सिगनल के सत्कार को छोड़ पटाखों के साथ चलती है रेलगाडिय़ां कोहरे के कारण पटरियों पर बांधते है पटाखे

सिगनल के सत्कार को छोड़ पटाखों के साथ चलती है रेलगाडिय़ां कोहरे के कारण पटरियों पर बांधते है पटाखे

महेश देरासरी
महाजन। पर घर पग नीं मेलणों, बिना मान मनवार। इंजन आवे देखने सिगनल रो सतकार। यह दोहा वर्तमान समय में कोहरे के कारण रेलगाडिय़ों पर कारगर साबित नहीं हो रहा है। आजकल बदले मौसम के कारण रेलगाडिय़ां सिगनल का सत्कार छोडकऱ पटाखों के धमाकों से चलने लगी है। कोहरे के कारण सभी प्रकार की रेलगाडिय़ों को प्रत्येक स्टेशन पर प्रवेश करने से पहले पटाखे का धमाका सुनाई देना आवश्यक है। कोहरे के कारण रेलगाडिय़ों को सिगनल नजर नहीं आता है जिससे आऊटर पर ही गाड़ी रोक दी जाती है। रेलकर्मियों से मिली जानकारी के अनुसार घने कोहरे में चाहे दिन हो या रात आऊटर सिगनल कुछ आगे पटरियों पर विशेष प्रकार के पटाखे बांधने पड़ते है। इस कार्य में जिस कर्मचारी की ड्यूटी होती है वह रेलगाड़ी आने से कुछ देर पहले निर्धारित स्थान पर पहुंचकर पटरी पर दो पटाखे बांधता है। जैसे ही रेलगाड़ी के इंजन का टायर इन पटाखों पर चढ़ता है वैसे ही जोरदार धमाका होता है जिससे रेलगाड़ी के चालक को स्टेशन की जानकारी मिल जाती है। साथ ही लाइन भी क्लियर होने की जानकारी पटाखे के माध्यम से मिलती है। महाजन, अरजनसर, राजियासर आदि में इन दिनों धुंध आने के कारण रेलगाडिय़ों के आने से पूर्व पटाखे लगाने का काम चलता है। धुंध को देखते हुए स्टेशन में पटाखों का पर्याप्त स्टॉक रखना भी अनिवार्य होता है। फोग सिगनल नाम से आने वाले पटाखों के डिब्बों पर निर्धारित मात्रा के साथ बनाने की व मियाद खत्म होने की तिथि भी अंकित होती है। महाजन रेलवेकर्मियों बताया कि इन दिनों कोहरे की सघनता के कारण सभी रेलगाडिय़ों के स्टेशन पर आगमन से पहले पटरी पर पटाखे लगाने पड़ते है। इसके लिए बाकायदा नियम बना हुआ है।

 

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