
ऐसा क्या हुआ कि गहलोत व पायलट सहित कांग्रेस विधायकों ने काली पट्टी बांधी






जयपुर। राजस्थान की 16वीं विधानसभा का पहला सत्र बुधवार को सुबह ठीक 11 बजने के साथ ही शुरुहुआ। पहले दिन कांग्रेस विधायक दल के सभी विधायक अपनी बाहों में काली पट्टी बांधकर पहुंचे। इस ज़रिए कांग्रेस विधायकों ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्षी दलों के विधायकोंके निलंबन पर अपना विरोध दर्ज करवाया।काली पट्टी बांध ली शपथ
कांग्रेस विधायकों ने काली पट्टी बांधकर ना सिर्फ विधानसभा में एन्ट्री ही ली, बल्कि सदन के अंदरपहुंचकर विधायक पद की शपथ के दौरान भी काली पट्टी पहने रहे। काली पट्टी बांधने वालों में पूर्वसीएम अशोक गहलोत, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के अलावा शान्ति धारीवाल और गोविंदसिंह डोटासरा सरीखे वरिष्ठ विधायक भी शामिल रहे।पहली बार काली पट्टी बांध ली शपथ
राजस्थान विधानसभा के इतिहास में संभवत: ये पहली बार है जब नव निर्वाचित विधायकों के इतनेबड़े समूह ने एक साथ काली पट्टी बांधकर विधायक पद की शपथ ली हो। वहीं ये भी पहली बारहै जब कांग्रेस पार्टी के विधायकों ने अपने विधायक पद पर काली पट्टी बांध शपथ ली है।
सांसदों का निलंबन लोकतंत्र पर प्रहार : गहलोत
पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने मंगलवार को एक प्रतिक्रिया में कहा, ‘संसद की सुरक्षा में चूक केगंभीर मामले पर चर्चा की मांग करने पर विपक्ष के 92 सांसदों को निलंबित करना लोकतंत्र परप्रहार है। नेता प्रतिपक्ष रहते हुए स्व. अरुण जेटली एवं सुषमा स्वराज ने कहा था कि सदन का कामचर्चा करना है, पर कई बार सरकार जरूरी मुद्दों पर चर्चा नहीं करती है तो सदन की कार्यवाही कोविपक्ष लोकतंत्र के हित में बाधित करता है।सदन की कार्यवाही बाधित करना भी लोकतंत्र का हीएक रूप है।
गहलोत ने कहा, ‘क्क्र सरकार के समय विपक्ष में रहते हुए क्चछ्वक्क ने कई बार 12 दिन से अधिकसमय तक सदन की कार्यवाही नहीं चलने दी, पर उस समय इस प्रकार सांसदों को निलंबित करनेकी कार्रवाई नहीं की गई। यह हृष्ठ्र सरकार की अलोकतांत्रिक सोच का परिचायक है।’संसद की मर्यादा और गरिमा का अपमान डोटासराकांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने वर्चुअल माध्यम से सांसदों के निलंबन मामले परविरोध जताया है। अपनी प्रतिक्रिया में डोटासरा ने कहा, ‘संसद की मर्यादा और गरिमा का अपमानकरते हुए इतिहास में पहली बार सवाल पूछने वाले विपक्ष के 141 सांसदों को सस्पेंड किया गया,सदन में लोकतंत्र की हत्या की गई। संसद की सुरक्षा में हुई गंभीर चूक का जवाब देने की बजायतानाशाही सरकार सवाल पूछने वालों को मौन करने में लगी है।’

