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हमें किसी का डर नहीं: क्या पुलिस प्रशासन पर राजनैतिक दबाब, बदमाश बेखौफ चाय की दुकानें वापस खुली,

बीकानेर। शहर में देर रात को खुलने वाली चाय की दुकानों पर सटोरियों व नशे के सौदागरों का भारी जमावड़ा रहता है जिसकी खबरे खुलासा न्यूज ने प्रमुखता प्रकाशित की जिस पर पुलिस ने कार्यवाही करते हुए दुकानों को रात दस बजे बंद भी करवा दी लेकिन एक दिन बाद ही वहीं दुकानें वापस देर रात तीन बजे तक खुली रही। लगता है पुलिस पर राजनैताओं का पूरा दबाब है क्योंकि पार्टियां अपने वोट बैंक के चक्कर में शहर को गर्त में डाल रहे है। अगर देखा जाये तो शहर के 70 प्रतिशत युवा नशे की जकड़ में फंस गये है। जिनको शाम होते ही नशा चाहिए। यह नशा देर रात शहर के अंदर खुलने वाली चाय, नशाते की दुकानों पर बैठने वाले सटोरियां, नशे के सौदागरों द्वारा उनको आसानी से उपलब्ध करवा देते है। पुलिस की लाख कोशिश के बाद भी पुलिस नशा पकडऩे में विफलता हाथ लगी है इसका मुख्य कारण है स्थानीय पुलिस स्वयं इन सटोरियों व नशे के सौदगरों के बीच बैठकर चाय व सिगरेट पीते नजर आते है तो नशे के सौदगरो को डर नहीं रहा है। शहर की छोटी- छोटी गलियों में छुपाकर रखते है जहां से आसानी से नशेडियों को उपलब्ध करवा देते है।
मेडिकल स्टोरों पर बिकती है प्रतिबंधित सिरप
शहर के कई ऐसे मेडिकल स्टोरि है जहां पर खांसी व अन्य सिरप मिलती है जिसमें नशा होता है कुछ प्रतिबंधित दवाई है जो सिर्फ डॉक्टर की पर्ची पर ही दी जाती है लेकिन दो रुपये मुनाफे के चक्कर में मेडिकल स्टोर वाले रात को चार गुना दामों में बेचते है। जो सिरप दिन में 30 रुपये में मिल जाती है वहीं सिरप रात को 120 रुपये मूल्यों पर उपलब्ध होती है और तो और वाटरसअप में ऑर्डर बुक किये जाते है और नशेडिय़ों के गन्तव स्थानों पर डेलीवरी दे जाती है। जानकारी ऐसी मिली है कि कुछ मेडिकल स्टोर वाले है जो प्रतिबंधित दवाई शहर की तंग गलियों में अपने गोदाम बना रखे है वहीं रखते है वहीं से रात को ऑर्डर पर थैले में डालकर डेलीवरी दे जाती है। इन स्थानों पर नशा का कारोबार
शहर के नत्थुसर गेट्र नाथ की धोरा, करमीसर रोड़, मोहता चौक, गोपेश्वर बस्ती, फड़बाजार, कोतवाली थाने के पीछे,मुक्ता प्रसाद, जस्सूसर गेट के बाहर व अंदर बजरंग धोरा इलाका, गंगाशहर रोड़, जैन स्कूल के पास सुनी सडक़ पर शाम होते ही तस्कर घुमने शुरु हो जाते है। यह सभी वह स्थान है जहां पर नशेडियों को आराम से नशे का समान मिल जाता है।
सबसे ज्यादा नशा बिकता है चाय की दुकानों पर
अगर देखा जाये तो शहर के अंदर व बाहर जितनी भी चाय की दुकानें है जो देर रात तीन बजे तक खुली रहती है वहीं पर नशे के सौदागरों का माल बिकता है नशा बेचने वाले प्राय:बाहरी युवक है जो शाम होते है शहर के युवकों के साथ शहर में आ जाते है बाद में यह अपना धंधा करते है। नाम नहीं छापने की शर्त पर एक जने ने बताया कि शहर में जितनी चाय व नाशते की दुकाने जो देर रात को खुली रहती है उन सभी पर नशे का कारोबार बड़े स्तर पर होता है। लेकिन पुलिस की पकड़ से दूर है इसका मुख्य कारण है पुलिस स्वयं इन्ही नशेडियों व जुआरियों के बीच बैठकर गप्पे हॉकते नजर आते है तो उनको पुलिस का कोई खौफ नहीं है। इसलिए तो पुलिस की कार्यवाही से पहले ही उन तक सूचना मिल जाती है और मौके से रवाना हो जाते है।

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