बीकानेर मेें गुजरात व जोधपुर से ट्रकों व निजी बसों से करोड़ों रुपये का तंबाकू उत्पादों की सप्लाई - Khulasa Online बीकानेर मेें गुजरात व जोधपुर से ट्रकों व निजी बसों से करोड़ों रुपये का तंबाकू उत्पादों की सप्लाई - Khulasa Online

बीकानेर मेें गुजरात व जोधपुर से ट्रकों व निजी बसों से करोड़ों रुपये का तंबाकू उत्पादों की सप्लाई

बीकानेर । एसीबी की कार्यवाही में भीलवाड़ा में तंबाकू उत्पादों की डिलवरी करने वाली ट्रांसपोर्ट कंपनी के साथ वाणिज्यिक कर विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत सामने आने के बाद बीकानेर के वाणिज्यकर कार्यालय में भी हलचल सी मची हुई है। जानकारी में रहे कि बीकानेर में गुजरात और जोधपुर से ट्रकों और बसों के जरिये हर रोज करोड़ो रूपये का तंबाकू उत्पादों की सप्लाई होती है।

इस मामले की पड़ताल में सामने आया है कि वाणिजय कर विभाग के अधिकारी महिने दो माह एक दो ट्रक माल पकड़ कर जुर्माना वसूल कर छोड़ देते थे, बदले में कई लोगों की जेब गर्म होती थी। पड़ताल में यह भी बात सामने आई है कि बीकानेर में गुजरात से करोड़ों के पान मसालों को तुरन्त अन्य वाहनों के माध्यम से अन्य जिलों में पहुंचाने का काम लबे समय से चल रहा था। गुजरात से लगभग प्रतिदिन 10 से 12 ट्रक माल बीकानेर में आता था। इसकी पुता जानकारी वाणिज्य कर विभागीय अधिकारियों को होने के बावजूद जीएसटी चोरी करने वालों पर कार्रवाई नहीं करने से हौसले बुलन्द हो रहे थे।

इससे सरकार को लाखों रुपए के टेस चोरी होने से आर्थिक नुकसान हो रहा है। ट्रांसपोर्ट कारोबार से जुड़े सूत्रो के मुताबिक वाहनों में बिना बिल के लाखों रुपए का पान मसाला, इलेट्रोनिस उत्पाद व चांदी तक आ रही है। बावजूद इसके अधिकारी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। विभाग के अनुसार पिछले कुछ माह में 6-8 ट्रक पकडकऱ 5-6 लाख रुपए की पेनल्टी वसूल की है। जानकारी में रहे कि पान मसाला पर 60 प्रतिशत सेस है। इसके अलावा 28 प्रतिशत की जीएसटी है। यानी सौ रुपए के माल पर 88 रुपए का टैस बनता है।

एक लाख तक के माल पर आवश्यक है ई-वे बिल ट्रांसपोर्ट कपनी या अन्य वाहन के माध्यम से माल को एक से दूसरे स्थान पर पहुंचाने के लिए एक लाख से ऊपर के माल पर ई-वे बिल की आवश्यकता होती है। लेकिन ट्रांसपोर्ट व्यवसायी एक लाख से कम का बिल लेकर इसका ई-वे बिल तक नहीं बनाते है। उदाहरण के तौर पर पान मसाले के एक काटूर्न की कीमत 26 हजार है तो कपनी उसका बिल 24 हजार 900 रुपए का बनाते है। ताकि काटूर्न दिखाने के बाद भी ई-वे बिल की आवश्यकता नहीं होती है। इसके अलावा एक ही बिल को दो से तीन बार काम में लिया जाता है। पकड़े जाने पर दूसरा बिल बना लिया जाता है।

error: Content is protected !!
Join Whatsapp 26