ट्रैफिक पुलिस में चलती बंधी!, पकड़े जाने पर मारे जाते है कर्मचारी

ट्रैफिक पुलिस में चलती बंधी!, पकड़े जाने पर मारे जाते है कर्मचारी

खुलासा न्यूज, बीकानेर। वैसे तो ट्रैफिक पुलिस यातायात नियमों को पालन करवाती है और उन नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करती है, लेकिन पिछले दिनों एक आईपीएस अधिकारी से ट्रैफिक पुलिसकर्मियों द्वारा रिश्वत मांगने का मामला सामने आने के बाद नयी-नयी परतें खुलकर सामने आ रही है। सूत्र बताते हैं कि ट्रैफिक पुलिस में फील्ड में काम करने वालों कर्मचारियों को अवैध वसूली का टारगेट मिलता है, यह टारगेट प्रतिदिन का होता है, जिसको कर्मचारियों द्वारा उच्चाधिकारियों को तक पहुंचाना होता है। सूत्र ने बताया कि हाइवे पर खड़ी रहने वाली ट्रैफिक पुलिस के प्रत्येक इंटरसेप्टर वाहन को हर दिन 10 हजार रुपए की बंधी का टारगेट मिलता है, यानि 10 हजार रुपए अनलिगल तरीके से एकत्रित कर ऊपर तक पहुंचाना होता है और यह खेल हर रोज होता है। यह अवैध वसूली उन वाहन चालकों से वसूली की जाती है जो वाहन चलाते समय यातायात नियमों का उल्लंघन करते है और पकड़े जाने पर आधे पैसे लेकर उसे छोड़ दिया जाता है। यह अवैध वसूली 10 हजार रुपए ऊपर तक जाती है । ऐसे में एक इंटरसेप्टर वाहन द्वारा हर माह तीन लाख रुपए वाहन चालकों से अवैध वसूली कर बंधी के रूप में ऊपर तक पहुंचाई जाती है। जिसको उच्चाधिकारियों को पता होता है। इसी तरह नाकों पर खड़ी रहने वाले पुलिसकर्मियों को अवैध वसूली का टारगेट मिलता है, जो प्रत्येक दिन या रात का होता है। अवैध वसूली के दौरान किसी अधिकारी या अन्य एजेंसियों द्वारा पकड़े जाने पर कार्रवाई उन कर्मचारियों पर होती है जिनको आदेश मिलता है कि बंधी पहुंचानी ही है। लेकिन विभागीय कार्रवाई के डर के चलते कर्मचारी इस गलत काम का विरोध भी नहीं कर पाते। अगर किसी ने विरोध कर भी दिया या फिर काम करने से मनाही कर दी तो उसके खिलाफ कार्रवाई कर दी जाती है या फिर उसे ऐसी जगह पर पोस्टिंग देकर मानसिक रूप से प्रताडि़त किया जाता है। ऐसे में सवाल यह है कि इस गलत काम में ऊपर से लेकर नीचे तब सब मिले हुए होते है तो फिर कार्रवाई उन छोटे कर्मचारियों के खिलाफ क्यों? जिनको गलत काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। क्यों नहीं, इसकी जांच करवायी जाती? ताकि यह भी सामने आना चाहिए ना कि इस खेल में कौन-कौन शामिल है। लेकिन ऐसा फिलहाल हो नहीं रहा, केवल फील्ड में काम करने वाले कर्मचारियों को लाइन हाजिर मामले में इतिश्री कर दी जाती है, जबकि मामला कितना गंभीर है। ऐसा ही इन दिना हुआ, जब एक आईपीएस अधिकारी से ट्रैफिक पुलिस कर्मचारियों ने रिश्वत मांग ली। आईपीएस अधिकारी की शिकायत पर एसपी उन कर्मचारियों को लाइन हाजिर कर दिया। इस तरह लाइन हाजिर करने से यह गलत कभी नहीं रुकने वाला। यह गलत काम तब रुकेगा जब इस अवैध वसूली की जड़ों पर कार्रवाई हो।

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