
किसी भी लडक़ी या महिला को बिना उनकी सहमति के छूना गलत,हाईकोर्ट






कोच्ची। लडक़ों को यह सिखाया जाना चाहिए कि उन्हें किसी लडक़ी या महिला को उसकी सहमति के बिना नहीं छूना चाहिए। यह सबक उन्हें स्कूलों और परिवारों में दिया जाना चाहिए। ये बात केरल हाईकोर्ट ने कही है।वहीं, समाज में यौन उत्पीडऩ के बढ़ते मामलों को ध्यान में रखते हुए अदालत ने कहा है कि अच्छे व्यवहार व शिष्टाचार के पाठ को प्राथमिक कक्षा स्तर से ही पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि लडक़ों को नहीं का मतलब नहींसमझना चाहिए। इसके अलावा समाज से अदालत ने यह आग्रह किया कि उन्हें स्वार्थी और हकदार होने के बजाय निस्वार्थ और जेंटल व्यक्ति होना सिखाएं।
जस्टिस देवन रामचंद्रन ने कहा कि पुरुषत्व की पुरातन अवधारणा बदल गई है लेकिन इसे और बदलने की जरूरत है। साथियों और अन्य सामाजिक प्रभावों द्वारा प्रबलित लडक़े बहुत कम उम्र से ही अक्सर कुछ निश्चित सेक्सिस्ट रूढिय़ों के साथ बड़े होते हैं। लडक़ी/महिला का आदर और सम्मान दिखाना पुराने जमाने की बात नहीं है; इसके विपरीत, हर समय के लिए अच्छा गुण है। सेक्सिज्म स्वीकार्य या “कूल नहीं है। शक्ति का प्रदर्शन तब होता है जब वह किसी लडक़ी/महिला का सम्मान करता है। सम्मान अनिवार्यता है, जिसे बहुत कम उम्र में ही विकसित करने की आवश्यकता है। महिला के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है, इससे उसके पालन-पोषण और व्यक्तित्व का पता चलता है।


