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व्यास कॉलोनी में रहने वाली कांता आहूजा को अपने बारे में ‘मंदोदरी भाभी’ शब्द सुनकर क्यों है गर्व? जाने इस खास रिपोर्ट में

खुलासा न्यूज बीकानेर। यदि किसी महिला को पड़ोसी मंदोदरी भाभी कहकर संबोधित करे तो वो क्या महसूस करेगी, निश्चित रूप से वो नाराज होगी, मगर बीकानेर के व्यास कालोनी में रहने वाली कांता आहूजा को अपने बारे में ये शब्द सुनकर गर्व होता है। इनका कारण है यह कि इनके ही ससुराल में तीन पीढिय़ों से करणी सिंह स्टेडियम में दशहरा पात्र के रूप में रावण का रोल निभाने की परंपरा आज तक निभाई जा रही है। सर्व प्रथम स्व माधव दास आहूजा ने 15 वर्षों तक रावण का किरदार निभाया। फिर उनके पुत्र सिल्वर जुबली शिवाजी आहूजा ने 25 वर्ष तक झांकी में अभिनय किया। अब माधव दास आहूजा के सुपोत्र रंगकर्मी, पत्रकार रहे के कुमार आहूजा 20 वर्षों से परिवार की परंपरा को निभा रहे है। पिछले 60 सालों से अपने परिवार की परंपरा का निर्वहन कर रहे है। अपने कद-काठी खतरनाक अट्टहास के साथ आहूजा ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है। बीकानेर दशहरा कमेटी टीम को इनके अभिनय पर नाज है। जहां भगवान राम है वहां दशानन भी एक नियति है, सत्य पर असत्य की जीत, सही माने में असत्य, दुर्गति और साधु जनों को परीत्रा न से बचाने को प्रभु राम का अवतार प्रासंगिक है। वही राम के हाथों से मुक्ति पाने के लिए दशानन यानी रावण का जन्म भी एक नियति है। बीकानेर दशहरा कमेटी परिवार को के कुमार आहूजा के किरदार को लेकर नाज है।

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