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आखिर निगम इन नालों की सफाई कब करेंगा, क्या शहर के इन इलाकों का डूबने का कर रहा है इंतजार, देखे वीडियों

आखिर निगम इन नालों की सफाई कब करेंगा, क्या शहर के इन इलाकों का डूबने का कर रहा है इंतजार, देखे वीडियों


बीकानेर। मानसून सीजन में शहर के कई ऐसे नाले है मुख्य नालों की सफाई न होने से जरा सी बरसात में भी शहर डूबने लगता है। अगर नाले साफ हों तो शहर शायद ही कहीं पानी भरे। इसको लेकर खुलासा टीम ने शहर के कई नालों की सफाई को लेकर हकीकत जानी तो सामने आई कि कुछ नाले तो ऐसे है जो पूरी तरह भरे हुए है उन में से पानी आगे जाने मुश्किल है जो बरसात के दिनों में पूरे भर जाते है और पानी बाहर आने से आसपास के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। निगम प्रशासन हर बार मानसून से पहले बड़े बड़े दावे करता है कि हमने शहर के सभी नालों की सफाई करवा दी है और अब आमजन को बरसाती पानी से परेशान नहीं होने पड़ेगा लेकिन उनके दावे शहर में एक बारिश ही पोल खोल कर रख देती है। आचार्य की बगेची व मोहता की सराय से होकर जाने वाला नाले आगे पूरी तरह गंदगी से भरा हुआ पड़ा है और पूरे नाले पर मकान मालिकों ने ऊपर से कवर कर दिया है जिससे नालों की पूरी सफाई नहीं हो रही है। प्रशासन ने इस ओर ध्यान दिया और लोगों ने नाले के पास व ऊपर मकान बना लिये जिससे नालों की सफाई करते समय परेशानी होती है। प्रशासन अब उस पर कोई कार्यवाही नहीं कर रही है। उसके बाद कोई मकान गिरा जाता है और कोई बड़ा हादसा होता है तब जाकर प्रशासन की नीदं खुलती है। सूजानदेसर रोड बद्री भैरु मंदिर के पास नाले की सफाई लगता है कभी हुई ही नहीं है।
शहर में छोटे बड़े मिलाकर 100 से ऊपर नाले है
बीकानेर शहर में छोटे-बड़े मिलाकर करीब 142 नाले शहर में हैं मगर 12 मुख्य नाले वो हैं जहां छोटे-बड़े नाले आकर मिलते हैं। इन 12 में से सफाई की सबसे ज्यादा दिक्कत उन नालों में हो रही जिन्हें पाट दिया गया। 50-50 मीटर की दूरी पर सिर्फ चैंबर बनाए गए हैं। सफाई भी सिर्फ इन चैंबरों की होती है। चैंबर एक प्वाइंट हैं मगर एक चैंबर से दूसरे चैंबर की दूरी 50 मीटर के बीच जो सिल्ट या कचरा जमा है उसे सालों से साफ नहीं किया गया। वरना शहर के नाले इतने गहरे और लंबे हैं कि बारिश के पानी की एक बूंद नहीं टिक सकती मगर सिर्फ सफाई ना होने के कारण बारिश के बाद शहर 10 से 15 घंटों तक पानी में डूबा रहता है।
छोटे नालों की सफाई का नंबर ही नहीं आ रहा। निगम अधिकारियों का मानना है कि प्रमुख बड़े नाले ही अगर साफ हो जाएं तो ही शहर में पानी नहीं टिकेगा।
इन नालों पर हो रखा है अतिक्रमण
सुजानदेसर से खुदखुदा रोड- सुजानदेसर के सामुदायिक भवन से खुदखुदा रोड तक
बेसिक स्कूल से सुजानदेसर-बेसिक स्कूल,नत्थूसर गेट, बेनीसर बारी, जनता प्याऊ, खुदखुदा रोड सुजानदेसर डिस्पोजल प्वाइंट तक
जूस सेंटर से पुलिस लाइन-एक जूस सेंटर से कमला कॉलोनी, नगर निगम भंडार के पीछे, विनोबा ग्राउंड के पीछे पुलिस लाइन तक तक। सांसियों के मोहल्ले तक- जूस सेंटर से कालू मोदी रोड, सांसियों के मोहल्ले तक।
जगह-जगह खुदे गड्ढे न बन जाए आफत
अमृत योजना के तहत शहर में सीवर लाइन बिछाने और चैम्बर निर्माण का कार्य चल रहा है। निर्माण कार्य की अव्यवस्था से हालात ऐसे है कि कई मार्गों पर यातायात जाम रहता है।कुछ मोहल्लों में तो लोगों का घरों से बाहर निकलना ही दुभर हो गया है। चैंबर निर्माण के लिए गड्ढे खोदकर छोड़ दिए जाते है, निर्माण कार्य कई दिन बात शुरू किया जाता है। चैम्बर निर्माण के बाद मिट्टी हटाकर सडक़ को समतल कर साफ-सफाई का कार्य किया ही नहीं जाता। अभी तक सीवरेज प्रोजेक्ट के तहत महज 500 सीवर चैम्बर निर्माण का कार्य ही ठेकेदार फर्म ने शुरू कर रखा है। इसमें ही जनता की आफत आ गई है। मानसून की बारिश में कहीं ये गड्ढे आफत न बन जाए।
बारिश के दिनों नगर डूबा जाता है पानी से
बारिश के मौसम में परेशानी का सामना तो आमजन को ही करना पड़ता है। क्योंकि आधे घंटे की तेज बारिश के बाद पुरानी गिन्नाणी क्षेत्र में सबसे पहले जलभराव हो जाता है।निगम तो पूरा पानी में डूबा जाता है यहां तो स्थिति यह हो जाती है की पहले जलभराव की वजह से बाहर नहीं निकल पाते है। उसके बाद कीचड़ से हाल बेहाल हो जाते है। इसके अलावा पुलिस लाइन चौराहे पर कई घंटों तक लंबा जाम लगा रहता है। जबकि इस सडक़ से हजारों की संख्या में वाहन निकलते है। सूरसागर के आगे भी जलभराव होने की वजह से वाहनों को घूमकर जाना पड़ता है। सूरसागर से फर्नीचर मार्केट की तरफ जाने वाली सडक़ की स्थिति पिछले एक साल से ही वैसी की वैसी पड़ी है। यहां बारिश के दौरान कई बार जूनागढ़ की खाई की दीवार भी टूट जाती है। लेकिन यह सभी समस्याएं आमजन की है इसलिए कोई सुनवाई नहीं है।

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