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रियायत दरो पानी देने की योजना पर फिरा पानी

बीकानेर। महीने में 15 हजार लीटर पानी का उपयोग करने पर बिल में रियायत देने की योजना पर पानी फिर गया है। प्रदेश सरकार ने 2019 में इसकी घोषणा की थी। इसके तहत तय सीमा में पानी खर्च करने पर उपभोक्ताओं को सिर्फ 49.50 रुपए का शुल्क चुकाना था। सरकार का दावा था कि प्रदेश के 16 प्रतिशत उपभाेक्ताओं काे इसका सीधा फायदा होगा।
लेकिन हकीकत ये है कि 5 से 10 प्रतिशत उपभाेक्ताओं काे ही लाभ मिल रहा। वजह, जलदाय विभाग बिना मीटर रीडिंग के बिल भेज रहा है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि हमारे पास मीटर रीडिंग करने के लिए कर्मचारी नहीं हैं। इसका नतीजा ये हो रहा है कि उपभोक्ताओं को अंदाजे से ही बिल भेजे जा रहे हैं। वहीं, पीएचईडी ने पिछले आठ साल से नए मीटर नहीं लगाए हैं। घरों में लगे मीटर खराब होने पर लोगों ने बाजार से खरीद कर लगवा लिए।
बीकानेर शहर में पानी के 1.5 लाख कनेक्शन हैं। इसमें से सिर्फ 5 से 8 हजार लोगों को ही बिल में छूट मिल रही है। यानी सरकार की इस योजना का लाभ सिर्फ 5 प्रतिशत लोगों तक ही पहुंच रहा है। वहीं, विभागीय अधिकारियों का आंकलन है कि मीटर रीडिंग हो तो सर्दियों में 60 और गर्मियों में 30 प्रतिशत उपभोक्ताओं को बिल में छूट का फायदा मिल सकता है। वहीं, वित्तीय वर्ष का आखिरी महीना हाेने के कारण पीएचईडी ने बकाया जमा कराने के लिए उपभोक्ताओं को नाेटिस भेजने शुरू कर दिए हैं। उपभोक्ताओं को चेतावनी दी जा रही कि अगर मार्च तक बकाया जमा नहीं कराया तो उनका पानी का कनेक्शन काट दिया जाएगा।
तय सीमा में पानी के उपयोग पर आना था 49.50 रु. बिल, अफसरों को नहीं पता ऐसे कितने उपभोक्ता, लेकिन ये मान रहे कि 60% को मिलता फायदा
पानी का बिल औसतन 150 से 350 रुपए के बीच आता है। राशि कम है इसलिए उपभोक्ता भी ध्यान नहीं देते। लेकिन प्रति उपभोक्ता 200 का बिल भी मानें तो शहर के 1.5 लाख उपभोक्ताओं को हर महीने 3 करोड़ रुपए चुकाने पड़ने हैं। अधिकांश उपभाेक्ताओं के पानी के मीटर बंद पड़े हैं।
जिनके मीटर चालू भी हैं वे ये नहीं देखते कि महीने में कितने लीटर पानी का उपयाेग कर रहे हैं। विभाग के पास मीटर रीडर के कार्मिक ही नहीं है। टंकियाें पर लगे कार्मिकाें काे फरवरी-मार्च में फील्ड में उतारकर नाेटिस भिजवाए जाते हैं। इसलिए विभाग के पास भी ये डेटा नहीं है कि कितने घरों में 15 हजार लीटर से कम या ज्यादा पानी का इस्तेमाल हाे रहा है। भास्कर ने अतिरिक्त मुख्य अभियंता से लेकर डिवीजन के एक्सईएन से सवाल किया ताे किसी के पास इसका जवाब नहीं था। विभाग के पास इसका डेटा ही नहीं है।
क्या करें उपभाेक्ता : सबसे पहले पानी का मीटर चालू कराएं। मीटर रीडिंग में पानी की खपत 15 हजार लीटर से कम है ताे पानी के बिल की रीडिंग से मिलान करें। अगर पानी के बिल और आपके मीटर की रीडिंग अलग-अलग हो ताे स्थानीय जेईएन या एईएन से शिकायत करें। ताकि आप हर महीने अतिरक्त बिल चुकाने से बच सकें। पीएचईडी की मीटर रीडिंग के भरोसे ना रहें।

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