
क्या वसुंधरा के आगे चलेंगे कांग्रेस के प्रयोग?:सिद्धि कुमारी लगा पाएंगी जीत का चौका!






जयपुर। आजादी के बाद राजा और उनकी राजशाही भले ही खत्म हो गई, लेकिन पूर्व राजपरिवारों का राजस्थान की सियासत में आज भी खासा दखल है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों ने इस बार भी पूर्व राजपरिवार के सदस्यों को मैदान में उतारा है।बीजेपी से 5 सदस्य चुनावी रण में हैं, जिनमें 4 महिलाएं शामिल हैं। वहीं कांग्रेस से राजपरिवार के एक सदस्य ही मैदान में हैं। राजपरिवारों से होना ही जीत की गारंटी नहीं होता है, लेकिन इन्होंने इस चुनाव को रोचक जरूर बना दिया है। कांग्रेस-भाजपा की तुलना करें तो कांग्रेस की बजाय भाजपा को पूर्व राजपरिवार ज्यादा पसंद हैं।
राजनीति का रॉयल कनेक्शन
बीकानेर के पूर्व महाराजा करणी सिंह 28 साल की उम्र में 1952 में सांसद बने।
जयपुर की पूर्व राजमाता गायत्री देवी 1962 में जयपुर से सांसद चुनी गईं। उनकी जीत गिनीज बुक में दर्ज है।
जैसलमेर के महारावल रघुनाथ सिंह बहादुर 1957 में बाड़मेर से सांसद बने।
जोधपुर राजपरिवार के हनुवंत सिंह ने 1952 में पूर्व सीएम जयनारायण व्यास को हराया।
चुनावी रण में उतरे पूर्व राजघराने
सिद्धि कुमारी : 25 वर्षों तक बीकानेर के सांसद रहे पूर्व महाराजा करणी सिंह की पोती पूर्व राजकुमारी सिद्धि कुमारी लगातार 3 बार से भाजपा विधायक हैं और अब एक बार फिर मैदान में है।
क्या जीत का चौका लगा पाएंगी सिद्धि कुमारी?
बीजेपी ने 2008 में बीकानेर के पूर्व राजपरिवार की सदस्य सिद्धि कुमारी को पहली बार चुनाव मैदान में उतारा था। उन्होंने कांग्रेस के डॉ. तनवीर मालावत को एकतरफा मुकाबले में हराया।
दूसरी बार 2013 में उन्होंने 31 हजार से अधिक वोटों से जीत हासिल की। 2018 में जीत का यह अंतर कम होकर केवल 7 हजार वोटों का ही रह गया। बीजेपी ने चौथी बार सिद्धि कुमारी को प्रत्याशी बनाया है। इनके सामने कांग्रेस ने यशपाल गहलोत को टिकट दिया है।यशपाल युवा हैं और कांग्रेस के शहर अध्यक्ष रहे हैं। जिस तरह उनका पिछले तीन चुनावों में जीत का अंतर कम हुआ है। उसे देखकर लगता है कि क्या वे इस बार जीत का चौका लगा पाएंगी।
दीया कुमारी की सीट बदली पर जीत बरकरार
दीया कुमारी 2013 में सवाई माधोपुर से विधायक रह चुकी हैं। यह चुनाव उन्होंने 8 हजार वोटों से जीता था। 2019 में उन्होंने राजसमंद से लोकसभा का चुनाव 5 लाख से अधिक वोटों से जीता था।
इस बार बीजेपी ने उन्हें जयपुर की विधाधर नगर सीट से प्रत्याशी बनाया है। दीया कुमारी लगातार सीट बदलने के बावजूद लगातार चुनाव जीत रही हैं। दीया कुमारी पर भ्रष्टाचार के कोई आरोप नहीं है और उनकी छवि भी कुल मिलाकर साफ सुथरी है। इस बार वे बीजेपी की सुरक्षित मानी जाने वाली विधाधर नगर सीट से मैदान में हैं।


