बसंत पंचमी पर ऐसे कर सकते हैं देवी पूजा

बसंत पंचमी पर ऐसे कर सकते हैं देवी पूजा

शनिवार, 5 फरवरी को बसंत पंचमी है। बसंत पचंमी पर ही विद्या की देवी सरस्वती जी प्रकट हुई थीं। माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी पर देवी सरस्वती की विशेष पूजा की जाती है। अगर कोई नया कोर्स शुरू करना चाहते हैं या कोई विद्या हासिल करना चाहते हैं तो बसंत पंचमी श्रेष्ठ मुहूर्त होता है।

 ज्योतिषाचार्य शर्मा के अनुसार सरस्वती मां की पूजा में कुछ खास शुभ चीजें जरूर रखनी चाहिए। सरस्वती पूजन में देवी की मूर्ति या तस्वीर के साथ ही वीणा जरूर रखें। वीणा देवी का प्रिय वाद्य यंत्र है और देवी हमेशा इसे अपने साथ ही रखती हैं। वीणा हमें ये संदेश देती है कि जिन लोगों के पास विद्या होती है, वे हमेशा मीठा ही बोलते हैं।

देवी पूजा में हंस की तस्वीर भी जरूर रखें। हंस देवी का वाहन है। हंस का संदेश ये है कि बुद्धिमान व्यक्ति वही है तो हंस की तरह दूध और पानी में अंतर समझ लेता है यानी जो व्यक्ति सही-गलत का भेद समझता है, वह बुद्धिमान होता है।

देवी पूजा में मोर पंख भी रखना चाहिए। मोर पंख का उपयोग खासतौर पर श्रृंगार के लिए किया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण भी हमेशा अपने मस्तक पर मोर पंख धारण किए रहते हैं। देवी सरस्वती को मोर पंख विशेष प्रिय है।

देवी मां को सफेद कमल का फूल चढ़ाना चाहिए। कमल का फूल हमेशा कीचड़ में खिलता है। इसका संदेश यही है कि भले हमारे आसपास के सभी लोग अच्छे न हों, लेकिन हमें अपनी अच्छाई नहीं छोड़नी चाहिए।

बसंत पंचमी पर ऐसे कर सकतेहैं देवी पूजा

वसंत पंचमी पर स्नान के बाद माता सरस्वती की मूर्ति को सफेद फूल और चावल चढ़ाएं। सफेद मिठाई का भोग लगाएं। धूप, दीप जलाएं। आरती करें। देवी के मंत्र ऊँ महाविद्यायै नम:, ऊँ वाग्देव्यै नम:, ऊँ ज्ञानमुद्रायै नम: मंत्र जाप कम से कम 108 बार करें। पूजा के अंत में देवी से पूजा में हुई जानी-अनजानी भूल के लिए क्षमा मांगें। इसके बाद प्रसाद वितरीत करें और खुद भी ग्रहण करें।

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