आवेदन से पहले ही हो गये स्थानान्तरण - Khulasa Online आवेदन से पहले ही हो गये स्थानान्तरण - Khulasa Online

आवेदन से पहले ही हो गये स्थानान्तरण

बीकानेर। अपने आप को पारदर्शी सरकार चलाने का दावा करने वाली राज्य की कांग्रेस की सरकार कितनी पारदर्शिता से काम कर रही है। इसका जीता जागता उदाहरण शिक्षा विभाग के आलाधिकारियों की मनमर्जी से लगाया जा सकता है। जहां अंधेर नगरी चौपट राजा की कहावत चरितार्थ हो रही है। विभाग के हालात ये है कि एक ओर तो शिक्षकों से स्थानान्तरण के आवेदन करने की तिथियों के आदेश निकाल जा रहे है। वहीं दूसरी ओर आदेशों से पहले ही निदेशक ने अपने चहेतों को दूर दराज जिलों से स्थानान्तरित कर सेवानिवृत से रिक्त हुए पदों पर लाकर बैठा दिया है। इतना ही नहीं आदेश में अंकित बिन्दु तीन आवेदन की भावनाओं से खेलने वाला है। जिसमें स्पष्ट कि या गया है कि दर्शाया गया है कि यह मात्र आवेदन करने की प्रक्रिया मात्र है,स्थानान्तरण का अधिकार नहीं। जो इस बात की ओर इशारा कर रहे है कि किस तरह शिक्षा विभाग के अधिकारी अपने चेहतों को लाभ पहुंचाने के लिये सरकार की कार्यप्रणाली पर ही सवाल खड़े कर रहे है। जानकारी मिली है कि शिक्षा निदेशक नथमल डिडेल ने 6 सितम्बर को एक आदेश निकालकर शिक्षा विभाग में कार्यरत प्रधानाचार्य,प्रधानाध्यापक,व्याख्याता,द्वितीय श्रेणी अध्यापकों से ऑनलाईन स्थानान्तरण आवेदन मांगे है। जिसके तहत प्रधानाचार्य व प्रधानाध्यापक 9 सितम्बर रात 12 बजे तक,व्याख्याताओं के लिये 11 सितम्बर से 14 सितम्बर तक तथा द्वितीय श्रेणी शिक्षकों के लिये16 से 19 सितम्बर तक ऑनलाईन आवेदन करने को कहा गया है। वहीं आदेश में विभागीय कार्मिक ों के आवेदन पत्र पर कार्यवाही शाला दर्पण में अंकित विवरण के आधार पर करने के दिशा निर्देश दिए गए है।
ऑनलाईन आवेदन के अलावा कोई आवेदन स्वीकार नहीं
मजे की बात ये है कि शिक्षा निदेशक डिडेल की ओर से जारी आदेशों में स्पष्ट किया गया है कि ऑनलाईन आवेदन के अलावा किसी प्रकार का आवेदन स्वीकार नहीं कि या जाएगा। यानि कार्यालय या सचिवालय स्तर किसी भी प्रकार के आवेदन पर विचार नहीं होगा। जबकि शिक्षा निदेशक ने तीस अगस्त को अपने चेहतों को गृह जिले में लाने के लिये अपने ही आदेशों का इंतजार नहीं किया और बिना ऑनलाईन आवेदन लिये जैसलमेर में कार्यरत एक शिक्षक को पंजीयक शिक्षा विभागीएं कार्यालय में पदस्थापित करवा दिया। इससे साफ जाहिर है कि यहां बैठे शिक्षा निदेशक न तो स्थानीय मंत्री की सुनते है और न ही सरकार की।
शिक्षा निदेशक प्रारंभिक भी नहीं बैठते सीट पर
हालात ये है कि शिक्षा निदेशक प्रारंभिक जब से बीकानेर स्थानान्तरित होकर आए है। तक से वे एक जिम्मेदार अधिकारी की भूमिका में नहीं है। मंजर ये है कि पद ग्रहण करने के बाद महज तीन चार दफा ही वे अपनी सीट पर बैठे है। सूत्र बताते है कि उनका कार्य भी यहां उनके चेहते बाबू व अन्य कार्मिक ही देखते है। उनके इशारे पर ही शिक्षकों के आवेदन,प्रतिवेदन व अन्य पत्रों पर कार्यवाही होती है।

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