ठग पुलिस की पकड़ से दूर,बुजुर्गों के खातों से आये दिन हो ही ठगी, पुलिस तंत्र पूरी तरह फेल - Khulasa Online ठग पुलिस की पकड़ से दूर,बुजुर्गों के खातों से आये दिन हो ही ठगी, पुलिस तंत्र पूरी तरह फेल - Khulasa Online

ठग पुलिस की पकड़ से दूर,बुजुर्गों के खातों से आये दिन हो ही ठगी, पुलिस तंत्र पूरी तरह फेल

बीकानेर नई तकनीक से आमजन को जहां सहूलियत हुई है, वहीं परेशानियों में भी बढ़ोत्तरी हुई है। ऑनलाइन ट्रेंड ने आमजन की मुसीबत को चौगुना कर दिया है। साइबर ठग आमजन को बरगलाकर गाढ़ी कमाई लूट रहे हैं। जिला पुलिस के आंकड़ों की बात करें, तो वर्ष 2023 में जिले में 1450 लोगों से किसी न किसी तरह की साइबर ठगी हो चुकी है। यह वे आंकड़े हैं, जो पुलिस तक पहुंचे। ऐसे न जाने कितने ही मामले हैं, जिनमें पीडि़तों ने कोई रिपोर्ट या सूचना साइबर सेल तक नहीं पहुंचाई। कुल मिला कर देंखें, तो पिछले साल साइबर ठगों ने लोगों से 6 करोड़ 51 लाख रुपए के करीब ठगे। पुलिस ने बैंकों से संपर्क कर एक करोड़ 43 लाख 98 हजार 130 रुपए पीडि़त को वापस दिलवा दिया। इसके अलावा 90 लाख होल्ड करवा दिए। इस तरह गत वर्ष लगभग 25 फीसदी की सफलता दर आर्थिक रिकवरी की रही।
इसी प्रकार वर्ष 2024 में पिछले डेढ़ महीने में ही 328 शिकायतें मिल चुकी हैं। अब तक लगभग 30-35 दिन में ही 1 करोड़ 15 लाख साइबर फ्रॉड के जरिए ठगे जा चुके हैं। इसमें से 10 लाख 98 हजार रुपए पुलिस ने वापस करवा दिए हैं। साइबर फ्रॉड को लेकर जो सबसे हैरत में डालने वाली बात है, वह है इस मामले में किसी का भी हाथ न आना। यह तथ्य साबित करते हैं कि साइबर फ्रॉड करने वाले पुलिस के तंत्र से कहीं अधिक सतर्क हैं। जो पुलिस के हत्थे नहीं चढ़े।
साइबर सेल तो बनी, लेकिन गंभीरता गायब
पुलिस सूत्रों की मानें, तो सरकार ने प्रत्येक जिले में साइबर थानों और साइबर सेल की शुरुआत तो कर दी, लेकिन साधन-संसाधनों की ओर ध्यान न देकर मामले में असंवेदनशील होने का परिचय दिया है। साइबर क्राइम को सुलझाने में एक्सपर्ट की जरूरत होती है, जो विभाग में हैं ही नहीं। एक्सपर्ट नहीं होने से साइबर अपराधों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। यह एक बड़ा कारण है, जो एक भी साइबर ठग पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ पाया।

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