महापौर का आरोप प्रत्यारोप में समय बीता महापौर की बड़ी बड़ी घोषणाएं सिर्फ कागज में समेटकर रही गई, नहीं चढ़ी सिरे

महापौर का आरोप प्रत्यारोप में समय बीता महापौर की बड़ी बड़ी घोषणाएं सिर्फ कागज में समेटकर रही गई, नहीं चढ़ी सिरे

बीकानेर। अगर देखा जाये तो जब महापौर सुशील राजपुरोहित ने निगम में अपना पद संभाला तो शहरवासियों को बड़ी उम्मीदें थी कि अब शहर के विकास में तेजी आयेगी। लेकिन महापौर साहिबा तो अधिकारियों के साथ आरोप प्रत्यारोप करने में ही समय व्यतीत कर दिया और शहर जहां था वहीं रह गया। महिलाओं को उम्मीद थी कि अब कोटगेट या बाजार जायेंगे तो कोई समस्या नहीं होगी क्योकि महिलाओं के लिए बाजार में सार्वजजिक टॉयलेट तक नहीं है। महापौर ने वादा किया था कि अब जल्दी ही इस समस्या को दूर कर दिया जायेगा लेकिन आज तक कोई टॉयलेट नहीं बना है। निगम के तीन साल पूरे होने के बाद भी त निगम पार्षद अपने को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। निगम बजट के दौरान महापौर की ओर से पार्षदों को लेकर कई घोषणाएं की जा चुकी हैं, लेकिन उनमें से अधिकतर अब तक सिरे ही नहीं चढ़ पाई हैं। पार्षदों के लिए लैपटॉप, सीयूजी सिम, आरक्षित दर पर भूखंड, पार्षद हॉल आदि की घोषणाएं अब तक कागजों में ही हैं। यही नहीं, बोर्ड गठन के साथ पार्षदों की गठित होने वाली कमेटियां भी अब तक अधर में लटकी हुई हैं। निगम में पार्षदों की 17 कमेटियों का गठन होना है। इनमें अध्यक्ष सहित सदस्य पार्षद होने हैं। पार्षदों के लिए हुई घोषणाओं का पक्ष-विपक्ष के पार्षदों ने स्वागत किया था, लेकिन अब तक इनका लाभ नहीं मिलने से पार्षदों में निराशा है।
महापौर ने अपने पहले बजट अभिभाषण में नगर निगम के नए भवन निर्माण की घोषणा के साथ सभा भवन, पार्षद हॉल, समितियों के अध्यक्षों के कक्षों, नेता प्रतिपक्ष कक्ष के निर्माण की भी घोषणा की थी। महापौर, उप महापौर और नेता प्रतिपक्ष के लिए कक्षों की व्यवस्था है, लेकिन निगम में रोज पहुंच रहे पार्षदों के बैठने के लिए कॉमन कक्ष तक नहीं है। पार्षद हॉल बनाने की घोषणा तीन साल बाद भी महज कागजों में ही सिमटी हुई है।
नगर निगम में हालांकि पार्षदों की कमेटियां दो बार गठित हो चुकी हैं। एक बार महापौर की ओर से व दूसरी बार सरकार की ओर से। मामला न्यायालय में विचाराधीन होने के कारण कमेटियां प्रभावी नहीं हैं। कमेटियां गठित होने व प्रभावी होने से पार्षद अध्यक्ष व सदस्य के रूप में अपनी-अपनी कमेटियों से संबंधित कार्य व निर्णय लेने में स्वतंत्र होते हैं। निगम में कार्यकारी समिति, वित्त, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता, भवन अनुज्ञा एवं संकर्म, गंदी बस्ती सुधार, नियम एवं उप विधि, अपराधों का शमन एवं समझौता, मार्केट लाइसेंस एवं राजस्व, अग्निशमन रैनबसेरा एवं आपदा प्रबंधन, अवज्ञा एवं अतिक्रमण, नगर विकास उद्यान एवं सौन्दर्यकरण सहित 17 कमेटियों के गठन के प्रावधान है।

Join Whatsapp
खबरें और विज्ञापन के लिए इस नंबर पर व्हाट्सएप करें- 76659 80000 |खबरें और विज्ञापन के लिए इस नंबर पर व्हाट्सएप करें- 76659 80000 |