इस व्यापारिक संगठन ने एक जून से दुकानें-कामधंधे खोलने का किया ऐलान

इस व्यापारिक संगठन ने एक जून से दुकानें-कामधंधे खोलने का किया ऐलान

सीकर। सीकर व्यापार संघ ने ऐलान किया है कि यदि 24 मई के बाद भी शहर में व्यापार व कामधंधा शुरू करने की अनुमति न दी गई तो व्यापारी वर्ग सड़कों पर उतर आयेगा और एक जून से सभी दुक ानें खोलकर कामधंधा प्रारंभ कर देगा। प्रशासन चाहे तो नियम, कायदे-कानून तय कर दे हम उनकी पालना करने को तैयार हैं या फिर व्यापारियों को भी दुकानें बंद रखने पर उसी तरह मुआवजा दिया जाय जिस तरह फसल खराबे पर किसानों को दिया जाता है। यह खबर सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है।
क्षेत्रीय व्यापार संगठनों के अध्यक्षों स्टेशन रोड़ व्यापार संघ के जसवीर भूकर,चांदपोल व्यापार संघ के नाथूराम ओला, शीतला चौक व्यापार संघ भंवरलाल सिद्ध, सुभाष चौक व्यापार संघ साबिर बिसायती, नानीगेट व्यापार संघ के दीनदयाल शर्मा, बजाज रोड़ व्यापार संघ के अशोक कलावटिया के अतिरिक्त संरक्षक मदनप्रकाश मावलिया, कार्यकारी अध्यक्ष अरुण तिवाड़ी आदि पदाधिकारियों के साथ मंत्रणा के बाद गुरुवार को यहां जारी एक बयान में सीकर व्यापार संघ के अध्यक्ष राधेश्याम पारीक ने बताया कि प्रशासन तय करे वैसे हम व्यापार करने को तैयार हैं, व्यापार हमारा मूल मकसद है, इस समय हमें सबसे ज्यादा जरूरत हमारे आर्थिक नुकसान की भरपाई की है।
उन्होंने कहा कि यदि प्रशासन यह चाहता है कि बाजार बंद रहे तो हम बाजार बंद रखने को एक स्वर में तैयार हैं बशर्ते किसानों की तर्ज पर हमारे नुकसान की भी भरपाई की जाय व मुक्कमल मुआवजा दिया जाय। टैक्स, चंदा सहित हर जगह हर तरह का सहयोग हम हर जगह देते हैं फिर हमें चोरों की तरह बदनाम किया जाता है तो वे हमारे दुश्मन हैं। हम बहुत सहनशीलता के साथ पिछले एक साल से ज्यादा समय से प्रशासन का सहयोग करते आ रहे हैं, परन्तु प्रशासन उल्टे व्यापारी वर्ग को ही दो धड़ों में बांट दिया है। एक धड़ा तो खूब कमाये और दूसरा धड़ा फांके खाये, यह चलने वाली बात नहीं है। इस भेदभाव के खिलाफ हमें सड़कों पर उतरना ही पड़ेगा फिर भले हमें चाहे जेलों में डाला जाये या फांसी पर लटकाया जाये। वैसे भी इस घोर संकट में आत्महत्याओं की बाढ आ रखी है। बुरी तरह से बेरोजगारी और भूखमरी फैल रखी है और उपर से नल-बिजली आदि के मनमाने बिल भेजे जा रहे हैं। टैक्स वसूली के हथकंडे अपनाये जा रहे हैं। यह सब चुकाने और परिवार के भरणपोषण के लिए हमें कामधंधा तो करने दो। प्रशासन गाइडलाइंस तय करदे, हम उन्हें मानने को तैयार हैं, पर व्यापारी को भूखा-प्यासा नजरबंद न किया जाय।
पारीक ने कहा हमारे संघर्ष में एमपी, एमएलए, पंच-सरपंच, पार्षद सहित सभी जनप्रतिनिधियों को साथ आना पड़ेगा। हमने वोट उनको दिये हैं,कलेक्टर, एसडीएम आदि सरकारी मुलाजिमों को नहीं। उन्होंने बताया कि इस सम्बंध में जिला प्रशासन से सम्पर्क कर हालात से अवगत करवाया जायेगा, यदि फिर भी सुनवाई नहीं हुई तो हमारा सड़कों पर उतरना तय है।

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