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वन महोत्सव 365 दिन पर्यावरण संरक्षण में योगदान के संकल्प लेने का अवसर- डॉ नीरज के पवन

बीकानेर।संभागीय आयुक्त डॉ नीरज के पवन ने कहा कि वन महोत्सव एक आयोजन मात्र नहीं है बल्कि 365 दिन पर्यावरण से जुड़ने का संकल्प लेने का मौका है। केन्द्रीय विद्यालय न 1 में मंगलवार को आयोजित जिला स्तरीय वन महोत्सव के अवसर पर संभागीय आयुक्त ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि हमें जंगल उगाना है, इसके लिए पौधों के रखरखाव का प्रण लेने की आवश्यकता है। पूरे परिवार के साथ पौधे को जोड़ कर पीढ़ियों को पर्यावरण से जोड़ने का कार्य करें और वर्तमान पर्यावरण संकट में पर्यावरण और पारिस्थितिकी को बचाने में अपना योगदान दें।
जिला कलक्टर भगवती प्रसाद कलाल ने कहा कि प्रकृति पर हमारा अस्तित्व टिका है। स्वयं के अस्तित्व को बचाने के लिए हमें व्यतिगत रुप से पौधारोपण कर अपने पर्यावरण को बचाने का संकल्प लेना होगा।
उन्होंने कहा कि संविधान के मौलिक कर्तव्यों में वन्य जीव व वन संरक्षण का आव्हान किया गया है।
कोरोना के समय में प्राणवायु का संकट बहुत करीब से देखने को मिला। ऐसी चुनौतियों से निपटने में पौधे लगाना ही एकमात्र विकल्प है। जिला कलक्टर ने कहा कि बीकानेर जिले में रेगिस्तान की पारिस्थितिकी के अनुसार खेजड़ी, नीम, जाल का पौधा लगाएं। जिला कलक्टर ने सहजन फली के पौधे की पौष्टिकता स्पष्ट करते हुए आमजन से हर घर में यह पौधा लगाने का आह्वान किया।
संभागीय मुख्य वन संरक्षक जय प्रकाश मूंड ने कहा कि हमारे शास्त्रों में दस पुत्रों के समान एक वृक्ष की महत्ता बताई गई है। वन महोत्सव वनों को बचाने के प्रति हमारे उत्तरदायित्व को याद करने व पुनः संकल्पित होने का समय है। प्रकृति ने पेड़ों के माध्यम से हम पर ऋण चढ़ाया है । एक व्यक्ति पांच पेड़ लगाकर धरती के इस ऋण को चुकाएं। जहां भी जगह मिले, पेड़ लगाएं।
उन्होंने बताया कि घर घर औषधि योजना में संभाग में 56 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है।
पुलिस अधीक्षक एसीबी देवेन्द्र बिश्नोई ने कहा कि हमारी सनातन संस्कृति विलक्षण है। समभाव के मंत्र के साथ संत जम्भेश्वर ने पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। पौधों में भी जीव की संकल्पना की रक्षा के लिए 365 लोगों ने अपने जीवन का बलिदान देकर पर्यावरण संरक्षण का उदाहरण दुनिया के समक्ष रखा। आज एक बार फिर सचेत हो कर प्रकृति को बचाने में कार्य करने की आवश्यकता है।
उप वन संरक्षक, स्टेज-ाा बीकानेर, वीरेन्द्र सिंह जोरा ने स्वागत उद्बोधन दिया। उन्होंने कहा कि 1950 से निरंतर प्रत्येक वर्ष वन महोत्सव मनाकर वन संरक्षण और पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया जा रहा है।
*हरित बीकाणा के विजेता सम्मानित*
संभागीय आयुक्त डॉ नीरज के पवन की प्रेरणा से प्रारंभ किए गए हरित बीकाणा पुरस्कार के विजेताओं को भी कार्यक्रम में सम्मानित किया गया। व्यक्तिगत पुरस्कार श्रेणी में प्रथम स्थान पर बिना पानी 6000 खेजड़ी लगाने के लिए दुलाराम बेनीवाल, द्वितीय स्थान पर श्रीमती अरुणा बैन्स व तीसरा पुरस्कार राजकुमार नायक को प्रदान कर सम्मानित किया गया।
संस्थागत श्रेणी में एन आर सी सी को प्रथम, श्रीकृष्ण गोसेवा समिति को दूसराव शिवराज की ढाणी को तीसरा पुरस्कार दिया गया। हरित परिसर के लिए राजकीय डूंगर कॉलेज को प्रथम, आईसीएआर नेशनल सेंटर फार हार्स को द्वितीय व वीर सावरकर संस्थान को तीसरा पुरस्कार दिया गया। विशिष्ट सेवा मेडल जीव रक्षक मोहम्मद इकबाल को दिया गया।
*ये रहे मौजूद*
इस अवसर पर उप वन संरक्षक बीकानेर. रंगास्वामी ई, प्राचार्य केन्द्रीय विद्यालय न 1 सरजीत सिंह, एन आर सी सी निदेशक डॉ अर्थ बन्धु साहू, प्राचार्य डूंगर कॉलेज जीपी सिंह , बीएसएफ से तिलक क्षेत्रीय ने भी विचार रखे। अतिरिक्त संभागीय आयुक्त ए एच गौरी, अतिरिक्त जिला कलक्टर शहर पंकज शर्मा, उपवन संरक्षक सुनील कुमार गौड़,सहित अन्य अधिकारी व कार्मिकों सहित स्काउट एवं गाइड कैडेट्स , बीएसएफ जवान व स्कूली विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में चूरू उपवन संरक्षक सविता दहिया तथा बीकाजी फूड इंडस्ट्रीज का विशेष सहयोग रहा।कार्यक्रम का संचालन डॉ पंकज ने किया।
कार्यक्रम में सभी अधिकारियों द्वारा एक-एक पौधा लगाकर पधारोपण की शुरूआत की गई एवं लगभग 100 पौधे सीमा सुरक्षा बल के जवानों एवं वन विभाग टीम द्वारा केन्द्रीय विद्यालय परिसर में लगाए गए।

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