
कौन बनेगा बीकानेर यूआईटी का अध्यक्ष? नियुक्तियों की आस लगाए बैठे नेताओं को गुटबाज़ी से झटका, यह है यूआईटी चेयरमैन की रेस में






– संपादक कुशाल सिंह मेड़तिया की विशेष रिपोर्ट
खुलासा न्यूज़ , बीकानेर । राजस्थान में सीएम की कुर्सी को लेकर चल रहे झगड़े ने बीकानेर सहित प्रदेश भर में कांग्रेस के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं की उम्मीदों को झटका दिया है। पिछले दो सप्ताह में अशोक गहलोत और सचिन पायलट गुट के बीच संघर्ष चरम पर आ पहुंचा है। ऐसे में बीकानेर सहित प्रदेशभर की यूआईटी और अन्य राजनीतिक नियुक्तियों की उम्मीद कर रहे नेताओं को झटका लगा है।
हालातों को देखते हुए यह मुश्किल लगता है कि यूआईटी या प्राधिकरणों में जल्द नियुक्तियां हो। ऐसे में यह माना जा रहा है कि ये नियुक्तियां अब गुजरात चुनाव तक होने की संभावनाएं नहीं हैं। इससे कई नेताओं की उम्मीदों को झटका लगेगा जो यह मान रहे थे कि कम से कम सरकार के सवा साल रहते उनकी इन पदों पर नियुक्ति हो सकती है।
यूआईटी चेयरमैन पद इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये जिले के राजस्व और विकास से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण संस्थाएं होती हैं। यही वजह है कि बड़े-बड़े नेता इन पदों की लाइन में होते हैं।
बता दें कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार बनने के बाद से बीकानेर में चेयरमैन के पद खाली हैं। यहां कलेक्टर या संबंधित अधिकारी ही इन पदों को अतिरिक्त जिम्मेदारी के रूप में संभाल रहे हैं। यूआईटी बीकानेर में पिछले विधानसभा चुनाव में दो बार जिनका टिकट कटा यशपाल गहलोत, मकसूद अहमद, सुशील थिरानी दावेदारी कर रहे हैं।
आपको बता दें कि न्यास अध्यक्ष पद पर वैश्य और मुस्लिम वर्ग की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। इसके अलावा ओबीसी और अन्य वर्ग की दावेदारी भी कम नहीं है।इन दावेदारों में से मंत्री डॉ. कल्ला की खास पसंद कौन है? इसे लेकर राजनीतिक गलियारों में कयासों का दौर तेज है।
नेताओं में मायूसी : एक साल ही बचेगा
कांग्रेस में निगम और बोर्ड में राजनीतिक नियुक्तियां भी इसी साल फरवरी में की गई थी। वहीं कई नियुक्तियां अब भी नहीं होने से नेताओं और कार्यकर्ताओं में मायूसी है। उनका मानना है कि अगर गुजरात चुनाव तक यह नियुक्तियां खिंचती हैं तो सिर्फ एक साल ही बचेगा। आम तौर पर यूआईटी में कम से कम दो साल का कार्यकाल तो लोगों को मिलता ही है।


