खुलासे वाली खबर पर टाइगर क्यों आया गुस्सा…

खुलासे वाली खबर पर टाइगर क्यों आया गुस्सा…

पंचनामा : उषा जोशी

खुलासे वाली खबर पर टाइगर क्यों आया गुस्सा…
जांगळ देश के टाइगर अपने मातहतों के मीडिया प्रेम से बड़े नाराज हैं। वे भयंकर गुस्से में हैं। उनका गुस्सा जायज भी है। टाइगर जिस वारदाता का खुलासा अपनी प्रेस कॉन्फ्रेस में करना चाहते थे, मातहतों ने उसे पहले ही मीडिया को बता दिया। मीडिया ने भी उस खुलासे को बगैर टाइगर के नाम के खबर बनाकर चला दिया। ऐसे में टाइगर गुस्सा होना बनता है। और तो और टाइगर ने मातहतों की करतूत की नाराजगी में प्रेस कान्फ्रेंस में उस बड़ी वारदात का खुलासा ही नहीं किया जिसके लिये प्रेस कॉन्फ्रेस बुलाई गई थी। टाइगर ने पीसी में लूट की वारदातों को अंजाम देने वाले गिरफ्तार लोगों की केवल उस लूट का ही जिक्र किया जिसका खुलासा पहले नहीं किया गया जबकि शहर के एक डाकघर को लूटने वाली मुख्य लूट की वारदात पर कुछ नहीं कहा। जिसके बारे में जानने के लिये हर कलमकार भागकर थाने पहुंचा था। पता चला कि टाइगर ने शहर के एक थाने में बुलाई गई इस प्रेस कान्फ्रेस से पूर्व मातहतों को जबरजंग लताड़ भी लगाई। बहरहाल टाइगर मीडिया में बिगड़ी अपनी छवि सुधारने का प्रयास करते हैं मगर मातहत उसमें पलीता लगा देते हैं। ऐसे में गुस्सा जायज है।
अजगर करे ना चाकरी, पंछी करे ना काम…
लगता है कि जांगळ देश में खाकीधारियों की काम के प्रति उदासीनता ने अपराधियों, चोर उच्चकों, लुटैरो, बदमाशों, गुंडों, जुआरियों, सटोरियों, नशेडिय़ों, तस्करों, मादक पदार्थों की अवैध बिक्री करने वालों, अवैध हथियारों का धंधा करने वालों के अच्छे दिन ला दिये हैं। शहर में दिनदहाड़े दो बाइक सवार लुटैरे डाकघर लूट लेते हैं।खुले आम फायरिंग की घटनायें हो रही हैं। वाहनों की चोरी थमने का नाम नहीं ले रही। हथियारों व मादक पदार्थों की तस्करी बेखौफ जारी है। मगर जांगळ देश के टाइगर अपनी वाहवाही के लिये एक पत्रकार वार्ता में बड़ी घटनाओं पर टिप्पणी करने की बजाय एक एजेन्ट से हुई लूट का ही खुलासा कर इतिश्री कर लेते हैं।
बाकी मामलों पर आने वाले दिनों में जानकारी देने की गोली देकर प्रेस नोट पकड़ा देते हैं। ये अच्छी बात नहीं सर जी।
मायरा भराई टैक्स से जेब भारी करते खाकीधारी
शहर के एक थाने में अवैध रूप से वसूले जा रहे मायरा टैक्स से इस थाने पहुंचने वाले परिवादी और आरोपी भयंकर परेशान हैं। पता चला है कि इस थाने के खाकीधारी किसी को भी बगैर मायरा टैक्स लिये छोड़ते नहीं है। सुना है एक बार इस थाने में कार्यरत किसी कार्मिक की पुत्री की शादी में थानेवालों ने अपनी ओर से अच्छा खासा मायरा भरा था। आला खाकीधारियों की फौज इस मायरे की रस्म में शामिल हुई थी। तभी से इस थाने वाले खाकीधारियों को मायरा टैक्स वसूलने का आइडिया आया। अब ये थाने पहुंचने वाले हर किसी से मायरा टैक्स के नाम पर अपनी जेबें भर रहे हैं।
अपने गांव-गुवाड़ से आये परिचितों को भी ये खाकीधारी बगैर टैक्स की रकम अदा करवाये जाने नहीं देते। थाने का नाम आप सोच कर रखो। अगली बार मैं बता दूंगी।
ओ पालनहारे निर्गुण और न्यारे…
कोरोना वायरस या कहें कोविड-19 जांगळ देश के कई थानेदारों के लिये पालनहार बना हुआ है। ये कोरोना काल ही है कि जिसके कारण थानों से कई थानेदारों की विदाई रुकी हुई है। नयाशहर वाले थानेदारजी इसी माह निबटने थे, कोरोना के चलते नहीं निबटे। सदर वाले सर-सर कहते हुए अपनी थानेदारी आगे ही आगे सरकाते जा रहे हैं। जेएनवी थाने वाले थानेदारजी भी देवी-देवताओं के साथ कोरोना की जे जे कर रहे हैं। शहर के थानेदार तो कोरोना के कारण जैसे तैसे बचे हुए हैं। गांवों में इधर-उधर करने का काम अभी चुनाव ने रोक रखा है। यही कारण है कि थानों में जमे हुए थानेदारों के इन दिनों अच्छे दिन चल रहे हैं।

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