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इस विभाग ने निकाला फर्जी ट्विटर-फेसबुक अकाउंट बनाने के आदेश, फिर करें यह कमेंट

जयपुर. राज्य सरकार की छवि चमकाने के लिए राजस्थान के सांख्यिकी विभाग ने ही फर्जी ट्विटर.फेसबुक अकाउंट बनाने के आदेश जारी कर दिए। आदेश वायरल होने के बाद जब मामले ने तूल पकड़ा तो आनन-फ ानन में आदेश जारी करने वाले सहायक निदेशक को सस्पेंड कर दिया गया। साथ ही उसके खिलाफ एफ आईआर भी करवा दी गई।

यह आदेश आ​र्थिक और सांख्यिकी विभागए सवाई माधोपुर के सहायक निदेशक सतीश कुमार सहारिया ने बुधवार को जारी किया था। राजीव गांधी युवा इंटर्नशिप प्रोग्राम में चयनित युवा मित्रों को फर्जी फेसबुक और ट्विटर हैंडल बनाने के आदेश पर विवाद हो गया। आदेश में यह भी कहा गया कि वे इन फर्जी आईडी से कमेंट भी करें। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर यह ऑर्डर ट्रोल होने लगा। बाद में संशोधित आदेश भी जारी किया गया।

ऑर्डर में कहा . युवा मित्रों को खुद की फेसबुक आईडी और ट्विटर हैंडल के साथ 10.10 फर्जी फेसबु​क आईडी और ट्विटर हैंडल बनाना है। इसमें निदेशक के निर्देशों का हवाला दिया गया। विवाद होने के बाद सहायक निदेशक सतीश कुमार स​हारिया को गुरुवार को सस्पेंड कर दिया गया है।

आदेश में लिखा. युवा मित्र फर्जी अकाउंट से कमेंट करें
सहायक निदेशक ने आदेश में लिखा. हर युवा मित्र का खुद के नाम से एक ट्विटर अकाउंट होना चाहिए। साथ ही उस युवा मित्र को ट्विटर अकाउंट पर 10 डमी अकाउंट भी बनाने हैं और इन अकाउंट में कहीं भी युवा मित्र शब्द नहीं होना चाहिए। एक मोबाइल नम्बर से 10 डमी अकाउंट बन जाएंगे । सभी अकाउंट से रीट्वीट और कोट रीट्वीट करना है। इसी तरह युवा मित्र का एक फेसबुक अकाउंट होना चाहिए और उसी मोबाइल नम्बर से 5 डमी फेसबुक अकाउंट होने चाहिए। युवा मित्र अपने मुख्य अकाउंट और डमी अकाउंट से सोशल मीडिया का काम करेगा और सभी अकाउंट लाइकए शेयर और कमेंट करना है।

ठश्रच् ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई और इसकी शिकायत की। विवाद को बढ़ता देख सरकार ने एक्शन लिया। इस पूरे मामले में सरकारी विभागों के कामकाज और आपसी कॉर्डिनेशन पर सवाल उठने लगे हैं।

सरकारी आदेशों में पहली बार फर्जी अकाउंट बनाने के निर्देश
सरकारी योजनाओं के प्रचार.प्रसार को लेकर पहली बार ऐसा आदेश सामने आया हैए जिसमें फर्जी आईडी बनाकर कमेंट और लाइक शेयर करने के निर्देश दिए गए थे। राजनीतिक दलों पर ट्रोल का ग्रुप बनाने के आरोप लगते रहे हैं एलेकिन सरकारी विभागों में युवा इंटर्न को ही अफसर की ओर से लिखित आदेश जारी करने का यह पहली बार मामला सामने आया था।

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