
एकजुट कांग्रेस कब दिखाएगी दमखम?






बीकानेर। लोकसभा क्षेत्र में लगाताार दो हार के बाद भी कांग्रेस वापसी करने के मूड में नजर नहीं आ रही है। दिग्गज नेता देवीसिंह भाटी के मुखर विरोध के बावजूद भाजपा प्रत्याशी अर्जुनराम मेघवाल जहां आक्रामक रूप से प्रचार प्रसार करते नजर आ रहे हैं, वहीं कांग्रेस प्रत्याशी मदनगोपाल मेघवाल परंपरागत तरीके से चुनाव लड़ रहे हैं। हालात यह है कि चुनाव अर्जुनराम वर्सेज देवीसिंह भाटी होता दिख रहा है। हालांकि भाटी न तो चुनाव मैदान में है और न ही किसी प्रत्याशी या पार्टी का समर्थन कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बीकानेर की सीट को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ रखा है, इसलिए मदनगोपाल के समर्थन में चार बार बीकानेर आ चुके हैं। इतना ही नहीं पार्टी प्रदेशाध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट भी बीकानेर के दौरे कर चुके हैं। भाजपा के दिग्गज नेता रहे देवीसिंह भाटी के विरोध के बाद कांग्रेस का माहौल जिस स्तर पर होना चाहिए था, वहां अभी नहीं पहुंचा। मुख्यमंत्री की सभाओं के अलावा कोई बड़ी मीटिंग भी नजर नहीं आ रही है। न शहरी क्षेत्र में और न ग्रामीण क्षेत्र में पार्टी का आक्रामक प्रचार नहीं दिख रहा।
मदन से ज्यादा भाटी की सभाएं
बीकानेर शहरी क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी मदन गोपाल मेघवाल से ज्यादा सभाएं तो अकेले देवीङ्क्षसह भाटी कर चुके हैं। शहर के अधिकांश हिस्सों में भाटी ने अपनी सभाएं करके अर्जुनराम का विरोध किया है। इसमें शहरी क्षेत्र के भीतर व्यास पार्क के पास, मुरलीधर व्यास नगर और एसडीपी स्कूल के पास हुई सभाएं दमदार रही। इन सभाओं की तुलना में कांग्रेस गहलोत की सभा को छोड़कर कोई बड़ा आयोजन नहीं कर पाई है।
पार्टी नेता एकजुट फिर भी
पार्टी नेता शुरुआत से एकजुट नजर आ रहे हैं। अशोक गहलोत की यात्रा के बाद विरोध करने वाले नेता न सिर्फ शांत हो गए, बल्कि सभाओं में एक साथ नजर आए। इसके बाद भी पार्टी इन बड़े नेताओं का लाभ नहीं ले पा रही।
अंदर ही अंदर तैयारी
रणनीति का एक हिस्सा यह भी हो सकता है कि कांग्रेस माहौल बनाने के बजाय अंदर ही अंदर अपने वोट बना रही है। कांग्रेस नेता मीटिंग व हल्ले के बजाय सीधे वोट बैंक तक पहुंच रहे हैं। हालांकि यह काम प्रत्याशी मदनगोपाल मेघवाल के अकेले दम पर संभव नहीं है। सभी विधायक और विधायक प्रत्याशी रहे नेता ऐसा कर रहे हैं तो ही पार्टी को लाभ मिल सकता है।
बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा
यह चुनाव कांग्रेस के कई बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है। जिसमें काबिना मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला, राज्य मंत्री भंवरसिंह भाटी और खाजूवाला विधायक गोविन्द मेघवाल के साथ पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी शामिल है। इन्हीं नेताओं की सक्रियता मदनगोपाल मेघवाल को जीत के संघर्ष तक ला सकती है।
हर तरह से जुटे हैं अर्जुनराम
दूसरी तरफ ‘हेट्रिकÓ बनाने में जुटे अर्जुनराम मेघवाल हर हाल में जीत की कोशिश में जुटे हैं। हर रोज एक दर्जन से अधिक गांवों तक पहुंच रहे हैं और देवीसिंह भाटी के विरोध के बावजूद श्रीकोलायत में सभा कर चुके हैं। इसके अलावा फेसबुक, व्हाट्सएप और एसएमएस के माध्यम से लगभग हर कार्यक्रम की सूचना मतदाताओं तक पहुंचा रहे हैं।
वसुंधरा की अनुपस्थिति चर्चा का विषय
अर्जुनराम मेघवाल के पक्ष में अब तक प्रकाश जावड़ेकर, राजनाथ सिंह, मदनलाल सैनी, राजेंद्र राठौड़, नारायण पंचारिया, सतीश पूनिया आदि प्रचार कर चुके हैं, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अब तक बीकानेर नहीं आई। राजे के बीकानेर नहीं आने के कारणों की समीक्षा हो रही है।


