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जज ने मार्कशीट मांगी तो बच्ची बोली: कभी स्कूल नहीं गई, कोर्ट ने दिए आदेश 

हैबियस कॉपर्स(बंदी प्रत्यक्षीकरण) मामले में एक किशोरी को कोर्ट में पेश किया गया। इस पर किशोरी की उम्र जानने के लिए जज ने मार्क शीट मांगी तो उसने कहा कि मैं कभी स्कूल नहीं गई। इस पर जज हैरत में पड़ गए और पुलिस से किशोरी का एडमिशन करवाने को कहा। जस्टिस संदीप मेहता व विनोद कुमार भारवानी की डिवीजन बैंच ने इस मामले में सुनवाई के दौरान एसएचओ जमील खान को गांव की स्कूल में किशोरी का आरटीआई के तहत एडमिशन करवाने के आदेश दिए।

दरअसल, अपनी नाबालिग बेटी के दो-तीन महीने पूर्व गायब होने पर एक पिता ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी। जोधपुर की चाखू गांव की पुलिस ने बच्ची को कोर्ट में पेश किया। इस पर कोर्ट ने उससे बंद कमरे में बातचीत की तो उसने बताया कि वह अपनी इच्छा से पिता का घर छोड़ कर गई थी। लेकिन, अब वह अपने पिता के घर रहना चाहती है। ऐसे में उसे पिता के साथ भेज दिया गया। वास्तविक उम्र में असमंजस होने पर कोर्ट ने मार्क शीट मांगी तो उसने बताया कि वह कभी स्कूल नहीं गई। इस पर खंड पीठ ने थानाधिकारी को यह सुनिश्चित करने को कहा कि बालिका को सरकारी प्राथमिक विद्यालय, आजसर, पंचायत समिति बाप में प्रवेश दिलाया जाए। साथ ही निर्देश दिए कि बच्ची को शिक्षा का अधिकार मिले।

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