
राजस्थान के पूर्व विधायकों की पेंशन पर खतरा!






जयपुर। राजस्थान के पूर्व विधायकों को मिल रही पेंशन खतरे में पड़ सकती है। पूर्व विधायकों को दी जा रही पेंशन को अवैध बताते हुए हाईकोर्ट में दायर की गई (जनहित याचिका) पर 21 दिसंबर को सुनवाई होनी है। अगर हाईकोर्ट ने इसे गंभीरता से लिया तो राजस्थान में 508 पूर्व विधायकों को हर माह दी जा रही पेंशन पर कैंची चल सकती है। प्रदेश में सालाना 25 करोड़, 95 लाख, 47 हजार 400 रुपए पूर्व विधायकों की पेंशन के रूप में भुगतान हो रहा है।
इस पेंशन को जनहित याचिका में संविधान का उल्लंघन बताते हुए हाईकोर्ट से डिमांड की गई है कि इसे न सिर्फ बंद किया जाए बल्कि पूर्व विधायकों से अब तक दी गई पेंशन राशि की वसूली भी की जाए।
हाईकोर्ट में यह जनहित याचिका राजस्थान के 91 वर्षीय वरिष्ठ पत्रकार मिलापचंद डंडिया ने लगाई है। याचिका में मुख्य रूप से इस बात को आधार बनाया गया है कि संविधान में कहीं भी पूर्व विधायकों को पेंशन देने का कोई प्रोविजन नहीं है। संविधान में पेंशन योजना का प्रावधान सिर्फ उन्हीं लोगों के लिए हैं जो सरकारी सेवा में रहते हुए रिटायर होते हैं। याचिका में सवाल उठाया गया है कि विधायक तय कार्यकाल के लिए जनता द्वारा चुने जाते हैं। उनको सरकारी सेवा में रहने वाले लोक सेवकों की श्रेणी में किस आधार पर रखा जा सकता है?
डंडिया की ओर से हाईकोर्ट में रिट दायर करने वाले सीनियर एडवोकेट विमल चौधरी का कहना है कि सरकार ने पूर्व विधायकों को पेंशन का प्रावधान करके संविधान का सीधा उल्लंघन किया है। आज पूर्व विधायकों को पेंशन दी जा रही है, कल को नगर निगम, नगर पालिका, पंचायत समिति के वार्ड मेंबर भी यह डिमांड कर सकते हैं कि कार्यकाल पूरा करने के बाद उनको भी पेंशन दी जाए।
एडवोकेट विमल चौधरी कहते हैं- संविधान का आर्टिकल-195 विधानसभा को विधायकों की सैलेरी और भत्ते तय करने का अधिकार देता है। इसके हिसाब से उनको सैलेरी और भत्ते मिल रहे हैं। समय-समय पर विधायकों की सैलेरी और भत्ते बढ़ाए भी जा रहे हैं। लेकिन संविधान में विधायकों के लिए पेंशन तय करने का अधिकार नहीं दिया गया है। फिर पूर्व विधायकों को पेंशन क्यों दी जा रही है?
1977 में लागू हुई थी पेंशन, 2019 में बढ़ाई : राजस्थान में 1977 से पूर्व विधायकों को पेंशन दी जा रही है। 1 अप्रैल 2019 से पूर्व विधायकों की पेंशन में बढ़ोतरी की गई। पहले 25 हजार रुपए प्रतिमाह पेंशन दी जा रही थी, बाद में इसे 35 हजार रुपए प्रतिमाह कर दिया गया।


