जेईई और नीट की कोचिंग के गढ़ कोटा में कब तक खुलेंगे कोचिंग इंस्टीट्यूट, पढ़ें पूरी रिपोर्ट - Khulasa Online जेईई और नीट की कोचिंग के गढ़ कोटा में कब तक खुलेंगे कोचिंग इंस्टीट्यूट, पढ़ें पूरी रिपोर्ट - Khulasa Online

जेईई और नीट की कोचिंग के गढ़ कोटा में कब तक खुलेंगे कोचिंग इंस्टीट्यूट, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

कोटा। कोटा का कोचिंग उद्योग फिर से जीवंत होने की संभावना बन रही है। कोटा के हॉस्टल और मैस संचालकों सहित इस कारोबार से जुड़े विभिन्न तबके के लोगों ने जिला कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन करके अगले महीने से कोचिंग संस्थान को शुरू करने की मांग का ज्ञापन मुख्यमंत्री को भेजा है। अब से करीब दो- ढाई दशक पहले तक राजस्थान के तीसरे सबसे बड़े शहर कोटा को औद्योगिक नगरी के रूप में जाना जाता था और औद्योगिक विकास की दृष्टि से प्रदेश का सबसे समृद्ध शहर होने के कारण इसे’राजस्थान का कानपुर’भी कहा जाता था। समय बदला-हालात बदले और एक के बाद एक कोटा के कई बड़े उद्योग बंद होने लगे तो इन उद्योगों के सहायक इकाइयों के रूप में स्थापित कई लघु उद्योगों को भी ताले लग गए और हजारों लोग बेरोजगार होकर सड़क पर आ गए हैं।
कोचिंग सिटी बन गया है कोटा
ऐसे में कोटा में कोचिंग व्यवसाय उभरा और उसने अपने पांव पसारे। देखते ही देखते कोटा में एक के बाद एक कोचिंग संस्थान खुलते गए और कोटा एक समृद्ध कोचिंग सिटी के रूप में विकसित हो गया। पिछले एक दशक से तो कोटा को देश के प्रमुख ‘कोचिंग सिटी’ में से एक माना जाता रहा है जहां हर साल स्थानीय और प्रदेश के अलावा देश के विभिन्न राज्यों से एक से डेढ़ लाख छात्र विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों जैसे आईआईटी, मेडिकल कॉलेज आदि में प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग के लिये कोटा आते रहे हैं।
करोड़ों रुपए के कर्ज के बोझ तले दबे कोचिंग व्यवसाय पर निर्भर लोग
उद्योगों के बंद होने के बाद उजड़े कोटा शहर में आर्थिक मोर्चे पर रोनक एक बार फिर इसके कोचिंग सिटी के रूप में विकसित होने के कारण आई। इससे ढेरों सारी आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिला। जैसे हॉस्टल, होटल, मैस, रेस्टोरेंट जैसे व्यवसाय ही नहीं बल्कि सड़कों पर खान-पान के ठेले लगाने वाले भी शामिल थे और यह सभी व्यवसाय खूब फले- फूले लेकिन करीब आठ महीने पहले कोरोना का ऐसा ग्रहण लगा कि न केवल समृद्ध कोचिंग व्यवसाय चौपट हुआ बल्कि उससे जुड़े हॉस्टल- होटल-मैस जैसे व्यवसाय भी बंद होने लगे। यहां तक की कोचिंग संस्थानों के आसपास खोमचे लगाने वालों से लेकर नगरीय परिवहन से जुड़े ओटो, मिनी डोर, मिनी बस संचालकों के कारोबार पर भी प्रतिकूल असर पड़ा। नतीजा यह निकला कि अब कई व्यवसाई सड़क पर आ गए हैं और कई तो करोड़ों रुपए के कर्ज के बोझ के तले दब गए हैं।
ऐसे में एक बार फिर से कोटा में कोचिंग संस्थानों को फिर से चालू करने की अनुमति देने के लिए विभिन्न संगठनों ने अभियान शुरू किया है ताकि कोचिंग संस्थानों के बंद होने के कारण तबाही के कगार पर पहुंच गई कोटा की अर्थव्यवस्था को संबल प्रदान किया जा सके। कोचिंग इंडस्ट्री के बंद होने से हजारों लोगों का रोजगार और हाथों से खाने का निवाला छिन गया है।
एक मोटे- मोटे अनुमान के मुताबिक कोटा में कम से कम तीन हजार हॉस्टल हैं और इनमें रहने वाले छात्रों की संख्या के मुताबिक हॉस्टलों और कोचिंग संस्थानों के आसपास में बड़ी संख्या में मैस संचालित होते हैं। ज्यादातर हॉस्टल संचालकों ने बैंकों एवं अन्य वित्तीय संस्थानों से करोड़ों रुपए का ऋण लिया हुआ है। अगस्त से मोनोटोरियम की सुविधा समाप्त हो जाने के बाद अब हॉस्टल संचालकों पर कर्ज चुकता करने का भार आ गया है। हॉस्टल खाली है- मैस वीरान है। उनके मालिक कहते हैं कि जब उनका अपना खर्चा नहीं निकल रहा तो स्टाफ को कैसे रखें? ऐसे में हजारों की नौकरी गई और उन्हें पलायन करना पड़ा। उन्हीं सब हालात से निपटने के लिए शुक्रवार को कोटा के हॉस्टल और मैस संचालकों सहित इस कारोबार से जुड़े विभिन्न तबके के लोगों ने जिला कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन करके अगले महीने के शुरुआत से ही कोटा के कोचिंग संस्थान को शुरू करने की मांग का ज्ञापन मुख्यमंत्री को भेजा ताकि कोटा की बिगड़ती अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाया जा सके। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यदि कोटा के आर्थिक हालात नहीं संभले तो कई दीर्घकालीन दुष्परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं इसलिए समय रहते कोचिंग इंडस्ट्री को जीवंत किया जाना बहुत जरूरी है। उनका यह भी कहना था कि कोटा में कोचिंग संस्थान तो फिर भी शुरू हो जाएंगे लेकिन अगर यहां के आर्थिक हालात बद से बदतर हो गए तो उन्हें संभालना मुश्किल हो जाएगा इसलिए राज्य सरकार को समय पर रहते हुए कोटा के कोचिंग संस्थानों को शुरू करने की अनुमति दे देनी चाहिए।

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