
इस दफा ईक्रो फ्रेंडली गणपति बने श्रद्धालुओं की पसंद






खुलासा न्यूज,बीकानेर। बदलते समय के साथ ईको फ्रेंडली हमारी जिंदगी की अहम जरूरत बन चली है। इस पर एक बार फिर प्रकृति ने अपनी मोहर लगा दी है। ईको फ्रेंडली मूर्तियों को घर में आसानी से विसर्जित किया जा सकता है। इस वजह से कोरोना काल में इस बार हर कोई गणपति की ईको फ्रेंडली प्रतिमा की मांग कर रहा है। मेहमान बनकर घर में विराजमान होने वाले गणपति बप्पा की इको फ्रेंडली मूर्तियों को लोग खासा पसंद कर रहे है। लोग पीओपी यानी प्लास्टर ऑफ पैरीस से बनी बप्पा की मूर्तियों से बच रहे है। शाडू मिट्टी और प्रकृतिक रंगों से बनी बप्पा की मूर्तियों की की मांग काफी बढ़ गई है। दरअसल शाडू मिट्टी से बनी मुर्तियां पानी में आसानी से घुल जाती है और प्रदुषण नहीं फैलाती। इस तरह की मूर्तियां प्रकृतिक के लिहाज से अपयुक्त है। इससे कोई प्रदूषण नहीं होता। जलीय जीव भी सुरक्षित रह पाते है। इसके अलावा पैपर मैश यानी कागज से बनी मूर्तियां भी लोग पंसद कर रहे है।इसी भावना से अभिभूत होकर घरों भी इस दफा ईको फ्रेंडली गणेश विराजमान होंगे। जिसकी शुक्रवार को बिक्री भी जमकर हुई।
पीओपी से बनीं मूर्तियों से नुकसान
पिछले छ: वर्षों से लगातार अपने घर में गणेश विराजित करने वाले अभिषेक आचार्य का मानना है कि पीओपी और प्लास्टिक से बनी प्रतिमाओं में खतरनाक रसायनिक रंगों का इस्तेमाल किया जाता है। यह रंग स्वास्थ्य के लिए भी काफी हानिकारक होते हैं। इन प्रतिमाओं के रसायनिक रंग पानी में मिल जाते हैं और बाद में इसी पानी का इस्तेमाल खाना पकाने और नहाने जैसे कामों में किया जाता है। ऐसे पानी के इस्तेमाल से लोग बीमार भी हो जाते हैं। इसी भावना को ध्यान रखते हुए मैंने भी अपने घर में ईको फें्रडली गणेश की स्थापना करने का निर्णय लिया है। आचार्य का कहना है कि जिन घरों में गणेश स्थापाना होती है,उन श्रद्धालुओं को भी मिट्टी से बनी गणेश प्रतिभा को विराजित करना चाहिए।


