
भाजपा में फिर वसु गुट की उपेक्षा,दो साल के राजनीतिक सफर वाले को मिली अध्यक्ष पद की कमान,वरिष्ठों को किया किनारे






खुलासा न्यूज,बीकानेर। अपने आपको अनुशासन कहने वाली भाजपा में इन दिनों अग्रिम संगठनों की नई टीमों का गठन किया जा रहा है। इन नियुक्तियों में एक बार फिर पूर्व सीएम वसुन्धरा राजे की उपेक्षा की जा रही है। जिसके चलते नियुक्तियों में वरिष्ठों को दरकिनार कर पार्टी के सच्चे सिपाहियों की जगह महज दो साल में पार्टी में आने वालों को पदों पर नवाजा जा रहा है। पिछले दिनों इसको लेकर सोशल मीडिया पर भी जमकर फजीहत हुई थी। शनिवार को भाजपा महिला मोर्चा के नये अध्यक्षों की घोषणा हुई है। जिसमें पार्षद सुमन छाजेड़ को अध्यक्षीय जिम्मेदारी दी गई है। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा आम है कि छाजेड़ का राजनीतिक सफर महज दो सालों का ही है। उन्हें वार्ड पार्षद के रूप में भाजपा ने अपना चेहरा बनाया। यहीं नहीं छाजेड़ को महापौर के चेहरे के रूप में चुनाव लड़वाया गया था लेकिन गणित बिगड़ जाने के कारण भाजपा को छाजेड़ की ताजपोशी से अपना हाथ पीछे खी ंचना पड़ा। उसके बाद से ही सुमन को महिला मोर्चा के अध्यक्ष पद देने की संभावनाओं पर मोहर सी लग गई थी। छाजेड़ की इस नियुक्ति के बाद अब पार्टी के अन्दुरूनी हालात भी दुरूस्त नजर नहीं आ रहे है। अंदरखाने की बात तो यह है कि इसको लेकर विरोध की चिन्गारी उठने लगी है। जिसको लेकर कुछ भाजपा नेत्रियों ने अपने वरिष्ठ नेताओं से बात भी की है।
वरिष्ठ की जगह कनिष्ठ को मिला पद
बताया जा रहा है कि कार्यकर्ताओं की पूछ वाली भगवा पार्टी भी अब कांग्रेस की राह पर चलने लगी है। नतीजन पिछली कुछ नियुक्ति यों को लेकर भाजपा में हुए अन्दुरूनी विवाद इसके परिणाम है। हालांकि पार्टी में खुलकर इसका विरोध मुखर नहीं हुआ है। फिर भी कुछ नियुक्तियों को लेकर बड़े और स्थानीय नेताओं में आपसी खी ंचतान बनी हुई है। जानकारी मिली है कि महिला मोर्चा के अध्यक्ष पद के लिये सुमन छाजेड़ से वरिष्ठ नेत्रियां आरती आचार्य,मीना आसोपा,निर्मला खत्री,राजकुमारी मारू,सुमन जैन,सुधा आचार्य,सुषमा बिस्सा जैसे सरीखे नाम थे। किन्तु पार्टी ने इन नेत्रियों की अनदेखी कर छाजेड़ को अध्यक्ष बनाकर कही न कही कार्यकर्ताओं के मनोबल को हचकोले खाने वाले हालात में लाकर खड़ा कर दिया है।
वसु समर्थकों को किया दरकिनार
राजनीतिक जानकारों की माने तो भाजपा में हो रही नियुक्तियों में कही न कही वसु समर्थकों को दरकिनार किया जा रहा है। जो चर्चा का विषय बना हुआ है।


