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धारा 144 को लेकर क्या बोले-बजरंग दल के नेता दुर्गासिंह, देखें वीडियों…

बीकानेर. विश्व हिंदू परिषद तथा बजरंग दल की ओर से जिला कलक्टर को धारा 144 के विरुद्ध ज्ञापन दिया गया। जिसमें हिंदू समाज के समस्त आयोजनों पर प्रशासन के द्वारा धार्मिक अनुष्ठानों पर अनुमति लेने बात रखी गई। साथ ही हिन्दू समाज की भावनाओं पर जी चोट पहुँची है, उससे अवगत कराया गया। जिसमें जिला कलक्टर ने स्पष्ट किया गया कि किसी धार्मिक आयोजन यथा माताजी के दर्शनार्थ पैदल यात्रा, जागरण, भण्डारा, गणगोर पूजन महोत्सव के लिए धारा 144 लागू नहीं होगी। ज्ञापन देने के लिए बजरंग दल के विभाग संयोजक दुर्गासिंह, विक्रम सिंह, विश्व हिन्दू परिषद के महानगर अध्यक्ष अनिल शर्मा, उपाध्यक्ष ऋषिराज भाटी, मंत्री विनोद सेन तथा छेलूसिंह, राजवीर सिंह जी आदि कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

उपरोक्त विषयान्तर्गत लेख है कि वर्ष प्रतिपक्ष व चैत्र नवरात्रि के अवसर पर आप द्वारा धारा 144 लगाए जाने से समस्त हिन्दू समाज व हिन्दू संगठनों में रोष व्याप्त हो रहा है। क्योकि धर्म नगरी बीकानेर की स्थापना ही मां करणी जी के द्वारा की गई है। अत: बीकानेर वासियों के लिए नवरात्रि में पाठ पूजा, जागरण व पद यात्रा आदि आयोजनो का विशेष महत्व है और बड़ी संख्या में समाज इन आयोजनो को घर-घर विभिन्न मौहल्लों, चौक आदि मे करता आया है। हजारों की संख्या में लोग करणी माता के दर्शनार्थ देशनोक तक पद यात्रा करते हैं ऐसे में जब कोरोना की महामारी के चलते ये सभी आयोजन व उत्सव दो साल के बाद आयोजित हो रहे है तो समाज मे इनको लेकर विशेष उत्साह है और लोग सामान्य से अधिक उत्साह से नवरात्रा के अवसर पर इन आयोजनोको करने की तैयारी कर रहे है। ऐसे में आपका धारा 144 लगाने या अनुमति लेकर कोई कार्यक्रम करने का यह आदेश हिन्दू समाज के लिए धोर पीडादायक है । विगत दो वर्ष कोरोना महामारी के चलते समाज ने सरकार की सभी गाईड लाईन का पालन किया सभी मंदिर व आयोजनो व त्यौहारोए उत्सवों पर रोक का पूर्ण रूप से पालन किया जबकि सरकार द्वारा समाज विशेष के त्यौहार पर छूट दिए जाने को भी चुपचाप देखा और कोई विरोध नहीं किया लेकिन अब जबकि कोई भी कोरोना आदि महामारी या किसी भी प्रकार की कोई विकट परिस्थितियों नहीं है और सब कुछ सामान्य चल रहा है तब आपका ये आदेश आना और हिन्दू समाज के उत्सवों आयोजनो पर रोक या शर्ते लगाना उचित नहीं है। अत: आपसे अनुरोध है कि तुरन्त आपके इस आदेश को वापिस लिया जाये ताकि हिन्दू समाज अपने इन उत्सवों को हर्षोल्लास के साथ मना सके। अगर अभी भी प्रशासन कोई हठधर्मिता का रैवेया अपनाता है तो हिन्दू समाज अपने धार्मिक अधिकारों की रक्षा के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र व समर्थ है व संघर्ष के पथ पर अग्रसर होगा जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी सरकार व प्रशासन की होगी।

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