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बीकानेर के यह दो अधिकारी चढ़े मंत्री के नाराजगी के भेंट

शिव भादाणी

बीकानेर। बीकानेर शहर में आने वाले प्रशासनिक अधिकारियों की बात करें तो लंबी चौड़ी लिस्ट है लेकिन कुछ अधिकारी ऐसे होते है जो जनता के बीच रहते है और जनता की समस्याओं को दूर करने में हर समय तैयार रहते है और इसी वजय से वह हमेशा राजनैतिक शिकार हो जाते है। जब देश में कोरोना का भंयकर संकट आया तब सबसे बड़ा काम स्वास्थ्य विभाग का जिन्होंने अपनी जान पर खेलकर लोगों की जिदंगी बचाई। उसमें बीकानेर के सीएमएचओ बी.एल.मीणा व उसकी टीम ने रात दिन एक कर घर घर से कोरोना ग्रस्ति लोगों को अस्पताल में पहुंचाने का काम शानदार किया। जिससे बीकानेर में मौता का प्रतिशत कम था। मीणा ने भरी बरसात कफ्यू जैसे इलाकों में रात रात भर मरीजों को दवाई पहुंचाने व उनकी हर समस्या का समाधान करने में लगे रहते है सुबह 6 बजे से रात को कोई पता नहीं था। लेकिन वहीं जो हर अधिकारी के साथ होता है सीएमएचओ साहब ने भाग भाग कर बीकानेर की जनता को बचाने का काम बेखूबी निभाया तो चढ़ गये राजनैता के भेंट और सभी काम पर पानी फैरते हुए मीणा का किया गया तबादला। जानकारी ऐसी मिली थी उस समय की एक राजनैता ने मीणा के तबादले के लिए मुख्यमंत्री को लगातार गुहार लगाई और तो ओर चिकित्सा मंत्री के आगे बड़ी शर्त रखी तब जाकर उनका तबादला किया गया। क्योकि प्रदेश के मालिक अशोक गहलोत को पता था कि बीकानेर सीमएचओ ने कोरोना काल में बेखूबी निभाया है लेकिन क्या करें जब उसके खुद ही आदमियों ने अपने यहां काम करने वाले को नही ंरखना चाहता थे। मीणा के काम को देखते हुए दो कलक्टरों ने उनको अपने कार्यकाल के दौरान अपने पास रखा जबकि मीणा का तबादल हो चुका था लेकिन अनुभव के आधार पर उनको यही रखा। इसी तरह जाने माने संभागीय आयुक्त डॉ. नीरज के पवन ने बीकानेर में आते ही सबसे पहले उन पर प्रहार किया जिन्होंने सरकारी भूमि पर कब्जा कर रखा था उनको हटाया। बाद में उन्होंने शहर की उस समस्या को दूर करने की कोशिश की जो नासूर बन चुकी है फड़बाजार का इलाका व कोटगेट की यातायात व्यवस्था को सही करना संभागीय आयुक्त के लिए बड़ी चुनौति था लेकिन उन्होंने कोटगेट पर जाकर धरातल पर समझकर एक तरफ रास्ता कर दिया और केईएम रोड़ को नो व्हीकल जोन घोषित कर दिया। बात फिर वहीं अड़ी कि फड़बाजार के व्यापारियो ंको नहीं हटाया जाये और केईएम रोड़ को नौ व्हीकल जोन नहीं घोषित हो इसको लेकर जिला कलेक्टर को कार्यकर्ताओं ने ज्ञापन दिया कि अधिकारी अपनी मन मानी कर रहा है। लेकिन जो नीरज के पवन ने किया वो जनता के अच्छा था तो उनके द्वारा की गई सुविधा को सहीं माना और आज भी उसी तरह चल रहा है। आखिर में उन्होने फड़बाजार को खुला छोड़ दिया।
अतिक्रमणकारियों पर प्रहार
उसके बाद उन्होने शहर में हो रखे अवैध अतिक्रमणों को तोडऩा शुरु कर किया तो शहर सुंदर दिखने लगा उन्होने ऐसी ऐसी जगह कब्जा देखा जिसके बारे में बीकानेर के लोगों को पता ही नहीं था उसको तोडक़र सडक़ों को चौड़ा किया गया। जहां से साइकिल नहीं निकलती थी वहां से टैक्सी निकलनी शुरु हो गई। इसकी पीड़ फिर राजनैताओं को हुई और एक बार फिर मुख्यमंत्री के बारे शिकायत करने पहुंच गये कि अगर अधिकारी इस तरह से करेंगे तो हमारे को वोट कौन देंगे। उन्होंने किसी गरीब का कुछ नहीं तोड़ा लेकिन अवैध कब्जा किसी का नहीं बख्शा चाहे वो कितना बड़ा आदमी क्यों नहीं हो कब्जा है तो टूटेगा।
कुछ दिन पहले एक मकान को तोडऩे गये अवैध अतिक्रमण को तोडऩे गये तो एक युवक द्वारा तलवार लेकर आ गया तो जिसको पुलिस ने पकड़ लिया तो और जेल भेज दिया । प्रशासन ने एक बार फिर दो दिन पहले प्रशासन ने उस अतिक्रमण को तोड़ डाला। इसी के चलते एक राजनैता ने मुख्यमंत्री पर पूरा प्रशेर बनाया कि किसी तरह डॉ. नीरज के पवन का तबादल बीकानेर से किया जाये।

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