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राजस्थान में तीसरा मोर्चा बना तो कांग्रेस-बीजेपी को क्या नुकसान?:75 सीटों को कर सकते हैं प्रभावित

जयपुर। पुरानी कहावत है- तीन तिगाड़ा, काम बिगाड़ा। इसी च्तीनज् ने राजस्थान की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों कांग्रेस और भाजपा की चिंता बढ़ा दी है। पिछले कुछ दिनों के सियासी घटनाक्रमों ने टू पार्टी स्टेट कहे जाने वाले राजस्थान में थर्ड फ्रंट तीसरे मोर्च की चर्चाएं छेड़ दी हैं।
माना जा रहा है कि 2023 के चुनाव में राजस्थान में थर्ड फ्रंट बेहद अहम रोल अदा करने वाला है। इस फ्रंट की सियासी हलचल को हवा दी है क्ररुक्क प्रमुख हनुमान बेनीवाल ने। पिछले दिनों बेनीवाल ने एक तरफ जहां सचिन पायलट को आगे आकर अलग पार्टी बनाने का प्रस्ताव दिया।
वहीं दूसरी ओर खुद उनकी आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल और पंजाब के ष्टरू भगवंत मान के साथ कई तस्वीरें भी सामने आईं। इसी बीच राजस्थान के पूर्व डिप्टी ष्टरू सचिन पायलट ने अपनी ही सरकार के खिलाफ अनशन ने इन संभावनों को और हवा दे दी।
चुनावी साल में पल-पल बदल रही सियासी हवा के बीच हमने जाना कि राजस्थान में 2023 में अगर थर्ड फ्रंट मजबूती से खड़ा होता है तो राजस्थान की राजनीति पर कितना असर होगा? साथ ही अगर थर्ड फ्रंट प्रभावी रहता है तो उससे क्चछ्वक्क और कांग्रेस को किस तरह नुकसान पहुंचेगा?
पहले समझ लेते हैं कि थर्ड फ्रंट क्या है और यह राजस्थान में कैसे काम करेगा?
राजस्थान में थर्ड फ्रंट दो तरह से प्रभावी हो सकता है। एक अलग-अलग तरीके से और दूसरा संगठित तरीके से।
अलग-अलग पार्टियों के तौर पर देखें तो राजस्थान में इस बार आम आदमी पार्टी, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, भारतीय ट्राइबल पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और ्रढ्ढरूढ्ढरू जैसी पार्टियां चुनाव लडक़र अलग-अलग क्षेत्र से सीटें जीतने की कोशिश करेंगी।
वहीं अगर संगठित तौर पर देखा जाए तो क्ररुक्क, आम आदमी पार्टी और क्चञ्जक्क साथ आ सकती हैं। हालांकि क्चञ्जक्क का झुकाव कई बार कांग्रेस की ओर भी रहता है। मगर इस बार माना जा रहा है कि कई मसलों को लेकर क्चञ्जक्क पूरी तरह अलग रहेगी। इधर अगर सचिन पायलट को लेकर जाहिर की जा रही संभावनाएं भी इसी दिशा में आगे बढ़ती हैं तो बेनीवाल के कहे अनुसार एक नया थर्ड फ्रंट देखने को मिल सकता है।

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