बंधी के खेल में एक ठेके के नाम पर चल रही तीन दुकानें

बंधी के खेल में एक ठेके के नाम पर चल रही तीन दुकानें

बीकानेर। प्रदेश में एक तरफ जहां पर शराब बंदी की आवाजें उठ रही है। वहीं आबकारी विभाग की ओर से आवंटित दुकानों के अलावा जिले में कई अवैध ब्रांचें भी चल रही हैं। इस बारे में विभाग की ओर से कार्रवाई नहीं की जा रही है। ये दुकानें नियम विरुद्ध तो है ही इसके अलावा जो दुकानें हैं वे भी देर रात तक खुली रहती है, लेकिन विभागीय स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही। इस मामले में विभाग आंखे मूंदे हुए हैं तो पुलिस द्वारा कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की जा रही हैं। नतीजन, इस व्यापार की आड़ मेंं आम लोग परेशान हो रहे हैं। ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है,जहां विभाग की ओर से आवंटित एक दुकान के साथ दो बं्राचें भी बेखौफ चल रही है।
ब्रांच के नाम पर अवैध बिक्री
शहर में भी ऐसा गौरखधंधा चल रहा है। आबकारी अधिनियमों को दरकिनार कर कुछ लोग लाइसेंस की आड़ में अवैध तरीके से भी शराब की दुकान चला रहे हैं। ऐसा ही एक मामला शहर के पवनपुरी क्षेत्र के वार्ड 39 में देखा जा सकता है। जहां पर शराब की दुकान का बोर्ड लगाकर शराब की दुकान का संचालन किया जा रहा है। बायल वाईन्स के नाम से शराब की दुकान का आंवटित इस दुकान की दो अन्य ब्रांचे भी चल रही है। एक बल्लभ गार्डन में और दूसरी सुदर्शना नगर इलाके में। जहां धड़ल्ले से अवैध तरीके से शराब बेची जा रही है। जानकारी मिली है कि इन दुकानों के पास वैध लाईसेंस नह ंीं होता पर विभागीय शिथिलता का फायदा उठाकर ब्रांच या गोदाम के नाम पर दुकानों पर शराब बेची जा रही हैं।
नहीं होती नियमों की पालना
शराब बिक्री के लिए सरकार द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार रात आठ बजे के बाद शराब बिक्री पर पूर्णतया प्रतिबंध हैं पर इस नियम की पालना कहीं पर होती नजर नहीं आ रही। दुकानों के आगे रात आठ बजे के बाद तलबगारों का जमावड़ा नजर आता हैं।कहीं शटर के नीचे से तो कहीं चोर दरवाजे से शराब परोसने का सिलसिंला बदस्तूर जारी हैं।जांच अधिकारी की आंखों मेंं धूल झोंकने के लिए शराब विक्रेताओं द्वारा नित नए तरीकों का इस्तेमाल कर धड़ल्ले से नियम कायदों को धत्ता बताया जा रहा हैं ।
अधिकारियों को होता दोहरा मुनाफा
सूत्रों की माने तो इसके पीछे विभाग को राजस्व की चिन्ता कारण बताया जा रहा है।विभाग शराब विक्रेताओं को माह के टारगेट देता है, टारगेट पूरा नहीं होने पर भारी पेनल्टी का प्रावधान है। इसको देखते हुए दुकानदार अवैध ब्रांचे खोलकर बिक्री करवाते हैं। इससे एक तरफ पेनल्टी बचती है, वहीं टारगेट भी पूरे हो जाते हैं। यह सौदा संचालक व विभाग के लिए इसलिए मुनाफे का साबित होता है। इसके लिए अधिकारियों की ओर से प्रति ब्रांच मंथली अलग से वसूली की जाती है।
दूसरे राज्यों से आने वाली शराब पर कार्रवाई
नियमानुसार गली-मोहल्लों में अवैध तरीके से शराब बेचने वालों पर कार्रवाई के लिए आबकारी विभाग अधिकृत है। लेकिन बंधी के चक्कर में अधिकारी ऐसा नहीं करते।हालांकि विभाग के राजस्व को बॉर्डर पार से आने वाली हरियाणा की शराब प्रभावित करने के कारण कभी-कभार कार्रवाई की जाती है।
अधिकारी बैठे है मौन
हम आपकों बता दे कि शहर में आबकारी विभाग की मिलीभगत से आधे से ज्यादा शराब की दुकानें अवैध तरीके से चलाई जा रही है लेकिन आबकारी विभाग में बैठे अधिकारी भी इन अवैध शराब की दुकानों पर कोई कारवाई नहीं करता है। जब कोई आबकारी विभाग के पास इनकी शिकायत करने जाता है तो आबकारी विभाग में बैठे अधिकारी उनकी सुनाई तक नहीं करते है। यही कारण है कि पूरे शहर में शराब माफिया बेलगाम हो चुके है। और आबकारी विभाग भी शराब माफियाओं के आगे नमस्तक नजर आता है।
क्या कहते है अधिकारी
आबकारी नियमों के अनुसार आवंटित दुकान की कोई ब्रांच नहीं चला सकते। अगर कोई दुकानदार ऐसा करता है तो उस पर कार्यवाही की जाती है। फिलहाल मेरे ध्यान में ऐसा कोई प्रकरण नहीं है। ऐसा प्रकरण ध्यान में आने पर कार्यवाही करवाई जाएगी।
जियाराम राठौड़,सीआई आबकारी

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