
प्राइवेट स्कूलों की फीस पर क्या बोले शिक्षा मंत्री





नई दिल्ली। शिक्षा मंत्री ने कहा, फीस पर सहानुभूति से पेश आएं प्राइवेट स्क फिलहाल ऑनलाइन ही रहेगा पढ़ाई का पसंदीदा तरीका सस्ते टैबलेट आदि उपलब्ध करवा कर दूर करेंगे डिजिटल डिवाइड- ऑनलाइन पढ़ाई में प्राइवेट स्कूलों के खर्च काफी कम हुए। उधर, बहुत से अभिभावकों की आय बुरी तरह प्रभावित हुई है। लेकिन स्कूल कोई रियायत नहीं दे रहे। फीस की टीस कम करने सरकार हस्तक्षेप नहीं कर सकती देश भर से कई अभिभावकों की ओर से मेरी जानकारी में यह लाया गया है कि संकट के इस काल में भी कई स्कूल अपनी वार्षिक फीस बढ़ा रहे हैं। बहुत से स्कूल तीन महीने की फीस एक साथ जमा कराने के लिए कह रहे हैं। मैं सभी स्कूलों से अनुरोध करता हूं कि वे कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में सहयोग करें और इस महामारी के बीच अभिभावकों के साथ सहानुभूति रखें और अपने फैसले पर फिर से विचार करें। मैंने अप्रैल में भी फीस नहीं बढ़ाने की अपील की थी।प्रश्न- च्पत्रिकाज् के बहुत से पाठकों की शिकायत है कि निर्देशों का खुला उल्लंघन कर प्राइवेट स्कूल छात्रों के नाम काटने की धमकी दे रहे हैं। क्या कदम उठाए गए हैं? शिक्षा समवर्ती यानी केंद्र और राज्य दोनों का विषय है। राज्य सरकारें भी महामारी के दौरान छात्रों के शिक्षा के अधिकार की रक्षा के लिए कई कदम उठा रही हैं। उदाहरण के लिए, राजस्थान हाई कोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे छात्रों को ट्यूशन फीस का 70 प्रतिशत जमा कर पढ़ाई ऑनलाइन जारी रखने की अनुमति दें। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने आदेश दिये हैं कि शुल्क का भुगतान न करने वाले छात्रों के नाम पंजाब के निजी स्कूलों के रोल से नहीं हटेंगे। दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने भी आदेश दिये हैं कि स्कूल से किसी का नाम नहीं कटेगाप्रश्न- प्रतियोगिता परिक्षाओं को ले कर छात्रों को कई परेशानियां आईं। क्या स्थानीय स्तर पर दिशा-निर्देशों का पालन नहीं हो पाया?छात्रों का स्वास्थ्य और उनकी सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। इसीलिए परीक्षा आयोजित करने वाली प्रत्येक संस्था ने कई उपाय किए हैं।मैं आपको नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की ओर से जेईई और एनईईटी जैसी परीक्षाएं करने के लिये किये गये उपायों के बारे में बताता हूं। कोई भी फैसला लेने से पहले परीक्षा में शामिल प्रत्येक हितधारी को निर्णय में शामिल किया गया। चिकित्सा विशेषज्ञों की उच्च-स्तरीय समिति की सिफारिशों के आधार पर स्टेंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजऱ बनाया गया। छात्रों की आवाजाही की सुविधा के लिए राज्य सरकारों को भी लिखा गया। प्रश्न- नए दिशा-निर्देश के बावजूद कम ही राज्यों में स्कूल खुल रहे हैं? क्या जो चाहें, उनको स्कूल जाने का विकल्प उपलब्ध होना चाहिए?गृह मंत्रालय से जारी दिशा-निर्देशों में राज्य सरकारों को 15 अक्टूबर के बाद स्कूलों और कोचिंग संस्थानों को क्रमिक रूप से खोलने का फैसला लेने की छूट दी गई है। वे स्थिति का आकलन कर और स्कूल प्रबंधन से परामर्श कर फैसला ले सकते हैं। लेकिन फिलहाल ऑनलाइन या डिस्टेंस लर्निंग ही पढ़ाई का पसंदीदा तरीका बना रहेगा और इसे प्रोत्साहित किया जाएगा।प्रश्न- कोरोना के बाद से बुरी तरह प्रभावित शिक्षा व्यवस्था कब तक यह सामान्य हो पाएगी?कोरोना ने तो पढ़ाई को बहुत प्रभावित किया है। लेकिन मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हमने इस दौरान वेब पोर्टल और मोबाइल एप्लिकेशन से ही नहीं बल्कि टीवी चैनल और रेडियो जैसे विविध तरीकों से भी हमारे बच्चों तक पहुंचने के लिए काम किया है। इसका बहुत असर भी दिखा है। इसके साथ-साथ ही कई पहल की गई, जैसे वैकल्पिक शैक्षणिक कैलेंडर, प्रज्ञाता दिशा-निर्देश, शिक्षकों के लिए कार्यक्रम और लर्निंग एन्हांसमेंट दिशा-निर्देश आदि। इन सबके जरिए कोशिश है कि स्कूली शिक्षा में निरंतरता को बनाए रखा जा सके।प्रश्न- गरीब छात्रों की पढ़ाई के साथ ही मिड डे मील भी प्रभावित रहा है।


