
ताइवान पहुंची अमेरिकी स्पीकर, चीन ने प्लेन उड़ाने दी थी धमकी






वाशिंगटन.अमेरिकी संसद के निचले सदन भारत में लोकसभा की तरह हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स की स्पीकर नैंसी पेलोसी आखिरकार ताइवान की राजधानी ताईपेई पहुंच गईं। अमेरिकी नेवी और एयरफोर्स के 24 एडवांस्ड फ ाइटर जेट्स ने नैंसी के प्लेन को एस्कॉर्ट किया।
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने पिछले दिनों कहा था कि अगर पेलोसी का प्लेन ताइवान की तरफ गया तो उसे उड़ाया जा सकता है। बाद में ये भी कहा गया कि चीनी एयरफोर्स के एयरक्राफ्ट पेलोसी के विमान को घेर लेंगे। ये धमकियां कोरी साबित हुईं।
चीन ने ताइवान सीमा के पास मिलिट्री ड्रिल भी की थी। सबसे खास बात यह है कि अमेरिका, ताइवान और चीन तीनों ने अपनी फौजों को कॉम्बेट रेडी जंग के लिए तैयार रहने को कहा है। मंगलवार देर शाम तीनों ने फौजों के लिए हाईअलर्ट भी जारी कर दिया।
क्या कर पाएगा चीन
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक शुरुआत में कुछ झिझक दिखाने के बाद अब जो बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन ने चीन से सीधे निपटने के लिए तैयारी कर ली है। पेलोसी के एयरक्राफ्ट को रोकने की हिम्मत चीन नहीं कर पाया।
कुछ एक्सपर्ट्स के मुताबिकए चीन ने सिर्फ धमकी दी थी। वो ऐसी कोई हिमाकत नहीं करेगा जिससे अमेरिका से सीधा टकराव तय हो जाए। इसकी वजह यह है कि इस क्षेत्र में अब अमेरिका भी बेहद ताकतवर हो चुका है।
ताइवान और अमेरिका भी तैयार
रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिका और ताइवान की सेनाएं चीन से निपटने के लिए तैयारी कर चुकी हैं। अमेरिकी नेवी के 4 वॉरशिप हाईअलर्ट पर हैं और ताइवान की समुद्री सीमा में गश्त कर रहे हैं। इन पर एफ.16 और एफ.35 जैसे हाईली एडवांस्ड फाइटर जेट्स और मिसाइलें मौजूद हैं। रीपर ड्रोन और लेजर गाइडेड मिसाइलें भी तैयार हैं। अगर चीन की तरफ से कोई हिमाकत की गई तो अमेरिका और ताइवान उस पर दोनों तरफ से हमला कर सकते हैं।
कहा जा रहा है कि चीन ने कार्रवाई के लिए लॉन्ग रेंज हुडोंग रॉकेट और टैंक तैयार रखे हैं। उसके पास ताइवान स्ट्रेट में दूसरे मिलिट्री इंस्टॉलेशन्स भी हैं। इनका इस्तेमाल वो कर सकता है। अमेरिकी फौज की इन हरकतों पर पैनी नजर है। न्ैै रोनाल्ड रीगन वॉरशिप और असॉल्ट शिप हाईअलर्ट पर हैं।
अमेरिकी सैनिक ताइवान में
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि पेलोसी के दौरे के कई दिन पहले ही अमेरिका के कई सैनिक और मिलिट्री टेक्निकल एक्सपर्ट ताइवान पहुंच चुके हैं। मिलिट्री टर्मिनोलॉजी में इसे बूट ऑन ग्राउंड कहा जाता है। दरअसलए अमेरिका अब यह तय कर चुका है कि साउथ चाइना सी या ताइवान स्ट्रेट में चीन की दादागीरी पर लगाम कसनी ही होगी।
अमेरिका ने अब तक यह साफ नहीं किया है कि उसके सैनिक ताइवान में मौजूद हैं या नहीं। पिछले हफ्ते जब पेंटागन के प्रवक्ता से इस बारे में सवाल किया गया था तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया था।
चीन की फिर धमकी
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने मंगलवार को फिर अमेरिका को धमकी दी। कहा. वो अमेरिकी जो पेलोसी की विजिट पर सियासत कर रहे हैं। वो आग से खेल रहे हैं। उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। इसका अंजाम अच्छा नहीं होगा। इस बीचए इंटरनेट पर लाखों लोग ऑनलाइन ट्रैकर के जरिए यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि कुआलालम्पुर से निकलने के बाद पेलोसी का एयरक्राफ्ट कब ताईपेई पहुंचेगा।
ताइवान पर तनातनी क्योंघ्
चीन वन.चाइना पॉलिसी के तहत ताइवान को अपना हिस्सा मानता हैए जबकि ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश की तरह देखता है। चीन का लक्ष्य ताइवान को उनकी राजनीतिक मांग के आगे झुकने और चीन के कब्जे को मानने के लिए ताइवान को मजबूर करने का रहा है।
इधरए अमेरिका भी वन चाइना पॉलिसी को मानता हैए लेकिन ताइवान पर चीन का कब्जा नहीं देख सकता। बाइडेन ने 2 महीने पहले कहा था. हम वन चाइना पॉलिसी पर राजी हुएए हमने उस पर साइन कियाए लेकिन यह सोचना गलत है कि ताइवान को बल के प्रयोग से छीना जा सकता है। चीन का ये कदम न केवल गलत होगाए बल्कि यह पूरे क्षेत्र को एक तरह की नई जंग में झोंक देगा।


