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ये होती है बहन : 11 साल की बहन का खून निकाल, 7 साल के भाई को बचाया

राजस्थान के सबसे बड़े सवाई मानसिंह अस्पताल (SMS) में नया ट्रीटमेंट शुरू हुआ है। इस ट्रीटमेंट के जरिए 11 साल की बहन नेहा ने 7 साल के भाई नक्श को नई जिंदगी दी है। दोनों अलवर के रहने वाले भगवान सहाय के बच्चे हैं। इस ट्रीटमेंट का नाम है स्टेम सेल ट्रासंप्लांट है। जो ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट बनने के बाद एसएमएस के ट्रोमा सेंटर के ब्लड बैंक सेल में पहली बार किया गया है।

एसएमएस में बुधवार सुबह 11 बजे शुरू हुआ ट्रीटमेंट शाम करीब 4.30 बजे पूरा हुआ। इस दौरान एसएमएस मेडिकल कॉलेज के इम्यूनो हेमेटोलॉजी एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन (IHTM) डिपार्टमेंट के डॉक्टरों की टीम लगातार मॉनिटरिंग करती रही।

इस ट्रीटमेंट में मरीज की बड़ी बहन के शरीर से पूरा खून निकालकर 200ML पैरिफिरल ब्लड स्टेम सेल (PBSC) लिए गए। इसे छोटे भाई की बॉडी में डाला (ट्रांसफ्यूजन) गया। इस पूरी प्रक्रिया में करीब 5:30 घंटे का समय लगा। अब बच्चे और डोनर दोनों पर 4-5 दिन तक रेगुलर मॉनिटरिंग की जाएगी।

इसके लिए दोनों को ऑन्कोलॉजी वार्ड में शिफ्ट कर दिया है। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन डिपार्टमेंट के अलावा ऑन्कोलॉजी और एनेस्थीसिया डिपार्टमेंट से भी डॉक्टर्स की टीम मौजूद रही। क्योंकि इसमें सबसे ज्यादा डर डोनर के लिए रहता है। डोनर के पूरे शरीर का ब्लड बाहर लेकर उसमें से जरूरी कॉम्पोनेंट्स को बाहर निकाला जाता है। फिर वापस ब्लड चढ़ाया जाता है। इस दौरान डोनर के बीपी, हार्ट फेलियर, अचानक कैलशियम की कमी होने समेत कई तरह के समस्या आने की आशंकाए रहती है।

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