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बीकानेर में 10 सालों से बंद पड़ी ये लैब होगी शुरू, सरकार से मिले करोड़ों

बीकानेर में 10 सालों से बंद पड़ी ये लैब होगी शुरू, सरकार से मिले करोड़ों

बीकानेर में क्ले सहित अन्य खनिजों और सिरेमिक प्रोडक्ट की गुणवत्ता जांचने के लिए जरूरी सिरेमिक लैब शुरू करने के लिए बीकानेर तकनीकी यूनिवर्सिटी को दो करोड़ रुपए मिल गए हैं। इससे लैब के लिए आवश्यक आधुनिक उपकरण खरीदे जाएंगे। बीकानेर में सिरेमिक लैब पिछले 10 सालों से बंद पड़ी है। खान मालिकों को दूसरे राज्यों यूपी के अलीगढ़ में खुर्जा, गुजरात के अहमदाबाद, मोरवी जिलों से क्ले की गुणवत्ता की जांच करवानी पड़ती है। सरकार की ओर से बीकानेर-उदयपुर में सेंटर ऑफ एक्सिलैंस के लिए 10 करोड़ रुपए देने की घोषणा पर लैब शुरू होने की उम्मीद जगी, लेकिन बजट नहीं मिला था। अब सरकार ने लैब शुरू करने के लिए 1.96 करोड़ दे दिए हैं।

इस राशि से बीटीयू सिरेमिक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना और संचालन के लिए उपकरण खरीदे जाएंगे। इसके अलावा परिसर की मरम्मत-रखरखाव, मैनपॉवर सहित अन्य कार्य किए जाएंगे। पूर्व में लैब का जिम्मा बीटीयू के पास था। लेकिन, अब यह सोसायटी के अधीन रहेगी और नियंत्रण खान एवं भूविज्ञान विभाग के पास होगा। संचालन, संधारण और संविदा पर रखे जाने वाले कार्मिकों के लिए वित्त विभाग ने एक वर्ष के लिए राशि उपलब्ध करवाई है। आगामी वर्षों में सेंटर स्वयं अपने संसाधनों से खर्च उठाएगा। बीकानेर में सिरेमिक इंडस्ट्री के रॉ मटेरियल क्ले की करीब 200 खानें हैं। इनका 60-70 प्रतिशत माल मोरवी जाता है। बड़ी मात्रा में क्ले विदेश और अन्य राज्यों में भी सप्लाई होती है। खरीदार, इंडस्ट्रियल खान मालिकों से क्ले की गुणवत्ता की रिपोर्ट मांगते हैं। खान मालिकों को दूसरे राज्यों की लैब से टेस्टिंग करवानी पड़ती है। इसके अलावा जहां कहीं भी सिरेमिक प्रॉडक्ट तैयार होते हैं तो उनकी भी लैब में टेस्टिंग रिपोर्ट तैयार की जाती है। बीकानेर के गजनेर में सिरेमिक हब बनना है और रॉ मटेरियल के भंडार को देखते हुए इंडस्ट्री पनपने की पूरी संभावना है। इसके लिए सिरेमिक लैब की आवश्यकता होगी। बीकानेर में लैब होने से आसपास के राज्य भी अपने प्रॉडक्ट की टेस्टिंग यहां करवाएंगे और सरकार को रेवन्यू मिलेगी।

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