
बीकानेर: नहरबंदी से फिर जलसंकट की दस्तक, जलाशयों में बचा महज इतने दिन का ही पानी






बीकानेर। प्रदेश के दस जिलों में नहरी पानी की आपूर्ति बंद होने से फिर जलसंकट की दस्तक सुनाई देने लगी है। पांच दिन से बीकानेर शहर को आपूर्ति करने वाले शोभासर और बीछवाल जलाशय में नहर से पानी की आपूर्ति नहीं हो रही। दोनों जलाशयों में 15 दिन का पानी भंडारित रखने की क्षमता है। ऐसे में अब महज दस दिन का पानी ही बचा है। उधर, ग्रामीण अंचल में नहर से पानी नहीं मिलने का असर दिखने लगा है। जलदाय विभाग गुरुवार को नहरी विभाग के साथ वार्ता कर भंडारित पानी में से लोगों को पेयजल आपूर्ति में कटौती पर विचार करेगा। एक तरह से हालात फिर अप्रेल-मई की नहरबंदी जैसे बन रहे हैं। श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर और जैसलमेर के किसानों को सिंचाई के लिए पानी की आपूर्ति तो बंद किए ही दस दिन हो गए हैं। ऐसे में खरीफ की फसलों को पानी नहीं मिलने से किसान चिंतित हैं। बारिश से कुछ राहत जरूर है, लेकिन सिंचाई पानी अपनी जगह है।
जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता (उत्तर क्षेत्र) अमरजीत मेहरड़ा ने बताया कि ओटू हैड पर लगातार गेज बढ़ रहा है। घग्घर नदी में 14 हजार क्यूसेक पानी आ रहा है। इसमें से नाली बेल्ट में बुधवार को पानी बढ़ाकर 5800 क्यूसेक कर दिया गया। इसमें से 3200 क्यूसेक इंदिरा गांधी नहर परियोजना और अनूपगढ़ ब्रांच में शिफ्ट किया जा रहा है। आरडी 629 इंटेंक स्ट्रक्चर से नहर में पानी दिया जा रहा है। आईजीएनपी में अभी बिरधवाल हैड से नीचे पानी की आपूर्ति शून्य है। यानी इंदिरा गांधी नहर परियोजना में बीकानेर, जैसलमेर, जोधपुर, बाड़मेर समेत आठ जिलों में नहरी पानी की आपूर्ति दस दिन से बंद है। हरिके बैराज से 10 जुलाई को राजस्थान फीडर में पानी की आपूर्ति शून्य कर दी गई थी।


