वाह रे नगर निगम:महज आदेश निकालता,अनुपालना में फिसड्डी

वाह रे नगर निगम:महज आदेश निकालता,अनुपालना में फिसड्डी

सख्ताई के बाद भी विवाह भवनों का पंजीकरण नहीं
बीकानेर। सरकारी आदेशों की अनुपालना किस तरह होती है। इसका जीता जागता उदाहरण निगम की ओर से विगत 100 दिन पहले निकाले गये आदेश है। जिसमें शहर में संचालित विवाह स्थलों का नगर निगम में पंजीयन करवाने की अनिवार्यता के निर्देश दिए गये थे। साथ ही आगामी सात दिनों में विवाल स्थलों के पंजीयन करवाने की बात की गई थी। ऐसा नहीं क रने वाले विवाह स्थल शादी विवाह समारोह की बुकिंग नहीं करने को कहा गया था। लेकिन इसकी अनुपालना कितनी हुई ये सामाजिक कार्यकर्ता रविन्द्र सारस्वत की ओर की गई शिकायत के बाद दी गई सतर्कता समिति की रिपोर्ट बता रही है। जिसमें आयुक्त प्रदीप के गंवाड़े ने बताया कि कुल 165 विवाह स्थलों में से केवल 40 विवाह स्थलों का ही पंजीयन हो पाया है। यानि पहले जितने भवनों का पंजीयन हुआ था। उनमें किसी ्रप्रकार की कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। बताया जा रहा है कि निगम ने ऐसे 95 विवाह स्थल-भवनों को नोटिस भी जारी किए हुए हैं। इसके बाद भी पंजीयन न होना निगम की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा रहा है।
बार बार नोटिस फिर भी पंजीयन नहीं
हालात ये है कि समाचार पत्रों के माध्यम और व्यक्तिगत नोटिस देने के बाद भी विवाह स्थल पंजीयन करवाने में आनाकानी कर रहे है। जिस कारण नगर निगम द्वारा वसूल किया जाने वाला शुल्क निगम कोष में जमा नहीं हो रहा है। हालांकि अधिकारी अंतिम नोटिस देने की बात कह कर टालमटोल की स्थिति में लगे है। किन्तु वास्तिवकता ये है कि निगम अधिकारियों व कार्मिकों की लचर व्यवस्था के कारण भवन संचालकों के हौसले बुलंद है। शहर में अधिकतर विवाह स्थल निगम में पंजीयन के बिना चल रहे हैं। निगम जानकारी के अनुसार पंजीयन के बिना करीब 95 विवाह स्थल संचालित हैं, जबकि 40 विवाह स्थलों का पंजीयन कराया हुआ है। विवाह स्थलों का पंजीयन करने और ऐसा नहीं करने वाले संचालकों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग भी उठती रही है, लेकिन निगम की ढुलमुल नीति के चलते अधिकतर विवाह स्थल बिना पंजीयन और आग से सुरक्षा के उपायों के बिना चल रहे हैं।
ें फायर एनओसी भी नहीं
शहर में संचालित अधिकतर विवाह स्थल आग से सुरक्षित नहीं हैं। नगर निगम के आंकड़ों पर नजर डालें तो शहर में महज दस विवाह स्थल संचालकों के पास ही अनापत्ति प्रमाण पत्र (फायर एनओसी) है। हालत यह है कि अधिकतर विवाह स्थलों का नगर निगम में पंजीयन ही नहीं है। वे बिना पंजीयन ही धड़ल्ले से चल रहे हैं और हर साल लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं। नगर निगम प्रशासन की उदासीनता के कारण आग से सुरक्षा के पुख्ता इतंजामों के बिना पंजीकृत व अपंजीकृत चल रहे करीब 90 फीसदी विवाह स्थलों पर कार्रवाई तक नहीं हो रही है।शायद निगम प्रशासन किसी दुर्घटना होने का इंतजार कर रहा है। विवाह स्थलों में समारोह के दौरान सैकड़ों लोगों की भीड़ जुटती है। ऐसे में आग से सुरक्षा के पुख्ता इंतजामों में बरती जा रही कोताही पर जिम्मेदार भी ध्यान नहीं दे रहे हैं। विवाह स्थल में ज्वलनशील पदार्थ और जल्द आग पकडऩे वाले साधनों की मौजूदगी के बावजूद ऐसी लापरवाही कभी आमजन पर भारी पड़ सकती है।
नवीनीकरण करवाएं
निगम ने शहर में पंजीकृत विवाह स्थलों के संचालकों को भी नोटिस जारी किए हैं। इन विवाह स्थलों को पंजीयन का नवीनीकरण करवाने, भवनों के बाहर अपशिष्ट नहीं डालने, कचरा नहीं फैलाने, वातावरण को प्रदूषित नहीं करने के आदेश दिए गए हैं। आदेश की पालना में की जाने वाली कार्रवाई से निगम को बताने के लिए भी कहा गया है।
नियम-कायदे ताक पर
शादी-समारोह और कार्यक्रमों में उपयोग आने वाले विवाह स्थलों में नियम-कायदे ताक पर है। शहर में करीब छह दर्जन विवाह स्थलों का नगर निगम में पंजीयन ही नहीं है। यहीं नहीं, पिछली बार करीब तीन दर्जन विवाह स्थल संचालकों ने निगम में पंजीयन करवाया था, उनमें से अधिकतर ने इस बार पंजीयन का नवीनीकरण ही नहीं करवाया है। इसके बावजूद निगम प्रशासन कार्रवाई से बच रहा है। वहीं कुछ फाइलें भवन सुरक्षा प्रमाण पत्र को लेकर निगम में ही अटकी पड़ी हैं।

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