जांच के बाद भी आखिर क्यों बचाया जा रहा है भ्रष्टाचारियों को,सिस्टम पर उठ रहे सवाल

जांच के बाद भी आखिर क्यों बचाया जा रहा है भ्रष्टाचारियों को,सिस्टम पर उठ रहे सवाल

बीकानेर। पारदर्शी सरकार का दावा करने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार को उन्हीं के अधिकारी किस तरह भ्रष्टाचार कर बदनाम कर रहे है। इसका ज्वलंत उदाहरण बीकानेर जिले में देखने को मिल रहा है। जहां बीकानेर कोलायत तहसील क्रय विक्रय सहकारी समिति लि. में करोड़ों रूपये की मूंगफली खरीद के हैण्डलिंग व परिवहन निविदा में भ्रष्टाचार हुआ है। जिनकी जांच होने के बाद भी उनके खिलाफ अब तक कार्यवाही अमल में नहीं लाई जा रही है। मजे की बात तो यह है कि इस प्रकरण में आरोपित मुख्य व्यवस्थापिका सुमित्रा चौधरी के खिलाफ बीछवाल थाने में मामला दर्ज होने के बाद भी अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है।
यह है मामला
समर्थन मूल्य मूंग व मूंगफली खरीद बीकानेर कोलायत तहसील क्रय विक्रय सहकारी समिति लि के 12 बीघा केन्द्र में हैण्डलिंग व परिवहन के लिये ई टेण्डर आमंत्रित किये गये। जिसमें फर्म बीकानेर एन्टरप्राइजेज द्वारा ई टेण्डर प्रक्रि या में भाग लिया गया। जिसमें नियमानुसार 71.86 बिलो बीएसआर पर कार्य के लिये कार्य सम्पादन की प्रतिभूति राशि 64.67 राशि जमा करवाने के लिये आदेशित किया गया। इस राशि को बीकानेर एन्टरप्राइजेज की ओर से जमा करवा दी गई। जिसकी पुष्टि मुख्य व्यवस्थापिका सुमित्रा चौधरी द्वारा उप रजिस्ट्रार सहकारी समितियां को 19.11.19 को लिखे अपने पत्र में की है। लेकिन इसके उपरान्त भी बीकानेर एन्टरप्राइजेज को यह ठेका नहीं देकर खान सप्लायर्स को यह ठेका दे दिया और जहां 71.86 बिलो बीएसआर को दिया जाना था,वहीं यह ठेका 1.86 बिलो बीएसआर पर खान सप्लायर्स को दे दिया। जबकि बीकानेर कोलायत तहसील क्रय विक्रय सहकारी समिति लि द्वारा ही अपने पत्र क्रमांक 495 (2 अगस्त 19)के द्वारा भविष्य में निविदा में भाग न लेने के योग्य नहीं माना और तीन माह बाद ही इसी फर्म को ठेका मिलना भ्रष्टाचार की ओर इंगित करता है।
निलंबित हो चुकी है सुमित्रा चौधरी,फिर भी गड़बड़ी में भागीदार
बताया जा रहा है कि मुख्य व्यवस्थापिका का कार्य देख चुकी सुमित्रा चौधरी पूर्व में निलंबित हो चुकी है और इस प्रकरण के चलते एपीओ भी चल रही है। किन्तु आश्चर्य की बात यह है कि जनवरी महीने में निलंबन पर स्टे होने के दौरान दोबारा ज्वाइन करने पर उप रजिस्ट्रार सहकारी समितियां को दिये गये पत्र (17.1.20) में चौधरी ने बताया कि सीसीटीवी कैमरे चालू नहीं थे तथा स्टाफ को पूछने पर ज्ञात हु आ कि पूर्व व्यवस्थापक द्वारा कैमरे बंद करवा दिए। चौधरी ने डीवीआर की चांबी नहीं होने और दूसरी चांबी से खोलने पर डीवीआर के गायब होना और महत्वपूर्ण रिकार्ड भी खुर्दबुर्द होने का अंदेशा जताया।
जांच अधिकारी ने सौंपी रिपोर्ट
उधर जांच अधिकारी अतिरिक्त रजिस्ट्रार सहकारी समितियां रविन्द्र कुमार पुरोहित ने 23 दिसम्बर 19 को पांच पृष्ठिय रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया है कि बीकानेर एन्टरप्राइजेज जो टेण्डर प्रक्रिया में एल-1 घोषित हुई थी। उसको कार्य आदेश राशि जमा होने के बावजूद कार्य आदेश जारी नहीं कर अपने पदीय दायित्व के विपरित जाकर एल-2 (खान सप्लायर्स)के साथ अनुबंध एवं कार्य आदेश दिए। जो मुख्य व्यवस्थापिका सुमित्रा चौधरी द्वारा विधि(वित्तिय एवं प्रशासनिक) विपरित लिया गया निर्णय है। साथ ही इस रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि मुख्य व्यवस्थापिका द्वारा निविदा खोले जाते समय एवं अनुभव प्रमाण पत्र जारी करते समय एल-2 के स्तर पर टेण्डर प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लेने दिया गया।

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