
दालों की स्टॉक सीमा तय करने पर नाराज हुए व्यापारी,मंडियों कर जताया विरोध





खुलासा न्यूज,बीकानेर। दालों पर स्टॉक लिमिट लगाने के विरोध में लगातार दूसरे दिन बुधवार को जिले की सभी कृषि उपज मंडियां और 100 से अधिक दाल मिलें बंद रही। राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के आह्वान पर बंद हुई मंडियों से करोड़ों रूपये का नुकसान हुआ है। विरोध स्वरूप बुधवार को व्यापारियों का एक शिष्टमंडल ने अतिरिक्त जिला कलक्टर को ज्ञापन दिया। बीकानेर अनाज कमेटी के अध्यक्ष जयकिशन अग्रवाल ने बताया कि थोक विक्रेताओं को एक तरह की दाल सौ टन और सभी दाले मिलाकर महज दो सौ टन रखने की छूट दी गई है। मूंग को इससे अलग रखा गया है। अग्रवाल ने कहा कि अगर सरकार इस फैसले को वापस नहीं लेती है,व्यापारी आगामी रणनीति पर विचार करेंगे। व्यापारियों का कहना है कि दालों का भाव सरकार के समर्थन मूल्य से कम है। किसान अपनी फसल तीन महीने में बेचकर वापस चला जाता है जबकि उसका उपयोग पूरे साल होता है। व्यापारी ही इसे आगे संभालकर रखता है, व्यापार करता है।
ये है मांग
सचिव राजकुमार पचीसिया ने बताया कि स्टॉक लिमिट को वापस लेने और प्रदेश में नए कृषि कानूनों को लागू नहीं करने की मांग की गई है। देश में दालों का उत्पादन भी 240 लाख टन के करीब है। फिर भी थोक व्यापारियों के लिए स्टॉक लिमिट एक दाल के लिए 100 टन रखी गई है, जबकि राजस्थान दालों में सरप्लस हैं। प्रदेश में 28 लाख टन के करीब चना, 15 लाख टन के करीब मूंग, एक लाख टन उड़द, 3 से 5 लाख टन मोठ, 50 हजार टन चौला, 10 हजार टन अरहर पैदा होती है, जिनकी खपत राजस्थान में 25 फीसदी ही है।गौरतलब है कि केन्द्र सरकार ने महंगाई और जमाखोरी रोकने के लिए मूंग को छोड़कर अन्य सभी दालों की स्टॉक सीमा तत्काल प्रभाव से तय कर दी थी। यह सीमा थोक व खुदरा विक्रेताओं, आयातकों और मिल मालिकों के लिए 31 अक्टूबर तक लागू की गई है।


