
कही फार्मेल्टी तो नहीं शहर भाजपा अध्यक्ष का चुनाव ?






बीकानेर। शहर भाजपा जिलाध्यक्ष के निर्वाचन को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चा जोर शोर से हो रही है कि भाजपा जिलाध्यक्ष का निर्वाचन महज फार्मेल्टी है। सब कुछ अंदरखाने में तय है। दिखावटी तौर पर ये प्रक्रिया की गई है। जानकारी के अनुसार आवेदन के साथ साथ आवेदकों से सहमति पत्र भी साथ भरवाएं गये है। लोकसभा,विधानसभा व निगम चुनाव के साथ मंडल अध्यक्षों के निर्वाचन में अपना जलवा दिखा चुके केन्द्रीय मंत्री की रफ्तार को रोक ने के लिये विरोधी जी जान से लगे हुए है। जिसके चलते जिलाध्यक्ष के निर्वाचन भाजपा के लिये गलफांस बना हुआ है। मेघवाल विरोधी केन्द्रीय मंत्री के चेहते के अलावा किसी भी कार्यकर्ता को जिलाध्यक्ष बनाने के लिये अड़े है तो केन्द्रीय मंत्री का खेमा अपने चेहते को इस पद पर आसीन करने का आमदा है। जिसके लिये नियमों में भी बदलाव व शिथिलता कर दी गई है। एक कार्यकर्ता ने अपना नाम न छापने की शर्ते पर बताया कि ऐसा पहली बार हुआ है कि अध्यक्ष पद के लिये भरवाएं गये आवेदन के साथ साथ सहमति पत्र भी भरवा लिये गये है। ताकि आमजन में ये संदेश जाएं कि सब कुछ सहमति से ही हुआ है।
आचार्य व सुराणा का पलड़ा भारी
विश्वस्त सूत्रों से जानकारी मिली है कि जिलाध्यक्ष पद की दौड़ में विजय आचार्य और मोहन सुराणा का पलड़ा सबसे ज्यादा भारी है। हालांकि विजय आचार्य ने जिला स्तर पर अध्यक्ष पद के लिये भरे गये आवेदन में अपना फॉर्म जमा नहीं करवाया है। उन्होंने प्रदेश कार्यालय में ही अपना आवेदन दिया है। हालांकि अध्यक्ष के लिये दीपक पारीक का नाम भी चर्चा में है। लेकिन पारीक को अपनों से ही लोहा लेना पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि उन्हीं के वरिष्ठ सदस्य उनके खिलाफ जिले से प्रदेश स्तर तक मोर्चा खोले खुलेआम विरोध पर उतर गये है। ये भी जानकारी मिल रही है कि सुराणा के लिये केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल लॉबिंग कर रहे है तो विजय आचार्य के लिये संघ लॉबी के साथ प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां का भी झुकाव है। ऐसे में देखने वाली बात ये होगी कि क्या अर्जुनराम मेघवाल का जिलाध्यक्ष नियुक्ति में भी जादू चलेगा या उन्हें संघ की पसंद पर समझौता करना पड़ेगा।
अपने ही नियमों में किया बदलाव
आमतौर पर अपने विपक्ष पर पार्टी में लोकतंत्र नहीं होने की बात कहने वाली भाजपा के हालात ऐसे हो गये की अपने चेहतों को मंडल अध्यक्ष व शहर अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज करने के लिये नियमों तक में शिथिलता तक बरत रही है। मंजर ये है कि मंडल अध्यक्ष पद के लिये पार्टी ने 40 वर्ष की उम्र की योग्यता को निर्धारित किया था। साथ ही मंडल अध्यक्ष उसी मंडल का वांशिदा भी होना आवश्यक तय किया गया। किन्तु गंगाशहर मंडल अध्यक्ष व रानीबाजार मंडल अध्यक्ष के निर्वाचन में तय मापदंड़ों को दरकिनार किया गया। इन दोनों ही मंडलों के अध्यक्ष 55 वर्ष की उम्र के है। जबकि रानीबाजार मंडल अध्यक्ष उसी मंडल के निवासी नहीं है। जिसकी मतदाता सूची के साथ कई पदाधिकारी जयपुर जाकर प्रदेशाध्यक्ष से मिलकर उनसे इसकी शिकायत दर्ज करवाई।
16 वोट में 25 उम्मीदवार
भाजपा जिलाध्यक्ष के लिये पार्टी के संविधान के अनुसार एक मंडल से दो मतदाता अपने मताधिकार करेंगे। जिसमें एक मंडल अध्यक्ष और एक प्रतिनिधी वोट डालेगा। मंगलवार को नामांकन प्रक्रिया के तहत अध्यक्ष पद के लिये नामांकन भरे गये। ऐसे में करीब 25 जने अध्यक्ष बनने की जुगत में है। अगर इसी तरह निर्वाचन की प्रक्रिया अपनाई जाएं तो अध्यक्ष पद के लिये वोटिंग की स्थिति में एक जने को दो मत मिलेंगे। इनमें एक मंडल अध्यक्ष और एक प्रतिनिधि का वोट पड़ेगा।


