परिजन परेशान हो जाते है। कई बार तो इनके द्वारा हदें पार कर ली जाती है अगर किसी के पास पैसे नहीं है तो ये मरीज व उनके परिजनों को इस कदर परेशान करते है जिससे परिजन हताश हो जाते है और उनके बच्चे की केयर नहीं की जाती उनको अंदर प्रवेश नहीं दिया जाता कभी कभार उनको बच्चा सौंपते तक नहीं है कुछ अलग से कहानियां बना लेते है कि बच्चा अभी बीमार है इसको नर्सरी में रखना पड़ेगा जान तक जा सकती है इस तरह से परिजन व बच्चे की मां को डराया जाता है। आखिर में परेशान होकर व डर के मारे परिजनों को पैसे देने ही पड़ते है। पीबीएम प्रशासन की लाख कोशिश के बावजूद भी यह बधाई के नाम पैसे लेने वाला गंदा धंधा बंद होने का नाम ही ले रहे है। हमने मौके पर जाकर इसका जायजा लिया तो मौके पर एक परिजन ने नाम नहीं छापने की नाम पर बताया कि मेरी पत्नी की डिलेवरी हुई है जब हुई तब से अब तक मैने करीब 2500 रुपये बधाई के तौर दे चुका है तब जाकर मेरे को राहत मिली है हर आधे घंटे के बाद कोई ना कोई आता और बधाई देने की बात करते नहीं देने पर गंदी गंदी गालिया निकालते है और कहते है कि अब देखते है तेरी रखवाली कौने आता है इस तरह के व्यवहार के डर से बेचरे परिजन अपने आने वाले चिराग व लक्ष्मी के लिए बधाई के तौर पर रुपये देते है। मजे की बात तो यह है प्राचार्य व जिला प्रशासन ने इसको बंद करने की लाख कोशिश कर ली लेकिन यह गंदा धंधा बंद होने का नाम ही ले रहा है। आखिर परिजन कब तक यह डर सहने करेंगे। जबकि जनाना ओटी के बाहर प्रशासन ने बड़े बड़े अक्षरों के माध्यम से बधाई मांगने वालें के खिलाफ उचित कार्यवाही करने के निर्देश दिये है। लेकिन यह आदेश सिर्फ कागज के टूकड़ों पर ही अच्छे लगते है इस पर अमल नहीं ली जा रही है।
बच्चों का चेहरा तक नहीं दिखते है
कुछ तो इतने पक्के दिल के होते है कि परिजन जब तक बधाई के नाम से रुपये नहीं देते तब तक व परिजनों व बच्चे की मां तक को बच्चे का चेहरा दिखाते नहीं है ना बच्चे की केयर करते है उसके साथ बड़ी बेरहमी से पेश आते है और परिजनों से सीधे मुंह बात नहीं करते है। आखिर मे तंग आकर बधाई के रुपये देते है तभी बच्चों को बाहर लेकर आते है और चेहरा दिखाते है।

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