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आज ऐसा क्या है कि शाम को लक्ष्मीनाथ मंदिर में पुरुषों को प्रवेश नहीं मिलेगा

 

आज ऐसा क्या है कि शाम को लक्ष्मीनाथ मंदिर में पुरुषों को प्रवेश नहीं मिलेगा
बीकानेर। भाद्र पद महीने की कृष्ण पक्ष की छठ को ऊब छठ कहा जाता है। उबछठ…यानी खड़ी छठ आज शनिवार को मनाई जा रही है। विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु के लिए तथा कुंवारी लड़कियां अच्छे वर की कामना के लिए व्रत रखा है। शनिवार को चद्र दर्शन के बाद महिलाएं और युवतियां व्रत खोलेंगी। इससे पहले सुबह स्नान करने के बाद वें मंदिरों में दर्शन करने जाएंगी। शाम को सूर्यास्त के बाद
खड़ी रहेंगी। पानी का भी सेवन नहीं करेंगी। रात को चंद्रोदय होने पर अघ्र्य देकर ही व्रत खोलेंगी। शनिवार को च्रदोदय रात 10.26 बजे होगा। मन्नासा के अनुसार इस दिन भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम जी का प्राकट्य दिवस है। इसलिए इसे हलचंदन षष्ठी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मंदिरों में जाकर भगवान बलराम कृष्ण को चंदन अर्पित करने का महत्व है।
महिलाएं पूरे दिन निराहार रहकर शाम को देव दर्शन और बाद में चंद्र दर्शन के बाद ही अपने व्रत को पूरा करती हैं। वे नगर के प्रमुख मंदिरों के दर्शन करने के लिए जाती हैं।कथा-कहानी सुनती हैं। हिंदू धर्म में आराधना जप, तप, दान और यंत्र से की जाती है। महिलाओं का यह व्रत तप का ही रूप है। व्रत करने वाली महिलाएं सूर्यास्त के बाद से चंद्र उदय होने तक खड़ी रहेंगी यानी बैठेंगी नहीं। चंद्रदर्शन करने के बाद ही व्रत को पूरा करेंगी।
ऊब छठ के दिन बड़ी संख्या में नगर सेठ लक्ष्मीनाथ मंदिर में महिलाएं दर्शन करने जाएगी। इसी के तहत मंदिर प्रशासन की ओर से शाम 7.30 बजे के बाद मंदिर में पुरुषों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा। 7.30 से रात 10.30 बजे तक केवल महिलाएं ही मंदिर में दर्शन कर सकेंगी। केवल महिलाओं को दर्शन की यह व्यवस्था रियासत काल से चली आ रही है। इस दौरान बड़ी संख्या में पुलिस प्रशासन भी रहता है।

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