यूपी चुनाव: इन 15 हॉट सीटों पर सबकी नजरें, योगी आदित्यनाथ व अखिलेश आगे - Khulasa Online

यूपी चुनाव: इन 15 हॉट सीटों पर सबकी नजरें, योगी आदित्यनाथ व अखिलेश आगे

लखनऊ. यूपी विधानसभा में वोटों की गिनती शुरू होने के साथ ही रुझान भी आने शुरू हो गए हैं। अब तक भाजपा को बहुमत हासिल होता हुआ नजर आ रहा है। इस चुनाव में कुछ ऐसी सीटें हैं, जो कि हार जीत के आगे की हैं। यानी इन सीटों पर प्रत्याशियों की हार-जीत भविष्य की सियासत का ट्रेंड सेट करेगी। आपको 15 सीटों के बारे में बता रहा है, जिन पर सबकी निगाहें हैं। वहीं गोरखपुर सीट से योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ रहे चंद्रशेखर आजाद 57157 वोटों से पीछे चल रहे हैं।

यह सीट हॉट

हॉट सीट 1- गोरखपुर सदर

मुकाबला भाजपा-सपा
भाजपा प्रत्याशी योगी आदित्यनाथ- सपा प्रत्याशीसुभावती शुक्ला
अब तक के चुनाव 33 साल में 7 बार भाजपाए 1 बार हिंदू महासभा योगी आदित्यनाथ के समर्थन से का उम्मीदवार चुना गया।

क्यों अहम है सीट सीएम योगी के सामने 12 प्रत्याशी मैदान में हैं। ज्यादातर राजनीति में नए हैं। सपा ने भाजपा के पूर्व क्षेत्रीय अध्यक्ष और ब्राह्मण चेहरा स्व. उपेंद्र शुक्ल की पत्नी शुभावती को खड़ा किया। बसपा से ख्वाजा शमसुद्दीन और कांग्रेस से चेतना पांडेय, आजाद समाज पार्टी कांशीराम से चंद्रशेखर चुनाव लड़ रहे हैं। योगी गोरखपुर से पूरा पूर्वांचल साध रहे हैं।

हॉट सीट 2- करहल मैनपुरी
मुकाबला- सपा-भाजपा
सपा प्रत्याशी- अखिलेश यादव
भाजपा प्रत्याशी- एसपी सिंह बघेल
अब तक के चुनाव 1992 से ही यहां मुलायम सिंह यादव का यहां दबदबा रहा। 2007 से लेकर अब तक 3 बार सोबरन सिंह यादव ही चुनाव जीते हैं।

क्यों अहम है सीट यादव बाहुल्य है। 28 साल से सपा के वर्चस्व में है सीट। सिर्फ 2002 के चुनाव में यहां सपा प्रत्याशी हारा था। 3.71 लाख कुल वोटर्स में 1.44 लाख यादव हैं। यहां से होने वाली जीत सिर्फ आगरा मंडल पर ही नहीं। इटावा, फ र्रुखाबाद, शिकोहाबाद, कानपुर तक के इलाके पर असर डालती है। बसपा ने यहां कुलदीप नारायण और कांग्रेस ने यहां प्रत्याशी ही नहीं उतारा है।

हॉट सीट 3- सिराथू
मुकाबला भाजपा-सपा
भाजपा प्रत्याशी- केशव प्रसाद मौर्य
सपा प्रत्याशी- पल्लवी पटेल
अब तक के चुनाव यहां 1993 से 2007 तक बसपा लगातार 4 बार जीतती रही। 2008 परिसीमन में सामान्य सीट हो गई। 2012 में केशव प्रसाद मौर्य भाजपा के टिकट पर जीते थे।

क्यों अहम है सीट बसपा के गढ़ में कमल खिलने के बाद भाजपा के लिए ये प्रतिष्ठा का सवाल है। सिराथू के नतीजे प्रयागराज और प्रतापगढ़ की पूरी बेल्ट पर असर डालते हैं। केशव पिछड़े वर्ग के नेता हैं। यहां 34 प्रतिशत पिछड़े वर्ग के वोटर में कुर्मी निर्णायक हैं। सपा के घटक दल अपना दल कमेरावादी की पल्लवी पटेल को उतारकर कुर्मी वोटबैंक में सेंधमारी की कोशिश हुई। बसपा से मुनसब अली उस्मानी से मुकाबला है।

हॉट सीट 4- फ ाजिलनगर
मुकाबला भाजपा-सपा
भाजपा प्रत्याशी- सुरेंद्र कुशवाहा
सपा प्रत्याशी- स्वामी प्रसाद मौर्य

अब तक के चुनाव यहां से सपा के दिग्गज नेता विश्वनाथ मुस्लिम वोटर्स के सहारे 6 बार विधायक बने। 2 बार भाजपा गंगा कुशवाहा विधायक रहे।

क्यों अहम है सीट कुशवाहा और चनऊ बिरादरी के वोटर्स के दम पर गंगा कुशवाहा विधायक बने। इसलिए उनके बेटे सुरेंद्र कुशवाहा को टिकट दिया गया है। स्वामी प्रसाद मौर्य 2 बार रायबरेली और 3 बार पडरौना से विधानसभा चुनाव जीते थे। कांग्रेस से मनोज कुमार सिंह और बसपा ने हाल ही में सपा छोड़कर आए इलियास अंसारी को उम्मीदवार बनाया है। यहां से होने वाली जीत पार्टी में कद बढ़ाने का काम करेगी।

हॉट सीट 5- अमेठी
मुकाबला- भाजपा-सपा-कांग्रेस
भाजपा- डॉ. संजय सिंह
सपा- महाराजी देवी
कांग्रेस- आशीष शुक्ला

अब तक के चुनाव कांग्रेस के गढ़ में भाजपा 4 विधानसभा चुनाव जीत चुकी है। 2012 में एक बार साइकिल भी चली। वहीं कांग्रेस के प्रत्याशियों ने 5 बार ये सीट जीती है।

क्यों अहम है सीट- अमेठी के चुनाव को हमेशा कांग्रेस की प्रतिष्ठा से जोड़ा जाता हैए चाहे विधानसभा हो या लोकसभा। यहां राजघराने परिवार के प्रत्याशियों को 8 बार जीत मिली है। यहां राजघराने के डॉण् संजय सिंह भाजपा में आने से पहले कांग्रेस के साथ थे। सपा ने गायत्री प्रजापति की पत्नी महाराजी देवी को मैदान में उतारा है। यहां कांग्रेस यहां दोबारा अपना सियासी रसूख पाना चाहती है।

हॉट सीट 6 – रामपुर सदर
मुकाबला – सपा-कांग्रेस-भाजपा
सपा- आजम खान
कांग्रेस- नवाब काजिम अली खान
भाजपा- आकाश सक्सेना

अब तक के चुनाव- यहां 40 साल में सिर्फ एक बार 1996 में कांग्रेस के अफरोज अली खान ने आजम खान को शिकस्त दी। यहां हमेशा मुस्लिम उम्मीदवार ही जीतते आए हैं।

क्यों अहम है सीट- सपा-भाजपा के लिए ये सीट प्रतिष्ठा का सवाल है। क्योंकि पश्चिम यूपी सियासत के बड़े चेहरे आजम खान यहां सपा के प्रत्याशी हैं। वो नौ बार विधायकए एक बार राज्यसभा सांसद और 2019 में लोकसभा सांसद बने। अब जेल से ही चुनावी मैदान में हैं। उनके खिलाफ फर्जी दस्तावेज मामले में दर्ज मुकदमे में वादी आशीष सक्सेना को भाजपा चुनाव लड़वा रही है। कांग्रेस से नवाब काजिम अली खान भी प्रत्याशी हैं। यहां से जीत सियासी कद बढ़ाने वाली है।

हॉट सीट 7- नोएडा गौतमबुद्धनगर
मुकाबला – भाजपा-सपा
भाजपा- पंकज सिंह
सपा- सुनील चौधरी
अब तक के चुनाव- नोएडा विस सीट 2012 में अस्तित्व में आई थी। 2017 में पंकज चुनाव जीते थे। सपा के सुनील चौधरी पिछले चुनाव में हारे थे।

क्यों अहम है सीट- दिल्ली से सटे जिले गौतमबुद्धनगर की हाई प्रोफ ाइल सीट नोएडा पर दोबारा जीत मिलने से पंकज की सियासी जमीन मजबूत होती है। वो रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के बेटे होने की छवि से भी बाहर निकल आएंगे। यहां 23 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। यहां सबसे ज्यादा 1ण्30 लाख ब्राह्मणए 1ण्10 लाख बनिया और करीब 25 हजार ठाकुर वोटर हैं। इस बार बसपा से कृपाराम शर्मा और कांग्रेस ने पंखुड़ी पाठक को चुनावी मैदान में उतारा है।

हॉट सीट 8- शाहजहांपुर
मुकाबला – भाजपा.सपा
भाजपा – सुरेश खन्ना
सपा – तनवीर खान
अब तक के चुनाव- 1980 के चुनाव में कांग्रेस के नवाब सादिक अली खान और नवाब सिकंदर अली ने 1985 में ये सीट कांग्रेस के पाले में डाली थी। इसके बाद 8 विस चुनाव से सुरेश कुमार खन्ना जीत रहे हैं।

क्यों अहम है सीट- ये भी भाजपा का गढ़ मानी जाती है। बसपा ने इस सीट से अधिकांश बार मुस्लिम प्रत्याशी को उतारा। इससे मुस्लिम वोटों में बंटवारा होता रहा। इस बार हाथी के साथ सर्वेश मिश्र मैदान में हैं। कांग्रेस आशा कार्यकर्ता पूनम पांडेय को उतारा हैं। शाहजहांपुर में होने वाली जीत.हार बरेली मंडल के सभी विधानसभा पर प्रभाव डालती है।

हॉट सीट 9- कुंडा

मुकाबला- आईएनडी-सपा आईएनडी कुंवर रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया- सपा – गुलशन यादव
अब तक के चुनाव रू 1993 से कुंडा की सीट पर रघुराज प्रताप सिंह जीतते आ रहे हैं। इससे पहले एक बार भाजपा और दो बार कांग्रेस के पाले में ये सीट जा चुकी है।

क्यों अहम है सीट- यहां जातीय समीकरण से अधिक रघुराज प्रताप सिंह के नाम पर चुनाव लड़ा जाता है। सिंधुजा यहां गुंडा विहीन कुंडा के नारे के साथ सियासी मैदान में कूद गई हैं। सपा ने गुलशन को प्रत्याशी बनाया है। सीधी टक्कर भी उन्हीं के बीच है।

हॉट सीट 10- जसवंतनगर
मुकाबला- भाजपा.सपा
भाजपा- विवेक शाक्य
सपा- शिवपाल यादव
अब तक के चुनाव – 1993 तक यहां सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव जीतते आए। इसके बाद उनके भाई शिवपाल यादव इस सीट पर अजेय बने रहे।

क्यों अहम है सीट – इटावा की जसवंतनगर विधानसभा सीट पर चार बार के विधायक शिवपाल यादव के सामने भाजपा ने विवेक शाक्य को खड़ा किया है। दोनों के बीच सीधा मुकाबला होता दिख रहा है। इस टक्कर को देखते हुए शिवपाल कई बार भावुक होते दिखे हैं। इस पर शिवपाल सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ रहे हैं।

हॉट सीट 11- कैराना
मुकाबला- भाजपा.सपा
भाजपा- मृगांका सिंह
सपा- नाहिद हसन
अब तक के चुनाव – मुस्लिम बाहुल्य सीट होने के बावजूद कैराना में 4 बार भाजपा के प्रत्याशी जीते हैं। इससे पहले कांग्रेस ने भी यहां 5 विधानसभा चुनाव जीते हैं। 2017 के चुनाव में सपा के नाहिद हसन जीते थे।

क्यों अहम है सीट – कैराना सीट लंबे अरसे से पूर्व सांसद बाबू हुकुम सिंह और हसन परिवार की सियासी अदावत चली आ रही है। जिसमें कभी एक परिवार तो कभी दूसरा भारी पड़ता रहा है। 2014 के उप चुनाव और 2017 के आम चुनाव में हसन परिवार ने जीत दर्ज की है। नाहिद हसन यहां से विधायक बने हैं। इस बार नाहिद को नामांकन के अगले ही दिन गैंगस्टर में जेल भेजा गया था। लेकिन उन्हें सपा.रालोद के गठबंधन का फायदा मिल रहा है।

हॉट सीट 12- मथुरा
मुकाबला – भाजपा-कांग्रेस
भाजपा – श्रीकांत शर्मा
कांग्रेस – प्रदीप माथुर
अब तक के चुनाव – मथुरा सीट पर 2002 से 2017 तक 15 साल कांग्रेस के प्रदीप माथुर का कब्जा रहा। 2017 के चुनाव में श्रीकांत शर्मा जीते थे। सबसे ज्यादा 9 बार कांग्रेसए 5 बार भाजपा के प्रत्याशी जीतते आए हैं।

क्यों अहम है सीट – एक वक्त पर सीएम योगी आदित्यनाथ के यहां से चुनाव लड़ने की चर्चा चली। लेकिन बाद में श्रीकांत ही प्रत्याशी घोषित हुए। ये सीट इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भाजपा यहां दोबारा अपनी सत्ता नहीं खोना चाहेगी। लंबे समय तक भाजपा के प्रत्याशियों ने यहां कांग्रेस के सामने हार का मुंह देखा है।

हॉट सीट 13- अयोध्या
मुकाबला – भाजपा-सपा
भाजपा- वेद प्रकाश गुप्ता
सपा- तेज नारायण
अब तक के चुनाव- 1991 से लगातार 5 बार यहां भाजपा के लल्लू सिंह कमल खिला रहे हैं। 2012 में सपा के तेज नारायण पांडेय यहां से जीते थे। 2017 के चुनाव में वेद प्रकाश गुप्ता ने चुनाव जीतकर ये सीट भाजपा के पाले में डाली थी।

क्यों अहम है सीट- अयोध्या सियासत की धुरी है। रामनगरी में सीएम योगी खुद भी लगातार दौरे करते रहेए ये सीट भी भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है। भव्य मंदिर बनवाकर भाजपा पूरे सूबे में चुनावी समीकरण मजबूत मान रही है। वहीं सपा एक बार फिर अयोध्या के जरिए सत्ता में आना चाहेगी।

हॉट सीट 14- कन्नौज
मुकाबला – सपा-भाजपा
भाजपा – असीम अरुण
सपा- अनिल दोहरे

अब तक के चुनाव – कन्नौज सदर आरक्षित सीट सपा का गढ़ है। सपा से पहले यह सीट भाजपा का अभेद्य किला थी। 2002 से पहले यहां भाजपा के बनवारी लाल दोहरे काबिज थे। 2002 में सपा के कल्याण सिंह दोहरे ने भाजपा से सीट छीनी थी।

क्यों अहम है सीट- सपा के 3 बार विधायक रहे अनिल दोहरे यहां मजबूत प्रत्याशी हैं। बसपा ने समरजीत दोहरे और कांग्रेस ने विनीता देवी पर दांव खेला है। भाजपा के टिकट पर कानपुर के पुलिस कमिश्नर रहे कन्नौज के मूल निवासी पूर्व आइपीएस असीम अरुण सपा के गढ़ में जीतते हैं तो मझे हुए राजनीति के खिलाड़ी के तौर पर उभर रहेंगे।

हॉट सीट 15- जहूराबाद
मुकाबला – सपा-सुभासपा-भाजपा
सपा.सुभासपा – ओमप्रकाश राजभर
भाजपा – कालीचरण राजभर
अब तक के चुनाव- 1985 के बाद यहां दो बार कांग्रेस का कब्जा रहा। भाजपाए सपा और सुभासपा 1.1 बार जीते। 3ण्75 लाख मतदाता में एससी और राजभर बाहुल्य क्षेत्र है।

क्यों अहम है सीट- पूर्वांचल की महत्वपूर्ण सीट जहूराबाद है। यहां से लड़कर राजभर वाराणसीए आजमगढ़ए जौनपुरए बलिया समेत 66 सीटों पर प्रभाव बरकरार रख रहे हैं। एक वक्त पर भाजपा के सियासी हमसफर रहे राजभरए अब धुर विरोधी हैं। वो मौजूदा विधायक हैं। 2 बार के विधायक कालीचरण राजभर भाजपा से प्रत्याशी है। अखिलेश सरकार में मंत्री रहीं शादाब फातिमा ने बसपा जॉइन की। वो बसपा से उम्मीदवार हैं।

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