
सचिन पायलट के अनशन में बीकानेर से ये नेता हुए शामिल






खुलासा न्यूज, बीकानेर। पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के अनशन में शामिल होने के लिए बीकानेर से भी बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता और समर्थक जयपुर गए। जो सचिन पायलट के साथ अनशन में शामिल हुए। सचिन पायलट की तरह ये कार्यकर्ता भी कांग्रेस पार्टी को सीधे तौर पर संकेत दिया हैं कि उन्हें सत्ता में वाजिब हिस्सेदारी नहीं मिली है। अगर सचिन पार्टी लाइन से अलग कोई निर्णय लेते हैं तो ये कार्यकर्ता भी सचिन के साथ नजर आएंगे। बीकानेर से सचिन के साथ नजर आ रहे कार्यकर्ताओं में पूर्व जिला प्रमुख सुशीला सींवर व विप्र बोर्ड के सदस्य राजकुमार किराडू व युवा नेता अरुण व्यास सहित कई बड़े चेहरे शामिल थे। जिसको लेकर बीकानेर राजनीति में चर्चा तेज थी। दरअसल, बीकानेर में सचिन पायलट समर्थक सोमवार शाम जस्सूसर गेट पर एकत्र हुए। यहीं से बस में जयपुर के लिए रवाना हुए। सचिन के समर्थन में सबसे बड़े नेता के रूप में पूर्व जिला प्रमुख सुशीला सींवर नजर आई। सींवर पहले कांग्रेस नेता रामेश्वर डूडी के समर्थन से जिला प्रमुख बनी थी लेकिन अब वो अपने स्तर पर सचिन पायलट के समर्थन में नजर आई है। इसके अलावा हाल ही में विप्र से जुड़े एक सरकारी तंत्र में सदस्य बने राजकुमार किराडू भी खुलकर सचिन पायलट के समर्थन में आ गए हैं। किराडू पहले शिक्षा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला के समर्थक रहे हैं। पिछले चुनाव में पहले विरोध में थे और बाद में एक मीटिंग करके उन्होंने कल्ला को समर्थन दिया था। अब वो भी वर्तमान व्यवस्था से नाराज नजर आ रहे हैं। इसी तरह यूथ कांग्रेस के नेता रहे अरुण व्यास भी कोई बड़ा पद नहीं मिलने से नाराज है। अरुण व्यास भी खुलकर सचिन पायलट के साथ है। कांग्रेस के लिए प्रवक्ता का काम करने वाले प्रहलाद सिंह मार्शल भी जस्सूसर गेट पहुंचे। ये भी जयपुर के लिए रवाना हुए। इनके अलावा भी कई कांग्रेस नेता अशोक गहलोत सरकार से नाराज होकर सचिन के साथ खड़े हैं। ऐसे में यह भी साफ है कि गहलोत सरकार से बीकानेर में बड़ी संख्या में कांग्रेसी नाराज है और इस नाराजगी का एकमात्र कारण अपेक्षाओं के शिकार होना बताया जा रहा है। नाराज पदाधिकारियों में अधिकांश वे हैं जो लंबे समय से कांग्रेस पार्टी के साथ जुड़े हैं और कांग्रेस पार्टी के जमीनी स्तर पर काम किया, लेकिन समय-समय पर इनको पार्टी द्वारा नजरअंदाज किया गया, जिसकी इनमें नाराजगी भी है। सूत्रों का कहना है कि गहलोत-पायलट की इस सियासी लड़ाई में अगर पायलट अपनी नई पार्टी भी बनाते हैं तो ये सभी पदाधिकारी व कार्यकर्ता पायलट के साथ चले जाएंगे।


