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आखिर इनका क्या होगा? ना इधर के न उधर के

बीकानेर। जिला प्रशासन कोरोना संक्रमण के बचाव के लिये देश भर लॉक डाउन कर दिया गया। ऐसे में सरकार ने जिला स्तर पर भामाशाहों की मदद से जरूरतमंदों को खाना व राहत सामग्री पहुंचाने के लिये कहा। जिला प्रशासन बीकानेर ने नगर निगम को भामाशाहों के द्वारा दी जाने वाली राहत के लिये नगर निगम को अधिकृत कर सर्वें करवा जरूरतमंदों को राहत पहुंचाने का काम भी शुरू किया। लेकिन लोगों की शिकायत है कि निगम ने आधे अधूरे सर्वे किया है और सर्वे किया है तो उन लोगों तक राहत पहुंच नहीं पा रही है। ऐसे में कुछ जरूरतमंद तो ऐसे है तो न तो निगम के सीमा वार्डों में है और न ही ग्राम पंचायतों के।
पहले निगम चुनावों में सीमांकन को लेकर उपेक्षाओं के शिकार हुए और अब मदद की आस में बैठे ये लोग अपने आप को असहाय मान रहे है। जबकि नगर विकास न्यास की ओर से इन्हें पट्टे वितरित कर रहे है। आखिर परिसीमन से अछूते जरूरतमंदों का आखिर क्या होगा। से सोचने वाला प्रश्न है।
ये क्षेत्र अभी है राहत से अछूते
खुलासा को मिली जानकारी के अनुसार जयपुर रोड स्थित आर के पुरम,वृन्दावन एनक्लेव,सागर सेतू,चन्द्रा देवी नगर,वैष्णोधाम नगर,अरहिन्त नगर,विराट नगर जैसे 54 कॉलोनियों न तो नगर निगम के 80 वार्डो में आते है और न ही शहर के भामाशाहों की नजर में। इन लोगों से बातचीत की तो यहां झुग्गीयों व कच्चे मकानों में रहने वाले लोगों का कहना है कि पहले उन्हें वोट से वंचित रखा गया। अब ऐसे संकट में राहत देने से। जब जिला प्रशासन की ओर से जारी नंबरों पर सहायता की गुहार लगाते है तो जबाब मिलता है कि वार्ड पार्षद से मिले। मजे की बात तो यह है इनका न तो वार्ड पार्षद है और न ही सरपंच। इन कॉलोनियों व विहार में रहने वालों का रहनुमा आखिर कौन है।
प्रशासन ऐसे लोगों पर भी दे ध्यान
वैसे तो जिला प्रशासन अपने स्तर पर व स्वयंसेवी संस्थाओं की मदद से राहत कार्य कर रहा है। किन्तु प्रशासन ने कुछ संस्थाओं का चयन ऐसा कर लिया है। जो पर्याप्त राहत पहुंचा नहीं रही। बल्कि जरूरतमंदों को जबाब दे रही है कि जहां प्रशासन कहेगा,वहीं राहत दी जाएगी। ऐसे में प्रशासन को चाहिए कि वे सही तरीके से मॉनिटरिंग कर वास्तव में राहत की आवश्यकता वाले लोगों तक जरूरत का सामान व भोजन की व्यवस्था करवावें।

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